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संघर्ष से अर्जित सफलता: स्वाभिमान का जागरण, अभिमान से परे

Success Earned Through Struggle: Awakening of Self-Respect, Beyond Pride संघर्ष से अर्जित सफलता: स्वाभिमान का जागरण, अभिमान से परे ~ आनंद किशोर मेहता परिचय "अंधकार जितना गहरा होता है, प्रकाश की आवश्यकता उतनी ही अधिक होती है। संघर्ष जीवन के अंधकार को चीरकर आत्म-प्रकाश तक पहुँचने का माध्यम है।" संघर्ष केवल कठिनाइयों से जूझने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्म-परिष्कार और आत्म-निर्माण की अनिवार्य यात्रा है। जब कोई व्यक्ति चुनौतियों से टकराकर सफलता प्राप्त करता है, तो यह उपलब्धि उसे आत्म-गौरव और आत्मसम्मान देती है, जिसे हम स्वाभिमान कहते हैं। लेकिन यदि यही सफलता व्यक्ति को दूसरों से श्रेष्ठ होने के अहंकार में डाल दे, तो यह अभिमान बन जाती है, जो आत्म-विनाश का मार्ग है। यह लेख इसी गहरे सत्य को उजागर करता है कि संघर्ष से प्राप्त सफलता स्वाभिमान को जन्म देती है, न कि अभिमान को, और यह विचार समस्त मानवता के लिए क्यों आवश्यक है। संघर्ष: आत्मबोध और आत्मनिर्माण की प्रक्रिया संघर्ष एक तपस्या है, जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से परिपक्व बनाती है। यह न...

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव ~ आनंद किशोर मेहता होली मात्र रंगों का त्योहार नहीं, यह सूर्त के रंगों में रंगने और प्रेम की ज्योति जलाने का पर्व है। यह वह क्षण है जब जीवन के समस्त भेदभाव मिट जाते हैं, और हम सभी एक दिव्य चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपे आनंद, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रस्फुटन का अवसर है। होली का आध्यात्मिक संदेश जब तक हम केवल बाहरी रंगों में उलझे रहेंगे, तब तक होली का सच्चा आनंद अधूरा रहेगा। यह पर्व हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने भीतर झाँकें, अहंकार की अग्नि में अपनी बुराइयों को जलाएँ और प्रेम, करुणा और दिव्यता के रंगों में स्वयं को सराबोर करें। आध्यात्मिक होली के प्रमुख पहलू: ✅ भीतर की नकारात्मकता को जलाना – जैसे होलिका दहन में बुराई का अंत होता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के क्रोध, ईर्ष्या, मोह और अहंकार को जलाना चाहिए। ✅ सच्चे आनंद की अनुभूति – बाहरी रंग क्षणिक हैं, लेकिन प्रेम, करुणा और आत्मिक शांति के रंग चिरस्थायी हैं। ✅ मोह-माया से मुक्ति – सांसारिक भटकाव से मुक्त ह...

When Humanity Becomes One.

When Humanity Becomes One.  जब मानवता एक होगी । क्या वह दिन भी आएगा, जब पूरी दुनिया सत्य, प्रेम और करुणा को एकसाथ स्वीकार करेगी? संपूर्ण विश्व में सदियों से सत्य, प्रेम और नैतिकता का संदेश गूंजता आ रहा है। हर युग में महापुरुषों ने मानवता को एकता, शांति और नैतिक मूल्यों की राह दिखाने का प्रयास किया। बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, मोहम्मद, गुरु नानक और अन्य संतों ने प्रेम और करुणा का संदेश दिया, लेकिन फिर भी दुनिया आज भी विभाजित है। आज विज्ञान और तकनीक ने मनुष्य को अद्भुत ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। ज्ञान और सूचनाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन क्या हम मानसिक और आत्मिक रूप से भी उसी अनुपात में विकसित हुए हैं? क्या कोई ऐसा मार्गदर्शक आ सकता है, जिसकी बातों को पूरी दुनिया सहर्ष स्वीकार करे और जिसके नेतृत्व में समूची मानवता एक हो सके? आज की दुनिया: विकास और विखंडन आज का युग भौतिक समृद्धि का युग है। विज्ञान ने सीमाएँ तोड़ दी हैं, इंटरनेट ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है, और मनुष्य चाँद और मंगल तक पहुँच चुका है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया में संघर्ष, धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक स्वार्थ, ...

"एक विश्व, एक परिवार: प्रेम और मानवता का संदेश" 2025

" एक विश्व, एक परिवार: प्रेम और मानवता का संदेश" ___ लेखक: आनंद किशोर मेहता मैं इस पृथ्वी को केवल एक ग्रह नहीं, बल्कि एक जीवित और धड़कते परिवार के रूप में देखता हूँ। यहाँ जन्म लेने वाले सभी लोग—धर्म, जाति, भाषा, रंग या राष्ट्र की सीमाओं से परे—एक ही ब्रह्म के अंश हैं। हम सब एक ही ऊर्जा, एक ही चेतना से जुड़े हुए हैं। यह सत्य हम तब भूल जाते हैं जब हमारी सोच केवल सीमाओं, मान्यताओं और अहं की दीवारों में सिमट जाती है। कल्पना कीजिए —एक ऐसा संसार जहाँ हर व्यक्ति दूसरे को अपना भाई माने, हर बच्चा हर माँ का हो, और हर प्राणी को जीने का उतना ही अधिकार मिले जितना स्वयं को देते हैं। अगर हम प्रेम, सहानुभूति और सम्मान से जीना सीख लें, तो यह धरती स्वर्ग से कम नहीं होगी। मानवता के निर्माण की नींव—आठ दिव्य मूल्य 1. ईश्वर पर अटूट विश्वास जब हमारा संबंध ईश्वर से जुड़ता है, तब हमारे भीतर करुणा, धैर्य और शांति का स्रोत प्रस्फुटित होता है। ईश्वर के प्रति यह आस्था हमें हर परिस्थिति में स्थिर रखती है और हमारे भीतर गहरे उद्देश्य की लौ जगाती है। 2. हर प्राणी के प्रति प्रेम और सम्मान ह...

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का!

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का !                            लेखक: आनन्द किशोर मेहता             "जब चेतना का सूर्य उदय होता है, तो भेदभाव के अंधकार स्वयं मिट जाते हैं।" मानव सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए, लेकिन एक चीज जो अभी भी कई जगह जमी हुई है—वह है भेदभाव और असमानता की जड़ें। यह न केवल समाज को भीतर से कमजोर बनाता है, बल्कि एकता और प्रगति की राह में भी बाधा डालता है। लेकिन अब वह समय आ गया है, जब हमें इस संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलकर यह स्वीकार करना होगा कि— ✔ हम सभी एक ही चेतना के अंश हैं। ✔ हमारा अस्तित्व एक ही ऊर्जा से संचालित होता है। ✔ कोई भी व्यक्ति जन्म से श्रेष्ठ या निम्न नहीं होता, बल्कि उसके विचार और कर्म ही उसकी महानता का निर्धारण करते हैं। अब यह सत्य अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि— ✅ सभी को समान अवसर, सम्मान और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ✅ जाति, धर्म, भाषा, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव अब अस्वीकार्य है। ✅ मानवता का वास्तविक धर्म है—समानता, ...

मानवता और प्रकृति: एक दिव्य संबंध और हमारा पवित्र कर्तव्य:

मानवता और प्रकृति: एक दिव्य संबंध और हमारा पवित्र कर्तव्य:                लेखक: आनंद किशोर मेहता मानवता और प्रकृति के बीच एक गहरा और दिव्य संबंध है, जो हमारे अस्तित्व और संतुलन के लिए अनिवार्य है। प्रकृति, वह जीवनदायिनी शक्ति है, जो हमें शुद्ध वायु, जल, और हरियाली प्रदान करती है—ये सभी तत्व हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह एक अद्भुत संयोग है कि हम इस धरती पर रहते हैं, जो हमें बिना शर्त प्रेम और समृद्धि देती है, और इसका उपहार हमारी जिम्मेदारी भी बनाता है कि हम इसे संरक्षित करें। प्रकृति से हमारा कर्तव्य इसलिए है, क्योंकि हम इसका हिस्सा हैं और इसके बिना हमारा अस्तित्व असंभव है। यह साझेदारी केवल एकतरफा उपयोग की नहीं, बल्कि एक सजीव संबंध है, जिसमें हमें न केवल संसाधनों का उपयोग करना है, बल्कि उनका संरक्षण भी करना है। अगर हम उससे लेते हैं, तो यह हमारा पवित्र कर्तव्य बनता है कि हम उसे कुछ विशेष दें। यही हमें मानवता की सेवा और विनम्रता की ओर मार्गदर्शन करता है। प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी निभाने के ...