स्वाभिमान (Self-Respect) — आंतरिक शक्ति का मूल स्तंभ — स्वाभिमान का अर्थ स्वाभिमान वह गहरी आत्म-मान्यता और गरिमा की भावना है, जो तब जन्म लेती है जब हम अपने मूल्यों, विश्वासों और ईमानदारी के अनुसार जीवन जीते हैं। यह दूसरों की प्रशंसा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इस पर आधारित होता है कि हम स्वयं को कैसे देखते और कैसे समझते हैं। स्वाभिमान के प्रमुख तत्व 1. आत्म-स्वीकृति • अपनी शक्तियों और कमजोरियों को बिना कठोर आलोचना के स्वीकार करना। • अपने अस्तित्व और बीते निर्णयों से संतुष्ट रहना। 2. व्यक्तिगत सीमाएँ (Boundaries) • जहाँ आवश्यक हो “न” कह पाने का साहस। • मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक सीमाओं की रक्षा करना। 3. गरिमामय आचरण • ईमानदारी और न्याय के साथ कार्य करना — चाहे कोई देखे या न देखे। • अपने अंतरात्मा के अनुरूप निर्णय लेना। 4. आत्म-संतुष्टि • दूसरों की प्रशंसा या मान्यता पर निर्भर न रहना। • अपनी अंतरात्मा और विवेक पर विश्वास रखना। 5. आलोचना का संतुलित सामना • बिना टूटे सुनना और समझना। • सीख लेना — परंतु आत्म-मूल्य को न खोना। स्वाभिमान क्यों महत्वपूर्ण है? •...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.