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Poems


*दयालबाग़ की भूमि-----

 दयालबाग़ की भूमि का चप्पा- चप्पा हमको प्यारा है
अपने खून पसीने से
हमने इसे स॔वारा है।
इस भूमि की ईंट-ईंट
हमको प्राणों से प्यारी है 
इसकी सौंधी-सौंधी खुशबू 
सारी दुनिया से न्यारी है।ईश्वर की भूमि है यह
ईश्वर इसका रखवाला है
कोई कुछ भी करले 
इसका 
कुछ नहीं बिगड़ने  वाला है। 
कोई दुष्मन नहीं हमारा 
सबही हमको प्यारे हैं
एक पिता की सब सन्तानें
भाई बन्धु हम सारे हैं।
आओ मिलकर इस भूमि  पर 
हीरे मोती उपजाएं
सत्य अहिंसा और प्रेम के 
गीत सभी मिल कर गाएं।
 ऐसी पावन भूमि पर
आओ शीष झुकाएं
कुल मालिक की दया मेहर
हम सब मिलकर के पाएं।।
 इसकी रज से तिलक करें हर वक्त बसन्त मनाएं 
शुकराने के फूलों से
इस बगिया को महकाएं।।
 *ranjeet@basantkumar* 
 1/9/2023



1. 🙏🏽🌹शुक्रिया........

परम पुरुष...!

शुक्रिया शुक्रिया
आपका शुक्रिया
तहे दिल से है__
आपका शुक्रिया........

आप धुर घर से चल कर के
आए यहां
जो दया की करूं उसका कैसे बयां...?
शुक्रिया शुक्रिया आपका शुक्रिया
तहे दिल से है
आपका शुक्रिया......

राह निज घर की आकर दिखाई हमें
जुक्ति चलने की उस पर सिखाई हमें
शुक्रिया शुक्रिया आपका शुक्रिया
तहे दिल से है__
 आपका शुक्रिया........

खुद निरख अपनी दी
खुद परख अपनी दी
प्रीति भी अपनी खुद
आप ही बख्श दी
किस जुबां से करें__
आपका शुक्रिया

शुक्रिया शुक्रिया__
आपका शुक्रिया........🙏🌹

       __ranjeetkaur@basantkumar
                   13 March 2018



2. 🌸🙏BHAKTI ........

Bhakti (devotion) is 'Super Highway' to spirituality.

It is aeroplane way to realize ultimate reality.

It is supreme love of soul towards ultimate source of divinity.

It sheds between soul and source all duality.

It requires heart filled with supreme love and purity.

It is total surrender to supreme Lord with all humility.

It is realization of supreme Truth, Goodness and Beauty.

It is  merging of finit  in to infinity 🙏🏼🌸

    __ranjeetkaur@basantkumar
                10 March 2018




3. 🎊🎊खुद पोशीदा रह कर....…

खुद पोशीदा रहकर दयाल ने
क्या होली खिलवायी 👌
चार लोक में फिरि दुहायी.....

खुद तो पोशीदा रहे पर
क्या 'फेरी' लगवायी👌
चार लोक में बजी बधाई.....

बीन बजी, बजी बांसुरिया
मृदंग ढोल पर ता ता थैया
झूम उठे बहना और भैया
सब रचना सरसायी.......

बादल गरजे बिजली चमकी
नाच उठी पूरी ही प्रकृति
इन्द्र देवता जल बरसायी......💦💦

झूमें पेड़, चली पुरवायी
देवी देव रंग बरसायी
ब्रह्मा विष्णु महेश तरसायी
पर ऐसा अवसर न पायी.....

खुद पोशीदा रह कर दयाल ने
क्या होली खिलवायी👌
चार लोक में फिरी दुहायी

    __ranjeetkaur@basantkumar
              4 March 2018


4. 🔥🎊अद्भुत फ़ाग रचाया........

'🔥🎊मम् राधास्वामी आज
200वें साल का_
अद्भुत फ़ाग रचाया........

ओजस्वी स्वर में_
रा-धा-स्वा-मी, रा-धा-स्वा-मी गाया
सबने रा-धा-स्वा-मी रा-धा-स्वा-मी दोहराया
आठों दिशाओं में उसको गुंजाया
होली का अचरज खेल खिलाया

🔥🎊मम्  राधास्वामी आज
अद्भुत फा़ग रचाया..........

द्वीशताब्दी वर्ष में नयी घोषणापत्रों का
फगुया संगत को नजर किया
राधास्वामी मत का परचम जग में फहराया
राधास्वामी मत को भारतीय संस्कृति से_
 मेल मिलाता हुया ही बतलाया
नूरानी होली का खेल खिलाया

🔥🎊मम् राधास्वामी आज_
अद्भुत फाग रचाया..........

हमारे गुनाहों पर माफी का रंग चढा़या
होली के सभी कार्यक्र्मों को
यथावत क्रियान्वित करने का ऐलान फरमाया
पूरी खुशी और उत्साह से_
द्वीशताब्दी मनाने का सन्देश दिया
नयी होली का खेल खिलाया

🔥🎊मम् राधास्वामी आज_
अद्भुत फा़ग रचाया.......

   __🙏ranjeetkaur@basantkumar
             1 March 2018



5. 👏क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए.........

क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए
हे दाता !
हमारी भूलों को क्षमा कीजिए.......🙏🏼

'भौतिक सांसारिकता' की रौ में हम बह रहे हैं
'आध्यात्मिकता' को हरचन्द नकार रहे हैं
'Dayalbagh way of living'को हम भुला रहे हैं
पर अब अपनी 'भूलों' परअब हम पछता रहे हैं
हमें 'बेहतर सांसारिकता'(Better Worldliness)सिखा दीजिए

क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए
हे दाता !
हमारी चूकों को अब क्षमा कीजिए.....🙏🏼

सुबह जल्दी उठ कर हम खेतों में पहुंचेंगे
खेत नहीं जाएंगे तो खाना नहीं खाएंगे
खेतों में खूब पसीना बहाएंगे
जो प्रसाद मिलेगा उसे प्रेम से खाएंगे
अपना शारीरिक, मानसिक और
आध्यात्मिक स्वास्थ्य बनाएंगे
आपकी दया मेहर की परशादी पाएंगे
चरन पकड़ कर आपसे प्रार्थना करते हैं_

क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए
हे दात
हमारी नादानियों को क्षमा कीजिए....🙏🏼

सुबह जल्दी उठ कर खेत पहुंचना हमारा फ़र्ज़ है
सचमुच यह तो हमारी इंसानियत पर कर्ज़ है
आलस्य और कोताही हमारा सबसे बड़ा मर्ज है
हमें अपना फ़र्ज़ पूरा करने की शक्ति दीजिए_
ये हमारी अर्ज है
अपनी गलतियों पर हम आंसू बहा रहे हैं

क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए
हे दाता !
हमारी गल्तियों पर माफी की कलम फेरिए....🙏🏼

आपकी हर आज्ञा में हमारा ही हित है
आप हमारे पिता हैं आप हमारे सच्चे मित्र हैं
आप हमारे सच्चे उपकार के लिए आए हैं
आप हमारे पूरे उद्धार के लिए आए हैं
 आपके मिशन को पूरा पूरा करेंगे
हम आपकी आज्ञा पालन में कोताही नहीं करेंगे
हम आपके भूलनहार बच्चे अपने कान
पकड़ कर माफी मांगते हैं
आपके चरणों में सिर रख कर माफी मांगते हैं

क्षमा कीजिए अब क्षमा कीजिए
हे दाता!
हमसे मत रूठिए हमसे मत रूठिए...👏
 
                15.2.2018

6. 🙏हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए.....

हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए
हमारे मनों में गन्ने सी मिठास भर जाए
सारी कड़ुवाहट दिलों से निकल जाए
सबके लिए दिलों में प्यार भर जाए

🙏हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए.......

"ईश्वर के पितृत्व और मानव मात्र के
भ्रातृत्व" भाव में विश्वास दृढ़ हो जाए
सृष्टि के कण-कण  में उसका नूर नज़र आए
हर एक मनुष्य में उसका ज़रूर नजर आए

हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए........

"मैं पन" मन से दूर हो जाए
"मेरे"की जगह सब "हमारा" हो जाए
"मैं" "तू"की जगह "हम सबका"हो जाए
"पहले मैं" की जगह "पहले आप" हो जाए

🙏हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए.......

एक दूसरे से बैर न हो
सब अपने कोई गैर न हो
मिल बांट के खाने का रिवाज हो जाए
सहयोग संगठन का आगाज हो जाए

🙏हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए.....

प्रार्थना ही नहीं दृढ़ संकल्प करना होगा
मालिक की सब आज्ञायों का पालन करना होगा
आपस में भ्रातृत्व भाव अपनाना होगा
सबको जैसे वो हैं वैसे अपनाना होगा
काश !कि हमसे यह सब हो पाए

🙏हे प्रभु कुछ ऐसा हो जाए........,

    __ranjeetkaur@basantkumar
             2April2018

7. 🏞️मेंरे साहब की नगरी राजाबरारी......

मेंरे साहब की नगरी राजाबरारी
मेरी अपनी सी प्यारी राजाबरारी
तीर्थों के तीर्थ सी राजाबरारी
प्राणों के संगीत सी राजाबरारी

मन मुग्ध कर गयी राजाबरारी
मेरे साहब की नगरी राजाबरारी.......

लहराता बलखाता मदमाता  रास्ता
सुनाता हो जैसे कोई अनकही  दास्तां
वो टीक के जंगल और उनकी हरियाली
वो आस्मां पे छाई घटा काली काली

मन मस्तिष्क पर छा गयी राजाबरारी
मेरे साहब की नगरी राजाबरारी......…

वो ठन्डी हवाएं मचलते से बादल
अचानक बरसना धुलें सब ही कल मल
पहाड़ों पे चढ़ जाना और फिर उतरना
उफनती नदी से बच के निकलना

मेरे स्वप्नों की नगरी राजाबरारी
मेंरे साहब की नगरी राजाबरारी.........

विंध्याचल सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाएं
चारों ओर अद्वितीय​ सौंदर्य बिखराएं
'काजल'और 'गंजाल' नदियों की कल कल
फ़िजां में नये ही रंग भर जाएं

आंखों में बस गयी राजाबरारी
मेरे साहब की नगरी राजाबरारी.........

भोले भाले आदिवासी भाइयों का स्नेह
वो भुट्टों को भूनना खिलाना हमें
वो छोटे छोटे घरों में प्यार का भन्डार
नन्हें मुन्ने बच्चों का प्यार और दुलार

कभी न भूलेगी राजाबरारी
मेरे साहब की नगरी राजाबरारी.......

    🙏🏼ranjeetkaur@basantkumar
                 23 . 5 . 2018


8. 💦यमुना किनारे ऐतमाली........

 यमुना किनारे क्या अद्भुत नज़ारे
जहां विराजें दाता हमारे
सूरज अनोखा ही नित यहां उगता
सूरज के आते ही छुप जाते तारे

💦यमुना किनारे ऐतमाली.........

हवाएं अनोखी ही बहतीं यहां पर
शर्मातीं सूरज की देख के लाली
यमुना की लहरें, लहरों में सूरज
ऊपर से घिरती घटाएं हैं काली

💦यमुना किनारे ऐतमाली ........

लोगों का जमघट बच्चों की उछल कूद
कहीं छाया कहीं कहीं धूप
गन्ने के खेत मूंग की क्यारियां
काम करते नन्हे बच्चों की किलकारियां

💦यमुना किनारे ऐतमाली........

चिड़ियों की चहचहाहट कोयल की कुहुक
दिलकश नजारे दिलकश महक
 दया मेहर की रिमझिम फुहारें
चारों तरफ बहारें ही बहारें

💦यमुना किनारे ऐतमाली.....

सेवा का अद्भुत स्थान से ये
हो जाता गंगा स्नान यहां
मिल जाता भक्ति का दान
सबके लिए है वरदान है ये

💦यमुना किनारे एतमाली

    ranjeetkaur@basantkumar
          22 . 5 . 2018

9. 🙏म्हारे सतगुरु ने.........

म्हारे सतगुरु ने जलवा दिखाय दीन्हो
अमावस्या में चांद उगाय दीन्हो
धरती पे कमल खिलाय दीन्हो
देखो रोतों को फिर से हंसाय दीन्हों

म्हारे सतगुरु ने जलवा दिखाय दीन्हों.....

ऐसे सतगुरु पे जाऊं कुर्बान मैं री
ऐसे सतगुरु को ध्यायूं दिन रात मैं री
ऐसे सतगरु पे वारूं ख़ुद आप को री
मोहि सोती को आय जगाय दीन्हों

म्हारे सतगुरु ने जलवा दिखाय दीन्हों....

सारा जग देख के हैरान है रे
कैसे मौसम का बदला मिजाज है रे
सतगुरु ने कीन्हो चमत्कार है रे
काल को देखो हराया दीन्हों

म्हारे सतगुरु ने जलवा दिखाय दीन्हों......

 __ranjeetkaur@basantkumar
           9 June 2018

10.रे मन.....

रे मन मोड़ ले
अपना दिल मोड़ ले
इस दुनिया से मोड़ ले....

रे मन जोड़ ले
अपना दिल जोड़ ले
गुरु चरणों में जोड़ ले.....

दुनिया की प्रीति भी
देती है खुशी
लाती है मुस्कान चेहरे पर....

खिलाती है फूल बेशुमार
चम्पा के मोगरे के
मन के हर कोने में...

पर.....

पर....

दुनिया है न
मौसम तो बदलेंगे ही
पतझड़ भी आएगा
आंधी भी आएगी
गुलशन उजड़ेंगे
पेड़ उखड़ेंगे
बगिया सूखेगी

खुशियां मुरझांएगी
दुख में बदल जाएंगी

तभी न कहती हूं
रे मन सुन

मोड़ अपने मुख को
दुनिया से मोड़
एक झटके से..

जोड़ अपने दिल को
गुरु चरणों में जोड़
एक झटके से

गुरु की प्रीति
सदा बहार

अहा😁😁

सदा सुखदाई
दिन दिन बढ़े
परवान चढ़े

कभी न सूखे
कभी न घटे

सुवासित कर दे तन मन सारा
करदे सरोबार असीम अनन्त आनन्द से
यहां भी इस धरा पर
और...
छुड़ा दें हमेशा के लिए
यहां के बन्धनों से....

रे मन
एक झटके में मोड़ अपना मुंह इस जग से
एक झटके में जोड़ अपना दिल
गुरु चरणों में

और...

हमेशा के लिए डूब जा
असीम अनन्त आनन्द सागर में....

    __ranjeetkaur@basantkumar
               8June 2018

11. 🙏 यकीन मानिए.........

यकीन मानिए आपके जाने से मायूस नहीं हैं हम
पर आपके लौट आने से बहुत खुश होंगे हम....

अपने ही सिखाया है सम भाव से रहना
ज़िंदगी के हर दर्द को मुस्करा के सहना
कांटों पे चलना फूलों सा हंसना
मन ही मन सहना किसी से न कहना

यकीन मानिए ग़मगीं नहीं हैं आपसे जुदा हो हम
पर आपके लौट आने से बहुत खुश होंगे हम......

आपके जाने से छाई है उदासी
सहम सी गई है हवा भी यहां की
सुबह चुप सी है शाम भी अजीब है
कुम्हला गयी है हर कली यहां की

यकीन मानिए फिर भी निराश नहीं हैं हम
पर आपके लौट आने से बहुत ख़ुश होंगे हम

परिंदों ने चहकना कुछ कम सा किया है
फूल भी महकना कुछ भूल गये हैं
पेड़ पर चढ़ती उस लता को देखो
पल्लव सब उसके कुछ झूल गये हैं

यकीन मानिए याद नहीं करते आपकी हम
पर आपके लौट आने से बहुत खुश होंगे हम

    __ranjeetkaur@basantkumar
            7 June 2018

12. 🌾🌾आज खेत में......

आज खेत में हमने एक अचरजी नज़ारा देखा
एक छोटा सा सूरज आस्मां पे
और एक विशाल सूरज ज़मीं पे चमकता देखा

हम काम करते रहे
दोनों को निहारते रहे
दोनों का आनन्द लेते रहे

आस्मां के सूरज ने मन में स्फूर्ति भरी
जमीं का विशाल सूरज आत्मा को आल्हादित करता रहा
मन में प्रेम प्रीति​ के फूल खिलाता रहा

मन्द समीर के झोंके निरंतर  बहते रहे
सूर्य से हम तक, हम से सूर्य तक
सन्देश वाहक की तरह

आस्मां का सूर्य निरंतर चलता रहा
मानो परिक्रमा कर रहा हो ज़मीं के सूर्य की
आराधना कर रहा हो उसकी

परम आनन्दित से स्तबध हो हम देखते रहे
सुनते रहे वार्तालाप परम सृष्टा और सृष्टि के मध्य
होते रहे रोमांचित हर क्षण हर पल

खेत में आइए तो देखिए तरह तरह के नज़ारे
खेत में आइए तो रूबरू होइए करिश्मों से
बरखुरदार घर की चारदीवारी में क्या देखिएगा?

आज खेत में हमने एक अचरजी नजारा देखा
एक छोटा सूरज आस्मां पे
और एक विशाल सूरज ज़मीं पे चमकते देखा......

    __ranjeetkaur@basantkumar
            2 June 2018

13. खेतों में सूर्यास्त..........

सुबह को सूर्योदय का तो शाम को सूर्यास्त का आनन्द लीजिए
खेतों में सेवा करने का आप पूरा पूरा आनन्द लीजिए

वो देखते ही देखते सिर पर आग उगलता गोला
सरकने लगा
पश्चिम दिशा की ओर वह खिसकने लगा

थोड़ी नरमी दिखाने लगा वह धधकता गोला
थोड़ा बुझने सा लगा वह आग का गोला

ओह वो देखो तो दाएं ओर के पेड़ के झुरमुट में जाकर छुप रहा है
बस एक सफेद गोले सा दिख रहा है

कुछ ठन्डक सी होने लगी
कुछ हवा भी चलने लगी

अहा पेड़ों की आड़ में कैसा रंग सा बिखर गया लाल लाल
आसमान सिन्दूरी हो गया

कहां खो गयी लाली अचानक ही
सब सफेद पर चमक दार दिखाई दे रहा है
पेड़ों के पीछे

देखते ही देखते सब रंग उड़ने लगे बुझने लगे
बस अब सुरमयी रंग....

मौसम हो गया सुरमयी
आसमां की चादर के पीछे जाकर सो गया सूरज

सूर्यास्त हो गया खेतों पर......

सुबह सूर्योदय का और शाम को सूर्यास्त का आनन्द लीजिए
खेतों में काम करने का पूरा पूरा आनन्द लीजिए

    __ranjeetkaur@basantkumar
               1 June 2018

14. 💥लौट आया है नूर.......

लौट आया है नूर और नूरानी होकर उच्च शिखर से
छा गया है नूर और नूरानी होकर हर चेहरे पे

रौशन हो गया ज़र्रा ज़र्रा 'दयाल' की इस ज़मीं का
खिल उठा हर दिल कमल की कली सा

गा उठा हर कण्ठ गीत मिलन का
नाच उठा हर हृदय मोर सा भंवर सा

दूर हुयी वीरानी गुलज़ार हुया गुलशन
चली खुशनुमा हवा खिल गया चमन

फिर से मिला चमन को नूर और नूरानी होके
फिर से चहका हर परिंदा और उमंग से भरके

लौट आया है नूर और नूरानी होके उच्च शिखर से
छा गया है नूर और नूरानी होकर हर चेहरे पे

    __ranjeetkaur@basantkumar
             31 May 2018

15. ☯️अन्धेरों में ही.......

अन्धेरों में ही उगते हैं चांद और सितारे
दिखते हैं आस्मां पे दिलकश नज़ारे

अन्धेरे में बिखरती है चांद की चांदनी
अन्धेरे में ही खिलती है रात की रानी

अन्धेरे कब तक अन्धेरे रहते हैं रे मन
थामें रहते हैं उजालों की डोर हर दम

हर रात कभी न कभी ढ़लती ही है
हर रात की सुबह होती ही है

रे मन अन्धेरों से मत तू घबरा
अन्धेरों से ही अपनी बगिया सजा

चन्दा और तारों को मन में उगा
रजनीगंधा मन में खिला

सही वक्त का फिर तू कर इंतजार
सुनेगा ख़ुदा तेरी जल्दी पुकार

    __ranjeetkaur@basantkumar
                 25 May 2018

16. 🌸कजरी🌸

मोरे सतगुरु ने मोहि अपनाय लियो रहे
बैरी दुनिया से नाता छुड़ाय दियो रे
अपने सत्संग में मोहि बुलाय लियो रे
अमृत रस मोको पिलाय दियो रे

मुझ सोती को देखो  जगाय दियो रे
मोरे सतगुरु ने मोहि अपनाय लियो रे.......

मैं तो दुनिया के रंग में रंग रही थी
दुनियां में डूबी उमंग रही थी
दुनिया के बन्धनों में जकड़ रही थी
शान शौकत में कैसी अकड़ रही थी

मोहि सत्संग का भेद जनाय दियो रे
मोरे सतगुरु ने मोहि अपनाय लियो ये.......

दुनिया के रंजो ग़म में अटक रही थी
दुनिया का ज़हर गटक रही थी
दुनिया की मार सटक रही थी
कभी रो रही थी कभी हंस रही थी

मोहि रोती को देखो जगाय दियो रे
मोरे सतगुरु ने मोहि अपनाय लियो रे.......

दुनिया को सब कुछ समझ रही थी
दुनिया में पूरा मैं रम रही थी
दुनिया में पूरी मैं फंस रही थी
भीतर तक दुनियां में धंस रही थी

मोहि दुनिया से देखो हटाय दियो रे
मेरे सतगुरु ने मोहि अपनाय लियो रे.........

    __ranjeetkaur@basantkumar
               10 June 2018

17. 🌱🌿जेठ की तपिश में.......

जेठ की तपिश में
 सावन बन लौट आए
किसकी पुकार सुन कर
मौसम दिया बदलाए

सखीरी मेंरे प्रीतम ने
अचरज खेल खिलाया
Surprise gift देकर
हम सबको ही लुभाया

आंख मिचौली का खेल
खेलें हमारे साथ
आपकी मौज
न आए हमारे हाथ

बस यूं ही हम सबको
अपना बनाए रखिए
कभी रूठिए न हमसे
बस माफ करते रहिए

मुस्कराते रहिए
हंसते हंसाते रहिए
खाते खिलाते रहिए
आते और जाते रहिए

शत् शत नमन करें हम
आपके चरण में
पूरी तरह से हैं हम
बस आपकी शरण में

    __ranjeetkaur@basantkumar
              15 June 2018

18. क्या पूछते हैं आप........??

क्या पूछते हैं आप आज कैसा हाल है?
दिल मोतियों सा और हंस जैसी चाल है
मुर्शीदे कामिल हमारा बेमिसाल है
कर दिया उसने तो सबको निहाल है

क्या पूछते हैं आप आज कैसा हाल है?

जो सोचते हैं हम जो बोलते हैं हम
जो चाहते हैं हम जो मांगते हैं हम
एक पल में ही करता वो माला माल है
मुर्शिदे कामिल हमारा बेमिसाल है

क्या पूछते हैं आप आज कैसा हाल है?

लड्डू हमारे दोनों हाथों में दे दिए
परमार्थ स्वार्थ दोनो ही मुट्ठी में धर दिए
मन और माया का मगर काटा जाल है
हर चाल मेंरे मुर्शिद की हस्बेहाल है
मुर्शिदे कामिल हमारा बेमिसाल है

क्या पूछते हैं आप आज कैसा हाल है?

हम सबके लिए सहता है मुश्किल वो आप ही
हम सबकी करता है सम्हाल आप है
सारे करम हमारे अपने पे लेता डाल
रहमो करम का मुर्शिद जीती मिसाल है
मुर्शिदे कामिल हमारा बेमिसाल है

क्या पूछते हैं आप आज कैसा हाल है?

    __ranjeetkaur@basantkumar
           13 June 2018

19. 🏘️दयालबाग से बाहर दयालबाग बसाया......

दयालबाग से बाहर  दयालबाग बसाया दयाल ने......
'दिल्ली स्वामी नगर' का फूल खिलाया
दयाल ने
सत्संग संस्कृति का सूरज उगाया दयाल ने
मानो एक और शहतूत का पेड़ लगाया दयाल ने

दयालबाग से बाहर दयालबाग बसाया दयाल ने.....

हवायों में सत्संग की खुशबू बसी है
फ़िज़ाओं में धुन सत्संग संस्कृति की
नज़ारों में सत्संग के ही रंग भरे हैं
बहारों में लय दयाल की बांसुरी की

यह कैसा नगर है बनाया दयाल ने......!

दयालबाग से बाहर दयालबाग बसाया  दयाल ने....

सत्संगियों की फुलवारी है प्यारी
करें सेवा मिलकर न्यारी से न्यारी
प्रेम प्रीति धारें मिल कर रहें सब
बैर  ईर्ष्या को हृदय से निकारी

यह सुंदर सा घर बसाया दयाल ने.....!

दयालबाग से बाहर दयालबाग बसाया दयाल ने.....

सुपर मैन हैं सब सुपर सेवा करते
सुपरमैन की नस्ल यहां उग रही है
मालिक की दया रहे हर वक्त संग
अनोखी हवा हर वक्त चल रही है

यह घोंसला अनोखा बनाया दयाल ने......!

दयालबाग से बाहर दयालबाग बसाया दयाल ने....

    __ranjeetkaur@basantkumar
             17 June 2018

20. 🌷अर्र - रर खूब धूम मचाई....

धन्य भाग आज वर्षा रानी आई
सत्संग में मालिक ने विशेष दया  बरसाई
प्रेम के बदरा लाई

🌷 अर्र-  रर खूब धूम मचाई......

 ढ़ोलक खूब बजाई, गायी खूब बधाई
बागबां के बगीचे में नयी फसल उगाई
सुपर मैन की परेड कराई

🌷अर्र - रर खूब धूम मचाई........

वाह क्या कव्वाली गायी
Systems science भी शरमाई
पन्नी गली लगा जैसे आंखों के आगे आईं

🌷अर्र- रर खूब धूम मचाई......

शब्द का मांगा दाना
मन सचमुच हुया निमाना
प्रेम घटा घट छाई

🌷अर्र- रर खूब धूम मचाई.....

खेतों का प्रसाद सत्संग में पाया
सबका मन हर्षाया
द्वीशताब्दी हमने मनायी

🌷अर्र - रर खूब धूम मचाई.....

    __ranjeetkaur@basantkumar
         1 . 9 . 2018

21. Saturated solution सा......

नहीं अब और नहीं
बहुत से भी बहुत ज्यादा दिया मेरे दाता
इस नन्हे से दिल में बस और कुछ नहीं समाता
हो गया है मेरा मन तृप्त बस__

सन्तृप्त विलयन सा
Saturated solution सा........

पढ़ाया था न science की class में
Teacher ji ने
Science Lab में जाकर प्रयोग भी  दिखाया होगा
पानी(घोलक) में चीनी या नमक(घुलित) डालते जाओ
तो एक सीमा के बाद चीनी नमक का घुलना
 बन्द हो जाता है
और ऐसे घोल को
'सन्तृप्त विलयन' कहते हैं
या अंग्रेजी में
Saturated solution

तो बस वही मेरे प्रभु......

तू मिल गया
सब मिल गया
मन ऊपर तक भर गया
अब और खुशियां कहां समाएं
छलक छलक पड़ती हैं
इधर उधर उछलती हैं
इधर उधर बिखरती हैं
प्याला मेरा खुशियों का
तृप्त हो गया
सन्तृप्त विलयन सा
Saturated solution सा.......

तेरी दया मेहर की मिठास
मन के हर अणु में समा गयी
रूखा फीका  मेरा मन मिठास से भर गया
मिठास से सिक्त हो गया
अब और मिठास कहां समाए
नीचे बैठ बैठ जाएं
हो गया मन तृप्त
सन्तृप्त विलयन सा
Saturated solution सा.......

तू जो मिल गया तो सब मिल गया
अब किस बात की चाहना
तुझे पाकर न्यूनता पूर्णता में बदल गयी
 रिक्त मन पूर्णता से सिक्त हुया
सन्तृप्त विलयन सा
Saturated solution सा........

    __ranjeetkaur@basantkumar
               9 . 9 . 2018

22. 💠क्या पूछते हो तुम कि.......

क्या पूछते हो तुम कि क्यों मस्त हूं मैं
खोकर जहां को अपने नहीं पस्त हूं मैं

तुम क्या जानो किसके हाथों बनी हूं मैं
तुम क्या जानो किसके रंग में रंगी हूं मैं

खुद ख़ुदा ने अपने हाथों मुझे बनाया
अपनी ख़ुदी के रंग से ख़ुद ही मुझे सजाया

इसलिए तो अब तक टिकी हुई हूं मैं
इसलिए तो अब तक झुकी नहीं हूं मैं

क्या पूछते हो कैसे मुस्का रही हूं मैं
अपनी कलम से दुनिया महका रही हूं मैं

    __ranjeetkaur@basantkumar
                  15 . 9 . 2018

23. 🙏🏽रब्ब नूं याद करो.......

बाश्शाओ न भुल्लो
रब्ब नू याद करो
हर वेल्ले याद करो......

ऐ बाश्शायी त्वाडी
कम्म नयियो आन्नी
चार दिन दी चांदनी
फेर अन्धेरी रात छा जान्नी
ओस्स वेल्ले दा कुछ ख्याल करो

रब्ब नू याद करो........

सिमरन सिमर सिमर ओद्दा नां
लै ओद्दी सरन सच्ची
कर सत्संग ओद्दा दिल नाल
कर सेवा वी दिल नाल अच्छी
मन विच रब्ब दा प्रेम भरो

रब्ब नू याद करो......

दुनिया दे सारे कम्म करो बाश्शाओ
पर ओन्नू न भुलाओ
खान्दे पीन्दे चलदे फिरदे
ओदा नां लेन्दे जाओ
दुखियां दें कष्ट हरो

रब्ब नू याद करो........

    __ranjeetkaur@basantkumar
              23 . 9 . 2018

24. शिद्दत से तेरा इन्तज़ार करते हैं......

शिद्दत से तेरा इंतज़ार करते हैं
ऐ मौत हम तो तुझसे प्यार करते हैं

कब आएगी छुड़ाएगी जंजाल से
हम तो तेरा इस्तकबाल करते हैं

तुझसा न ख़ूबसूरत कोई जहान में
हम तो तुझपे जां निसार करते हैं

तन के पिंजरे से कब निकलना होगा
हर घड़ी बस ये बात करते हैं

मन से भी मिल जाए आज़ादी हमें
 गुरु से बस यही फ़रियाद करते हैं

तीर की तरह निकल के कब भागेंगे हम
उस मुबारक दिन की याद करते हैं

जाके पहुंचे वहां जहां कि पहले थे
हम तो उस "निज घर" की आस करते हैं

    __ranjeetkaur@basantkumar
              27 . 9 . 2018

25. मोहि सत्संग रीति सुहा गयी.......

जग की रीति जरा नहीं भावे
मोहि सत्संग रीति सुहा गयी
मैं तो अब सत्संग में आ गयी
गुरु चरनन में बासा पा गयी

मोहि सत्संग रीति सुहा गयी........

सुमिरन ध्यान भजन और सेवा
गुरु चरनन में मिलता मेवा
गुरु दर्शन में चित्त हुलसाता
गुरु मेंरे देवन के देवा
राधास्वामी नाम की महिमा
मेरे चित्त समा गयी

मोहि सत्संग रीति सुहा गयी.....

सादा जीवन उच्च विचार
सतगुरु भक्ति सदाचार
कर्म ही पूजा कर्म ही सार
पकड़ चलो शब्द की धार
सुरत शब्द योग में मैं
पूरन परमारथ पा गयी

मोहि सत्संग रीति सुहा गयी

दम दम शुकराना मैं गाऊं
गुरु चरनन में सीस नवाऊं
बार बार सत्संग को धाऊं
सेवा कर मैं गुरु मनाऊं
मन से सब ही भरम नसाऊं
मोहि सुमति अब आ गयी

मोहि सत्संग रीति सुहा गयी.......

Ranjeetkaur@basantkumar
      27.10.2018

26. 🌷एक लक्ष्यता.........

बिखराव.... नहीं सिमटाव
एक लक्ष्य की ओर झुकाव
इसी से मिल सकते हैं राम
इसी से मिल सकता भगवान

नहीं है मंजिल यह आसान
हर इक पग पर मिलते बान
मिले ठोकर गिरें पल में
छोड़ मन क्या तू सब अभिमान

सामने तेरे हो बस एक
लक्ष्य पर अपनी दृष्टि तान
न आगे देख न पीछे देख
लक्ष्य ही को तू सब कुछ मान

बेधता अपना लक्ष्य तू चल
कहीं मत बुद्धि अपनी सान
चलाचल सीधे रस्ते पर
लगा दे पूरी अपनी जान

लक्ष्य खुद चल कर आएगा
तुझे वह खूब सुहाएगा
मिलेगी तुझको खुशी अपार
तेरे होंगे पूरे अरमान

  __ranjeetkaur@basantkumar
        1 Nov.2018

27. 💠अभी बहुत कुछ करना है.......

अभी बहुत कुछ करना है
अपने से खुद ही लड़ना है
अपना रूप बदलना है
Homo sapien से
Homo Spiritualis बनना है

💠अभी बहुत कुछ करना है.......

अमृत वेला में उठना है
गुरु का नाम सुमिरना है
सत्संग सेवा चित से करके
सतगुरु को खुश करना है

💠 अभी बहचत कुछ करना है.....

काम क्रोध को तजना है
लोभ मोह से बचना है
अपने मन को सतगुरु के
प्रेम रंग से रंगना है

💠 अभी बहुत कुछ करना है.......

कितना दुनिया में फैल रहे हैं
थोड़ा हमें सिमटना है
कार्य मात्र बरतें इस जग से
दूर हमें अब हटना है

💠 अभी बहुत कुछ करना है......

अपने मन के भीतर धंस कर
ध्यान गुरु का करना है
गुरु का दर्शन भीतर पाकर
शब्द श्रवण फिर करना है

💠 अभी बहुत कुछ करना है.....

शब्द की डोर पकड़ कर घट में
दिन दिन ऊपर चढ़ना है
नित नित नूतन अनुभव पाकर
आगे आगे बढ़ना है

💠 अभी बहुत कुछ करना है.....

होमो सेपियन से हमको
 होमो spiritualis बनना है
 सामान्य मानव से हमको
आध्यात्मिक मानव बनना है

💠 अभी बहुत कुछ करना है..…..

    __ranjeetjkaur@basantkumar
           22.10.2018

28. नयी चाल हस्बेहाल बेमिसाल.....

नयी चाल हस्बेहाल बेमिसाल
चल रहें हैं आज ज़ुल ज़लाल

मधुरी चाल चल आवें सतगुरु
सबको खूब रिझाय रहे री
सत्संगी सब नाचें गावें
देख देख हर्षाए रह री

नयी चाल हस्बेहाल बेमिसाल.…..

आवें जावें पैंयां पैंया
चमत्कार दिखलाए रहे री
हंस हंसनी परमधाम से
दर्शन कर मुस्काए रहे री

नयी चाल हस्बेहाल बेमिसाल.....

नया रूप लख अपने गुरु का
 सब शुकराना गाय रहे री
कौन मौज ये करी गुरु ने
सब मिल भाग सराय रहे री

नयी चाल हस्बेहाल बेमिसाल
चल रहे हैं आज ज़ुल ज़लाल

    __ranjeetkaur@basantkumar
             21 . 10 . 2018


29. पर दया का सागर उमड़ने लगा ।
अपने बच्चों के पश्चाताप का असर यह हुआ।
 एलान पल भर में जारी कर दिया।
  सबको खेतों में बुला ही लिया।

पाकर फरमान दया से भरा।
 प्रेमियों का हिया शतधा उमड़ने लगा।
  सैलाब उनका खेतों को चल दिया ।
  दाता जी के दुलार ने सबको मगन कर दिया।
 प्यारे दादाजी के दर्शन पाऊं हंसने लगी
  
खेतों की रौनक का करूं क्या मैं बयां ।
हर हाथ में दराती का औजार था।
 खेतों को काटते सब आगे बढ़ने लगे।
 प्यारे दाता जी के दर्शन पा हुलसने लगे।
 
भंडारा दाता जी के साथ था ।
सत्संग और कव्वाली का गान था।
सब मगन थे दया का उमड़ा सैलाब था ।
उनके प्यार दुलार का न वार पार था।

हर्षोल्लास से पूरा हुआ सब काम ।
प्रफुल्लित सभी छुट्टी पर घर को चले ।
मेहता जी महाराज का भंडारा संपन्न हुआ।
 सबका मन आल्हा से था भर गया।
 
 दाता जी के हम बच्चे गुनाहगार हैं ।
 कई कमजोरियों के हम शिकार हैं।
  उनकी दया के तो फिर भी हकदार हैं ।
  सुधार लेंगे हमें इसका एतकादहै ।
  
बस यूं ही हमें अपना बनाए रखना ।
काल और माया से बचाए रखना ।
शीश पर धरकर दया से भरा हाथ ।
अपने चरणों से हमको लगाए रखना।

डॉक्टर स्वामी प्यारीकौड़ा
4/64 विद्युत नगर
 दयालबाग आगरा
 21-3-2021


गेहूं की कटाई।        अप्रैल 2021


गेहूं की कटाई का पर्व आ गया ।
हर तरफ सेवा का माहौल छा गया ।

दाता जी ने दया की बरखा की भारी ।
प्रेमियों को कटाई पर आने का फ़रमान किया जारी ।

हर ओर बस सेवा का ही मचा शोर है।
 हर प्रेमी के मन में सेवा का ही जोश है ।
 
सुबह ,शाम, रात, दोपहर खेतों में चल रही दरातियां।
शुक्रिया सेवा का मौका मिला दाताजी की मेहरबानियां ।

नित नया हुक्म दाता जी का हो रहा है जारी ।
संगत जी जान से कर रही उसकी फरमावदारी।

 आने वाले कठिन समय की हो रही है तैयारी ।
 संगत भी दाताजी के निर्देशन में कर रही है तैयारी ।
 
 खेतों में भांति भांति के प्रशादों का लगा है अंबार ।
 सुपरमैन वीरांगना और युवा वृद्ध सब पर लुट रहा है प्यार।
 
 अमृत पेय रोज़ पिला सबको बज्र सा बना दिया।
  हर वक्त सेवा को तत्पर हर प्रेमी को बना दिया।
  
सत्संग जमात हर मुश्किल राह पर है चल दी ।
आने वाली हर मुसीबत से जूझने को तत्पर हो चली ।

दाता जी की आज्ञाओं के पालन का शऊर आ रहा ।
हर प्रेमी खुद को अपनी ही कसौटी पर कसता जा रहा।

 मन और माया से सहज ही जीव छूटता जा रहा ।
 दाता जी की रासलीला में दिन रात रंगता जा रहा ।
 
हम सब प्रेमियों की बस इक यही है अर्जी।
 हर काम में हमारे शामिल हो उनकी मर्जी।
 
ना भटकें ना अटकें ना हों दूर कभी आपसे।
 दिन रात मेहनत करें विकसित हों बस आपसे ।
 
हर मुश्किल में हमारी आपने ही थामा है हमें ।
कसकर पकड़ी बांह हमारी बेफिक्र कर दिया है हमें।

 तेरे दर से दूर अब हम जा सकते हैं नहीं।
  हाज़िर सदा तेरे चरणों में रहें आरजू है बस यही।



डॉक्टर स्वामी प्यारी कौडा़
4 /64 विद्युत नगर 
दयालबाग ,आगरा
8-4-2021


🙋‍♂️🙋‍♀️🙏🙋‍♂️🙋‍♀️🙏🙋‍♂️🙋‍♀️🙏🙋‍♂️🙋‍♀️
🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏
     *कोरोना की जंग !*
                                 *सतगुरु के संग !!*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 *जीत जायेगें हम, यह जंग।*
*सतगुरु है, हमारे संग।।*
🙏नो घबराहट, नारे के साथ,
हुज़ूर मेहताजी महाराज है हमारे संग।
*जीत जायेगें हम, यह जंग।*
*सतगुरु है, हमारे संग।।*
🙏सहयोग, संगठन, सफलता,
 हुज़ूर डा. लाल साहब है, हमारे संग।
*जीत जायेगें हम, यह जंग।*
*सतगुरु है, हमारे संग।।*
🙏🙏जब बोलों तब > *रा धा स्वा मी*🙏🙏
आओ खेतों में एक दूसरे के संग।
हुज़ूर सतसंगी साहब है, हमारे संग।
*जीत जायेगें हम, यह जंग।*
*सतगुरु है, हमारे संग।।*

🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


😭😭😭😭😭
🙏🙏🙏🙏🙏
    राधास्वामी
😭😭😭😭😭
       अरज
😭😭😭😭😭
मेरे सतगुरु दीनदयाल
अरज हमारी एक आज सुन लीजिए😭
हम सब है कसुरवार माफ हम सबको आज  कीजिए😭
अपने चरणों से जुदा किसी को भी ना कीजिए😭
अपनी दया व मेहर सब पर आज कीजिए हा सब पर आज कीजिए😭
काल की आंधी चली उसको आज रोक लीजिए😭
मेरे सतगुरु दीन दयाल अरज हमारी एक आज सुन लीजिए😭
अपनी रहमतों के दरबाजे आज सबके लिए खोल दीजिए हा सब के लिए खोल दीजिए😭
हम सब आपके दर के बिखारी है, भीख आज सबको दे दीजिए😭
झोली पसारे दर पर खड़े है सभी अपने चरणों का सहारा सब को आज दे दीजिए हा दे दीजिए😭
काल आपसे बड़ा हो नहीं सकता आपके किसी बच्चे को वह छू नहीं सकता यह सबसे आज कह दीजिए😭
मेरे सतगुरु दीन दयाल अरज हमारी आज एक सुन लीजिए😭
अपने बच्चों की पुकार आज सुन लीजिए😭
आपके बच्चों के कदम डगमगायें नहीं इतनी रहमत आज सब पर कीजिए😭
सबकी नजर बस आज आपके दर पर, सब पर आज दया कीजिए😭
गुनाहों को सबके माफ कर सबके सीस पर अपनी ममता का हाथ आज रख दीजिए😭
दया कीजिए, दया कीजिए, दया कीजिए
😭😭😭😭😭🙏🙏🙏🙏🙏


*आज  २३-०४-२०२१  की  सुबह  खेतों  में  ग्रेसियस  हुजूर  जी  ने  फरमाया:-*

【जब  बोलो  तब  राधास्वामी!  
(र  स  साधु  सन्यासी,  एक्जीक्यूट) - २  बार, 
राधास्वामी  बोल  प्यारे  राधास्वामी, 
(र  स  साधू  सन्यासी, इनसे  बचे  तो  भोगें  काशी)  
जब  बोलो  तब  राधास्वामी  मेरे  प्यारे  राधास्वामी,  
र  स  साधू  सन्यासी,  इनसे  बचे  तो  भोगें  काशी,  
तेरे  चरनों  में  प्यारे  ऐ  पिता  मुझे  ऐसा  दृढ  विस्वास  हो।   
रा  धा  स्वा  मी  जब  बोलो  तब  राधास्वामी  मेरे  प्यारे  राधास्वामी,  
र  स  साधू  सन्यासी,  इनसे  बचे  तो  भोगे  काशी  एक्जीक्यूट,  
जब  बोलो  तब  राधास्वामी  बोल  प्यारे  राधास्वामी  एक्जीक्यूट】

 *राधास्वामी*


🙏🙏🙏🙏 *!! गुहार !!* 🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

*महाकाल ने रूप धरा है विकराल।*
*निगलने चला आ रहा, फैला अपना जाल*

🙏 *दाता दयाल अब रक्षा कीजिए।*🙏
*काल के विकराल पंजों से छुड़ा लीजिए।*

*रात दिन सुबह शाम रहते हैं सब घबराए।*
*काल के घातों को हम नहीं समझ पाए।*

*दया के सागर अब हमारे सर पर हाथ धर दीजिए।*
 *महाकाल के चक्कर से हम को बचा लीजिए।*

 *दरबार पर तुम्हारे अर्ज़ी हैं हम लेकर आए।*
     🙏🙏 *मेरे दाता दयाल !* 🙏🙏
             *दया कर कबूल कर लीजिए।*
  
🙏 *उजड़ते परिवारों की अब आप ही रक्षा कीजिए।* 🙏
   🙏 *बिलखते बालकों के सर पर हाथ धर दीजिए।* 🙏

 *आप है समर्थ काल का मुख मोड़ने में।*
 *दाता दयाल अब जरा भी विलंब ना कीजिए।*

*ज़र्रा ज़र्रा आपकी ही ओर है निहार रहा।*
*आपकी दया पाने की तमन्ना है पाल रहा।*

*कर्मों का बोझ बहुत है, उससे उबारिए।*
🙏 *अपने डूबते बच्चों को बचा लीजिए।* 🙏

*बिन दया के हम सभी डूब जाएंगे।*
*महाकाल के ग्रास बनते जाएंगे।*

🙏 *बांह पसार अब हमारी रक्षा कीजिए।* 🙏
     🙏🙏 *मेरे दाता मेरे सतगुरु,* 🙏🙏
       🙏 *दया की बरखा कीजिए।* 🙏

🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


गुहार


महाकाल ने रूप धरा है विकराल ।
निगलने चला आ रहा फैला अपना जाल ।

दाता दयाल अब रक्षा कीजिए ।
काल के विकराल पंजों से छुड़ा लीजिए।
रात दिन सुबह शाम रहते हैं सब घबराए ।
काल के घातों को हम नहीं समझ पाए ।

दया के सागर अब हमारे सर पर हाथ धर दीजिए।
 महाकाल के चक्कर से हम को बचा लीजिए ।
 दरबार पर तुम्हारे अर्जी हैं हम लेकर आए।
  मेरे दाता दयाल दया कर कबूल कर लीजिए।
  
  उजड़ते  परिवारों की अब आप ही रक्षा कीजिए।
   बिलखते बालकों के सर पर हाथ धर दीजिए ।
 आप है समर्थ काल का मुख मोड़ने में ।
 दाता दयाल अब ना जरा भी विलंब कीजिए।

ज़र्रा ज़र्रा आपकी ही और है निहार रहा ।
आपकी दया पाने की तमन्ना है पाल रहा ।
कर्मों का बोझ बहुत है उससे उबारिए ।
अपने डूबते बच्चों को बचा लीजिए ।

बिन दया के हम सभी डूब जाएंगे ।
महाकाल के ग्रास बनते जाएंगे ।
 बांह पसार अब हमारी रक्षा कीजिए ।
 मेरे दाता मेरे सतगुरु दया की बरखा कीजिए।


डॉक्टर स्वामी प्यारी कौड़ा
4/64 विद्युत नगर
 दयालबाग ,आगरा
 23-4-2021


*अमृत रूपी हलवा है, कुल मालिक का जलवा है*
********************************
*याद है हम बच्चों को वो पवित्र दिवस अट्ठारह मई*।
*जब इस जगत में उद्घोषित हुई थी उमंग नई*।।
*छाई थीं चहुं ओर उस पवित्र साल जो था सन् दो हज़ार तीन*।
*जब संपूर्ण ब्रह्मांड में कहीं बजे शंख, कहीं मृदंग, कहीं बंसी तो कहीं बीन*।।
*गत वर्षों से उन दयाल की दया निरंतर रही जारी*।
*हम सब बच्चों की हर दम, हर पल,अर्ज़ सुनी हमारी*।।
*तकनीकी, डी ई आई, अध्यात्म, खेत सेवा, संत सू, और अनगिनत विषयों में रहा अदम्य योगदान*।
*क्वांटम थियोरी, इस्फिहा,एग्रीकल्चर, गौशाला का बढ़ाया निरंतर ही सम्मान*।।
*आज वो लहर वो उमंग फिर और हो गई प्रचंड*।
*राधास्वामी नाम से गूंज उठा दयालबाग और सम्पूर्ण सचखंड*।।
*जैसे ही एनाऊंस हुआ खेतों में ग्रेशश हुज़ूर, स्वस्थ्य हैं, और दया रहेगी जारी*।
*पूरी कायनात के ऊपर उन दयाल की मेहर रहेगी भारी*।।
*निकाल दो तन मन से विचार बनेगा कोई उत्तराधिकारी*।
*झूम उठे सब बच्चे, सतसंगी जन इस जहां के सब नर नारी*।।
*उन दयाल की ऐसी किरपा ने फिर हम बच्चों का हांथ थामा है*।
*ग्रेशश हुज़ूर हैं हम सबके पिता रूप में राधास्वामी नामा हैं*।।
*जिल्लेलाही बादशाहों के बादशाह का कायम रहेगा जलवा है*।
*इस उमंग, तरंग के अवसर पर हम सबको मिला प्रसाद अमृत रूपी हलवा है*।।
*अमृत रूपी हलवा है*।।
*अमृत रूपी हलवा है*।।
******************************
*पंकज निगम*
*कानपुर*

।।स्वर्णिम इतिहास।।

समय की धारा लिख रही स्वर्णिम इतिहास दयालबाग का।
सुपरफास्ट हो रहा है विकास दयालबाग का।।
दाता जी की रासलीला की धूम है चारों ओर। 
घूम रहा है बूढ़ा बच्चा वीरांगनाएं दाता के चारों ओर।।
फ़िक्र नहीं कोरोना की चिंता रात दिन की। 
मैसेज जब आता है चल देते हैं हम सभी।।
मालिक ने आने वाला विकट समय जता दिया।
अपने प्यारे बच्चों को मुश्किलों से लड़ना सिखा दिया।।
रा- धा -स्वा -मी का जाप कैसे करना है सिखा दिया।
इस मंत्र का क्या असर होगा सरेआम बता दिया।।
उपदेश राधास्वामी मत का सबको दोहरा दिया।
इस नाम की शक्ति का अहसास करा दिया।।
दिन रात आठों पहर हो रही है दया की बरखा।
अमृत की मिल रही सौगात की है चर्चा।।
लूटने वाले दोनों हाथों से लूट रहे रात दिन।खुला है दरबार दया का यह सबको बता दिया।।
दया की धारा बह रही है प्रबलतम
नूर ही नूर से भर रहा सत्संग जगत।
नूरानी बाना पहने सुपरमैन का काफिला बना दिया।।          वीरांगनाओं को झांसी की रानी सा संकर्षण बना दिया।
शुकराने मेें उन दयाल के बस सिर झुका रहे।।                    उनकी दया वा मेहर का सागर उमड़ता रहे। 
न बन पाए कोई ऐसा काम जो उनको न हो मंजूर।।
मेरे दाता देना यह बख्शीश उनसे मांग यह लिया।।                                       !! राधास्वामी!!

स्वामी प्यारी कौड़ा


(दया मेहर की अविरल धारा)


दया मेहर की अविरल धारा का उमड़ा है स्रोत।
पग पग पर उनकी रहमत का मचा  हुआ है शोर।।
दाता जी ने फ़रमाया छप्पर फाड़कर दया हो रही।
ओर छोर न है इसका रोक सकेगा इसे न कोई।।
समरथ का फ़रमान जगत को सत्संग ही बतलाएगा।
दुःखी और भटकी मानवता को सच्चा पथ दिखलाएगा।।
मानव मात्र की सेवा करने को चुना गया है संगत को।
मिशन राधास्वामी पूरा करना है हम सबको।।
दाता जी ने हर पग पर तैयारी का है विगुल बजाया।
चौबीस घंटे रहें सजग हम पक्का बंदोबस्त कराया।।
कभी जगाया सोते से और कभी सुलाया मात्र पहर भर।
हर पल हर क्षण सेवा में रहते हम सब हैं तत्पर।।
न फ़िक्र रही अब हमें सहर की रातों की भी ख़बर नहीं।
जब वे चाहें जैसा चाहें रहते हम तैयार तभी।।
चौबीस घंटे लगी टकटकी उनका इंगित पाने को।
दौड़ रहे सब सुबह शाम उनका हुकुम बजाने को।।
करने होंगे कठिन काम अब
 कस कर कमर तैयार रहें।
मानव मात्र‌‌‌ की रक्षा को
आगे कदम बढ़ाते रहें।।
दाता जी के सुपर मैन जब उतरेंगे जग के रण में।
सुख और चैन मिलेगा तब जगत के हर घर में।।
कर्मवीर ये युद्धवीर ये बुद्धिवीर अध्यात्म लिए।
हर समस्या को दूर करेंगे ये दुनिया हित के लिए।।
प्रेम प्रीत और सदाचार का होगा चारों ओर प्रचार।
 अध्यात्म और विज्ञान का होगा दुनिया में प्रसार।।
राधास्वामी नाम का डंका चारों ओर बजेगा।
सृष्टि के उद्धार का रस्ता सहज में खुलेगा।।
सत्य चेतनता और आनंद से भर कर सुरतें जब उमड़ेगी।
राधास्वामी दयाल का राज दुनिया में छा जाएगा।।
आओ हम सब करें प्रार्थना और शपथ लें यह मिल कर।
दाता जी के पदचिन्हों पर चलें नहीं रुकें पलभर।।
स्वामी प्यारी कौड़ा

नयन तुम्हारे


करुणा के सागर दो नयन तुम्हारे,
   हर पल पास बुलाते हैं। 
 वात्सल्य से उमड़ते ये दो नयन
  शीतलता से भर जाते हैं।
                           

               दुनिया की हर शै में मुझे बस ,
               आप ही नजर आते है
              बाहें फैलाए दुख हरने हमारे ,
              हर पल आप दौड़े चले आते हैं ।
                      
   गाफिल रहकर दुनिया में हम ,
   काल वा माया में रम जाते हैं 
   मां का सा आंचल लहरा 
   मेरे दयाल हमें बचा लाते हैं । 
   
                      चाह कर भी हम ऐ दयाल !
                       तेरे प्यार की थाह नहीं पाते हैं।
                        पर फिर भी मेरे दयालु पिता 
                        आप हम पर दुलार बरसाते हैं।
                           
 हम नादानों पर सुबह शाम,
  मेरे दाता दया दृष्टि लुटाते हैं।
   अमृत जल बरसा और अमृत पिला 
   हमारा तन मन पावन कर जाते हैं।
   
                    है उन सा दयालु कौन ?
                    जो हम नाचीजों को संवारे ।
                    प्यारे भाई बहनों आओ मिलकर ,
                    उनके चरण कमल पखारें।


डॉक्टर स्वामी प्यारी कौड़ा
४/६४ विद्युत नगर 
दयालबाग ,आगरा
  
RADHASOAMI

मेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई
तेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई
सबके तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई
मेरे तो,तेरे तो, सबके तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई

धार नरदेह हुए प्रगट,परम पुरुष सोई
मेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई

दया दृष्टि डारी मो पै, प्रेम बेल बोई
अब तो बेल फैल गई, आनंद फल देई
मेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई

छांड़ि दई मन की मानी, सुमिरन लीन होई
सतगुरु ढिंग बैठि बैठि,जनम सुफल कियो री
मेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई

चरनन में दीनी ठौर,भाग मोर जगो री
हाथ निज धरा सिर पर,तार लियो मोही
मेरे तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई
मेरे तो, तेरे तो, सबके तो राधास्वामी दयाल, दूसरो न कोई !!

शब्दार्थ- 
डारि मो पै-डाली मुझ पर
छांड़ि दई - छोड़ दी
ढिंग - पास, निकट
दीनी - दी 
ठौर - ठिकाना, आश्रय
मोर - मेरा
तार - तारण, पार उतार दिया, ( उद्धार कर दिया)                                                        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

हम दयालबाग के वासी हैं

हम दयालबाग के वासी हैं।
 हम दयालबाग के वासी हैं।

 परमपिता के संरक्षण में,
 हम ज्ञान विवेक से भरे हुए।
 हर मुश्किल से टकराते हैं,
 हंसते-हंसते सब सह जाते हैं ।

कमजोर नहीं हम ,आत्मबली हम ,
अत्याचार को सबक सिखाएंगे।
  बाधाएं कितनी भी आएं ,
बज्र बनकर उनसे टकराएंगे।

 परमपिता की छत्रछाया में हम,
 चेतनता का नित विकास करें।
 अतिरंजित कर्म किए  जिसने ,
उनको हम धूल चटाएंगे ।

नहीं रुकेंगे, नहीं थमेंगे ,
अपने हक के लिए लड़ेंगे ।
हम दयालबाग के वासी हैं ।
हम दयालबाग के  वासी हैं।


स्वामी प्यारी कौड़ा
 4/64 विद्युत नगर
दयालबाग ,आगरा।
26-9-2023





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