2025 की मौलिक भेंट: आभार, प्रेम और प्रकाश के विचार © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. मैंने जिसे अपना दोस्त समझा, वही मेरी तकलीफ का किस्सा बना गया लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता मैं दर्द को बाँटने आया था, वो दर्द में राज़ ढूंढने लगा। मैंने अपनी तकलीफ को शब्दों में उतारा, और वो उन शब्दों को औज़ार बना लाया। जिसे मैंने “मेरे हालात का गवाह” समझा, वही “मेरे हालात का गुनहगार” निकला। मैंने अपने ज़ख्म दिखाए ताकि मलहम मिले, पर वो तो नापने लगा—कहाँ से ज़्यादा चुभेगा खंजर। जिसे अपने दर्द की चाबी सौंपी थी, उसने तिजोरी ही तोड़ दी। मैंने हर बात बताई थी उसे रोते हुए, और उसने हर बात दोहराई थी दूसरों से हँसते हुए। तू मेरी तड़प में कभी रुका नहीं, शायद इसलिए कि तुझे मेरी तड़प से ही चैन मिलता था। मैंने तुझे भगवान समझा, तुझे पुकारा, और तू मुझे याचक समझ कर खेलता रहा। तू मुस्कराता रहा मेरी टूटन पर, और मैं समझता रहा कि तू मुझे संभाल रहा है। जिसे पुकारा था मैंने रात के अँधेरों में, उसी ने उजाले में मेरा अपमान रच दिया। मैंने अपना दुख तूफ़ान समझकर उड़ाया था, पर तू तो उस तूफ़ान में पतंग उड़ा र...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.