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Showing posts with the label विज्ञान

(भाग दूसरा) दयालबाग: सेवा, विज्ञान और साधना का समन्वित जीवन

(भाग दूसरा) दयालबाग : सेवा, विज्ञान और साधना का समन्वित जीवन :-  प्रस्तावना  (दयालबाग: सेवा, विज्ञान और साधना का समन्वित जीवन) दयालबाग केवल एक स्थान नहीं, एक जीवन-दर्शन है — एक ऐसा सजीव आदर्श, जहाँ सेवा, विज्ञान और साधना का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह वह भूमि है, जहाँ मनुष्य केवल सांसें नहीं लेता, बल्कि हर श्वास को सार्थकता प्रदान करता है। यहाँ जीवन यापन नहीं, बल्कि जीवन का उत्कर्ष लक्ष्य होता है। दयालबाग की आत्मा सेवा में निहित है — निःस्वार्थ, निरंतर और समर्पित सेवा, जो न किसी प्रचार की आकांक्षा रखती है, न ही किसी पुरस्कार की प्रतीक्षा करती है। यहाँ का विज्ञान भी केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि समाजोत्थान का माध्यम है — जो शिक्षित करता है, परिष्कृत करता है और जीवन को अधिक उपयोगी बनाता है। साधना यहाँ केवल ध्यान-कक्षों की सीमा में नहीं, बल्कि हर कर्म, हर विचार और हर संबंध में समाहित है — कर्म ही भक्ति है , यही इसका मर्म है। इस खंड के लेखों में दयालबाग के उसी समग्र और संतुलित जीवन-दर्शन की झलक प्रस्तुत की गई है। यहाँ के अनुभव न केवल प्रेरणा देते हैं, बल्कि यह वि...

विज्ञान + आध्यात्म = संतुलित और सुरक्षित भविष्य

विज्ञान + आध्यात्म = संतुलित और सुरक्षित भविष्य  ~ आनंद किशोर मेहता परिचय आज की दुनिया विज्ञान की चमत्कारी उपलब्धियों से परिपूर्ण है। मानव जाति ने तकनीकी उन्नति के माध्यम से जीवन को आसान बनाया है, परंतु इस प्रगति के साथ मानसिक अशांति, तनाव और आध्यात्मिक शून्यता भी बढ़ी है। क्या विज्ञान और आध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी हैं, या इनका समन्वय ही मानवता के उज्जवल भविष्य की कुंजी है? यदि हमें एक संतुलित और सुरक्षित समाज बनाना है, तो इन दोनों का एकीकरण आवश्यक है। विज्ञान और आध्यात्म: परस्पर विरोधी या पूरक? विज्ञान और आध्यात्म को अक्सर दो अलग दिशाओं में चलता हुआ समझा जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये दोनों एक ही सत्य के विभिन्न पहलू हैं। विज्ञान भौतिक जगत के रहस्यों को खोजता है, जबकि आध्यात्म हमारे आंतरिक जीवन और चेतना के रहस्यों को उजागर करता है। जब ये दोनों एक साथ चलते हैं, तो मानव जीवन संतुलित और समृद्ध बनता है। "तकनीक और संवेदनशीलता साथ चलें, तभी दुनिया सुरक्षित होगी।" विज्ञान की भूमिका विज्ञान ने हमें चिकित्सा, संचार, अंतरिक्ष अन्वेषण और आधुनिक जीवनशैली जै...

क्या साधारण मनुष्य अपने भीतर छिपे 'सुपरमैन' को जागृत कर सकता है?

क्या साधारण मनुष्य अपने भीतर छिपे 'सुपरमैन' को जागृत कर सकता है? विज्ञान, अध्यात्म और आत्म-जागृति से असाधारण बनने का रहस्य  (लेखक: आनंद किशोर मेहता | © Copyright 2025, Anand Kishor Mehta. All Rights Reserved.) भूमिका मनुष्य सदियों से अपनी वास्तविक क्षमताओं की खोज कर रहा है। क्या हम केवल सीमित शक्तियों वाले प्राणी हैं, या हमारे भीतर ऐसी दिव्य शक्ति छिपी है जो हमें साधारण से सुपरमैन बना सकती है? विज्ञान, अध्यात्म और चेतना के गहरे अध्ययन से स्पष्ट होता है कि हर व्यक्ति में अपार संभावनाएँ हैं, जिन्हें सही मार्गदर्शन और साधना से जाग्रत किया जा सकता है। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक सिद्ध प्रक्रिया है, जिससे मनुष्य अपनी सीमाओं को पार कर सकता है। विज्ञान: क्या मस्तिष्क की क्षमता सुपरमैन बना सकती है? अगर हम न्यूरोसाइंस, जेनेटिक्स और साइकोलॉजी की दृष्टि से देखें, तो यह प्रमाणित हो चुका है कि मानव मस्तिष्क की शक्ति असीमित है। न्यूरोप्लास्टिसिटी – हमारा मस्तिष्क निरंतर बदल सकता है और अपनी क्षमता बढ़ा सकता है। डीएनए एक्टिवेशन – शोध बताते हैं कि हमारे जीन में छिपी कुछ विलक्षण क्ष...

चेतना का अनंत स्रोत और सामूहिक चेतना का प्रभाव

चेतना का अनंत स्रोत और सामूहिक चेतना का प्रभाव  भूमिका चेतना का रहस्य सदियों से दार्शनिकों, संतों और वैज्ञानिकों के अध्ययन का केंद्र रहा है। भारतीय दर्शन इसे ब्रह्म से जोड़ता है, जबकि आधुनिक विज्ञान इसे ऊर्जा के परिष्कृत रूप में देखता है। चेतना केवल एक व्यक्तिगत अनुभूति नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना का भी निर्माण कर सकती है, जो संपूर्ण मानवता और ब्रह्मांड को प्रभावित करती है। यदि यह सामूहिक चेतना परम स्रोत से जुड़ जाए, तो यह आत्मिक उन्नति और मुक्ति का मार्ग खोल सकती है। 1. चेतना का अनंत स्रोत – भारतीय दृष्टिकोण भारतीय दर्शन में चेतना को "ब्रह्म" कहा गया है। ब्रह्मसूत्र (1.1.2) – "जन्माद्यस्य यतः", अर्थात संपूर्ण सृष्टि एक परम चेतन स्रोत से उत्पन्न हुई है। अद्वैत वेदांत – "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ब्रह्म हूँ) – प्रत्येक जीव उसी परम चेतना का अंश है। भगवद गीता (10.20) – "अहं आत्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः", अर्थात परमात्मा सभी जीवों के हृदय में स्थित है। बौद्ध दर्शन में यह विचार "निर्वाण" के रूप में मिलता है, जहाँ चेतना श...

शब्दों की गूँज: जहाँ प्रेम मौन में भी बोलता है

शब्दों की गूँज: जहाँ प्रेम मौन में भी बोलता है   क्या शब्दों की कोई सीमा होती है? क्या प्रेम केवल व्यक्त करने से ही समझा जाता है? या फिर मौन में भी इसकी अनुगूँज सुनाई देती है? शब्द, केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि एक जीवंत ऊर्जा हैं। विज्ञान कहता है कि प्रत्येक ध्वनि एक तरंग उत्पन्न करती है, जो ब्रह्मांड में अनंत काल तक प्रवाहित होती रहती है। साहित्य यह सिद्ध करता है कि प्रेम से रचे गए शब्द अमर हो जाते हैं। और समाजशास्त्र यह बताता है कि प्रेमपूर्ण शब्द न केवल संबंधों को संवारते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और समग्र जीवन को भी संतुलित करते हैं। तो फिर, क्या प्रेम मौन में भी बोल सकता है? आइए, इस विचार को विज्ञान, साहित्य और समाज के तर्कों के साथ समझते हैं। शब्दों की वैज्ञानिक ऊर्जा भौतिकी कहती है कि हर ध्वनि की अपनी एक शक्ति होती है। जापानी वैज्ञानिक मासारू इमोटो के शोध में पाया गया कि जब जल को सकारात्मक और प्रेमपूर्ण शब्द सुनाए गए, तो उसकी संरचना सुंदर हो गई, जबकि नकारात्मक शब्दों से उसमें विकृति आ गई। अब चूँकि हमारा शरीर 70% जल से बना है, तो यह स्पष्ट है कि प्रेम से भरे ...

Consciousness: A Profound Mystery-

Consciousness: A Profound Mystery- Author: Anand Kishor Mehta प्रश्न जो इस लेख में संबोधित किए गए हैं: चेतना वास्तव में क्या है, और इसकी उत्पत्ति कैसे होती है? क्या चेतना केवल मस्तिष्क की एक प्रक्रिया है, या यह किसी उच्च सत्ता से प्रवाहित होती है? बुद्धि और चेतना में मौलिक अंतर क्या है? आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना का क्या महत्व और प्रभाव है? चेतना: एक गूढ़ रहस्य चेतना केवल मस्तिष्क की न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों से उत्पन्न नहीं होती, बल्कि यह एक शाश्वत और असीम शक्ति है, जो चेतना के सर्वोच्च सत्ता से प्रवाहित होती है। यह हमारे अस्तित्व का मूल तत्व है, जो हमें केवल भौतिक जगत तक सीमित नहीं रखता, बल्कि आत्मबोध और आध्यात्मिक विकास के उच्चतम स्तर तक ले जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना को न्यूरोसाइंस और भौतिकी के दृष्टिकोण से देखने पर, यह मस्तिष्क में होने वाली जटिल विद्युत और रासायनिक प्रक्रियाओं से जुड़ी होती है।  आधुनिक विज्ञान के अनुसार, यह न्यूरॉन्स के नेटवर्क और उनकी आपसी संचार प्रणाली के परिणामस्वरूप प्रकट होती है।  कुछ वैज्ञानिक इसे क्वांटम यांत्रिकी...