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सरल स्वभाव को कमजोरी न समझें

सरल स्वभाव को कमजोरी न समझें  आज के समय में अक्सर यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति विनम्र, शांत और सरल होता है, उसे लोग कमजोर समझने की भूल कर बैठते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि सरलता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक गहरा संस्कार है — आत्मबल, संयम और विवेक का प्रतीक। सरल व्यक्ति किसी से डरकर शांत नहीं रहता, वह अपने भीतर के संतुलन और सशक्त संस्कारों के कारण शांति को चुनता है । वह प्रतिक्रिया देने के बजाय प्रत्युत्तर में प्रेम और धैर्य का मार्ग अपनाता है । यह मार्ग आसान नहीं होता, लेकिन यही उसे दूसरों से विशेष बनाता है। याद रखिए, जो सरल है, वही सबसे मजबूत है। क्योंकि उसे दिखावा नहीं करना पड़ता, वह जो है, वही सामने होता है। इसलिए किसी सरल व्यक्ति को कभी कम न आँकें, क्योंकि जब समय आता है, तो वही सबसे बड़ी मिसाल बनता है। सरलता मेरा अभिमान है (कविता) न समझो मुझको कमजोर कभी, ये चुप्पी मेरी पहचान है। संस्कारों में पला बढ़ा मैं, सरलता ही मेरी शान है। न उत्तर दूँ हर कटु वचन का, न रोष दिखाऊँ बात-बात पर, धैर्य है मेरा आभूषण, और शांति है मेरी पतवार पर। तू ललकारे, मैं ...

संस्कार, सहयोग और एकता की शक्ति: एक उज्जवल भविष्य की ओर

संस्कार, सहयोग और एकता की शक्ति: एक उज्जवल भविष्य की ओर आज का समय केवल शिक्षा अर्जित करने का नहीं, बल्कि जागरूकता, मूल्य और व्यवहार में शिक्षित बनने का है। शिक्षा का असली उद्देश्य तब पूर्ण होता है, जब वह जीवन में संस्कार, विवेक और एकता का भाव भी पैदा करे। हम सभी जानते हैं कि एक व्यक्ति का वास्तविक विकास केवल अकादमिक ज्ञान से नहीं, बल्कि उसकी सोच, संस्कार और सामाजिक उत्तरदायित्व से होता है। हमारे समाज में जितनी विविधताएँ हैं, उतनी ही ताकत और संभावनाएँ भी। हर व्यक्ति का अपना अनुभव, संस्कार और सोच होती है, परंतु यह सच्चाई है कि हम सभी का उद्देश्य एक ही है — एक उज्जवल, समृद्ध और नैतिक समाज का निर्माण। यह तभी संभव है जब हम अपने बीच की विविधताओं को समझे, एक दूसरे का सम्मान करें और एकजुट होकर अपने बच्चों का भविष्य संवारे। हमारे बच्चों की तरह, हमारा समाज भी धीरे-धीरे आकार लेता है। अगर हम चाहते हैं कि हमारा समाज प्रगति की ओर बढ़े, तो हमें पहले खुद को सजग और जागरूक बनाना होगा। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं हो सकती। यह जीवन की सच्चाइयों को, संस्कारों को और रिश्...

ज्ञान की किरने: शिक्षा से चमकता भारत, मुस्कुराता विश्व

ज्ञान की किरने: शिक्षा से चमकता भारत, मुस्कुराता विश्व (A Ray of Hope for Humanity)  हर सुबह एक नई उम्मीद लेकर आती है, लेकिन उस उम्मीद को आकार देती है — एक सच्ची शिक्षा। बचपन कोई कच्ची मिट्टी नहीं, बल्कि वह जड़ है जिससे पूरा जीवन पनपता है। और यदि जड़ ही उपेक्षित रह जाए, तो फिर कितना भी पानी दो, पेड़ कभी फल नहीं देगा। भारत का भविष्य उसके बच्चों में छिपा है, और बच्चों का भविष्य — एक ऐसी शिक्षा में, जो केवल सिखाए नहीं, जीना सिखाए। सही शिक्षा: जो मन छुए, मस्तिष्क बदले और हृदय को दिशा दे शिक्षा कोई बोझ नहीं, वह तो एक आनंद यात्रा है — जहाँ हर बच्चा अपने भीतर की ज्योति को पहचानता है। किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण है, पर जब तक उसमें संवेदना और जीवन के मूल्यों का स्पर्श न हो, वह अधूरा ही रहता है। बच्चे को "अच्छा विद्यार्थी" बनाना सरल है, पर उसे "अच्छा इंसान" बनाना ही असली शिक्षा है।  बचपन की दुनिया: भय नहीं, विश्वास चाहिए हर बच्चा चाहता है कि कोई उसे सुने, कोई उसे समझे, कोई बिना डाँटे, बस मुस्कराकर उसकी पीड़ा को बाँट ले। स्कूल ऐसा...

बचपन की लौ: शिक्षा से संवरता जीवन, जगता भविष्य

बचपन की लौ: शिक्षा से संवरता जीवन, जगता भविष्य (संवेदनशील, प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी लेख) प्रस्तावना: कुछ विचार किसी पुस्तक में नहीं मिलते—वे जीवन की गोद में पलते हैं, अनुभवों की आँच में तपते हैं और संवेदना के जल में शुद्ध होते हैं। ऐसा ही एक विचार है— बचपन । बचपन वह भूमि है जहाँ भविष्य की नींव रखी जाती है, और शिक्षा वह जल है जो उस नींव को सींचता है। यदि हम इसे समझ पाएँ, तो जीवन सचमुच Evergreen हो सकता है। बचपन की मुस्कान में ही सच्चा कल बसता है—उसे मत खोने दो। 1. शिक्षा: केवल पढ़ाई नहीं, एक जीवंत यात्रा आज शिक्षा को अक्सर एक ‘सिस्टम’ समझा जाता है—पढ़ो, परीक्षा दो, अंक लाओ। लेकिन बच्चों के लिए शिक्षा सिर्फ किताबों की दुनिया नहीं है। वह एक अनुभव है—जहाँ वे सवाल पूछते हैं, गिरते हैं, उठते हैं, और खुद को पहचानते हैं। जब शिक्षा में प्रेम, संवाद और आत्म-स्पर्श जुड़ जाता है, तब वह केवल भविष्य नहीं, पूरी ज़िंदगी बदल देती है। जहाँ पाठ्यक्रम खत्म होता है, वहीं से असली शिक्षा शुरू होती है। 2. बचपन की चुप्पी और सन्नाटा हर दिन कुछ मासूम चेहरे खामोशी में डूबे होते ह...

समर्पित शिक्षा: बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव

समर्पित शिक्षा: बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव लेखक: आनंद किशोर मेहता शिक्षा का उद्देश्य गाँव के बच्चों के लिए शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य उन्हें अच्छे इंसान बनाना और जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को सिखाना है। मेरा मानना है कि जब बच्चों को सही मार्गदर्शन और स्नेह मिलता है, तो वे न केवल अच्छे छात्र बनते हैं, बल्कि जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होते हैं। "शिक्षा जीवन जीने की कला है, न केवल किताबों तक सीमित।" बच्चों की स्थिति और मनोविज्ञान गाँव के अधिकांश बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं, जहाँ घर पर उनकी पढ़ाई में मदद नहीं मिलती। वे मानसिक और भावनात्मक समर्थन के लिए स्कूल आते हैं। स्कूल ही उनका वो स्थान है, जहाँ वे अपने सपनों और आशाओं को पंख देते हैं। "हर बच्चा विशेष है, उसे समझने और पोषित करने की आवश्यकता है।" शिक्षा का समग्र दृष्टिकोण मेरे लिए शिक्षा सिर्फ विषयों तक सीमित नहीं है। कक्षा 1 से 5 तक, बच्चों को संस्कार, आत्मनिर्भरता, और जिम्मेदारी का भी पाठ पढ़ाया जाता है। सीनियर बच्चों का योगदान: कक्षा 5 के बच्चे, कक्षा 3-4 के बच्चों को पढ़ाते हैं...

बच्चों की निश्चल प्रेम और संस्कारों की छाँव

बच्चों की निश्चल प्रेम और संस्कारों की छाँव  ~ आनंद किशोर मेहता बच्चे समाज का भविष्य होते हैं। उनकी मासूमियत, सरलता और निष्कपट प्रेम हमें सच्चे प्रेम और आत्मीयता का एहसास कराते हैं। जिस प्रकार एक पीपल का वृक्ष अपनी छाँव, शीतलता और प्राणवायु से संसार को संजीवनी प्रदान करता है, उसी प्रकार यदि बच्चों को अच्छे संस्कारों से पोषित किया जाए, तो वे भी समाज के लिए जीवनदायी बन सकते हैं। संस्कार और बच्चों का पवित्र प्रेम संस्कार हमारे जीवन के वे मूल्य होते हैं, जो हमें सही और गलत का भेद सिखाते हैं। एक अच्छे विद्यालय का कार्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चों में उत्कृष्ट संस्कारों का संचार करना भी है। जब बच्चे इन मूल्यों से सिंचित होते हैं, तो उनका प्रेम और भी पवित्र और सार्थक हो जाता है। संस्कारों की जड़ें और बच्चों की विशेषताएँ सम्मान और स्नेह जब बच्चे यह सीखते हैं कि माता-पिता, गुरुजन, मित्रों और समाज के सभी लोगों का सम्मान करना चाहिए, तो वे सच्चे प्रेम की परिभाषा को समझ पाते हैं। उनका यह स्नेह आदर और आत्मीयता से परिपूर्ण होता है। करुणा और सहयोग का भाव संस्कार बच्चों को यह स...

संस्कारों की ज्योतिर्मय धारा (एक काव्य-संग्रह)

📖 संस्कारों की ज्योतिर्मय धारा (एक काव्य-संग्रह) "संस्कार, प्रेम और अनुशासन की ऊर्जा से जीवन को नवचेतना देने वाला सृजनात्मक काव्य-संग्रह!" 🌿 रा धा / ध : स्व आ मी 🌿 ("शब्दों की इस दिव्य आभा में खोकर, प्रेम, सेवा और कर्तव्य की गहराइयों को महसूस करें।") 🌿 आभार एवं समर्पण 🌿 यह काव्य-संग्रह "संस्कारों की ज्योतिर्मय धारा" सम्पूर्ण श्रद्धा, प्रेम और समर्पण के साथ परमपिता रा धा/ध: स्व आ मी दाता दयाल के पावन चरणों में समर्पित है। उनकी अनंत कृपा, मार्गदर्शन और दिव्य आशीर्वाद से ही यह सृजन संभव हुआ। विशेष आभार ➤ सतसंगी परिवार – जिनकी संगति, प्रेरणा और आशीर्वाद इस काव्य यात्रा की संजीवनी बनी। ➤ हमारे विद्यालय के नन्हे दीपक – जिनके संस्कार, जिज्ञासा और पवित्र हृदय इस सेवा को और अधिक सार्थक बनाते हैं। ➤ अर्धांगिनी संजू रानी एवं शांतिमय संतति  – जिनका प्रेम, धैर्य और अटूट विश्वास मेरी निरंतर प्रेरणा का स्रोत रहा। 🌸 यह काव्य-संग्रह मात्र शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि मालिक की असीम दया-मेहर और सभी के स्नेह का प्रकाश है। 🌸 सप्रेम रा धा / ध : स्व आ मी एवं कोटिशः...