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Beyond Problems: A Balanced Perspective

समस्याओं से आगे: एक नए दृष्टिकोण की ओर परिचय हर व्यक्ति के जीवन में समस्याएँ आती हैं—कभी आर्थिक संकट, कभी रिश्तों में उलझन, कभी करियर की चिंता, तो कभी मानसिक तनाव। हम सभी चाहते हैं कि हमारा जीवन सुखमय हो, लेकिन क्या ऐसा संभव है कि जीवन में कभी कोई समस्या न आए? उत्तर स्पष्ट है— नहीं । समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इनके प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं? उत्तर है— हाँ । यदि हम सही दृष्टिकोण अपनाएँ और अपने मन को जागरूक करें, तो हम किसी भी परिस्थिति में शांति और संतुलन बनाए रख सकते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे हम समस्याओं से परे जाकर एक जागरूक और संतुलित जीवन जी सकते हैं। 1. समस्याएँ क्यों आती हैं? समस्याएँ दो प्रकार की होती हैं: (i) बाहरी समस्याएँ (External Problems) ये वे समस्याएँ हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं, जैसे: ✔ आर्थिक कठिनाइयाँ (नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा) ✔ पारिवारिक समस्याएँ (रिश्तों में मनमुटाव, तलाक, झगड़े) ✔ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें ✔ प्राकृतिक आपदाएँ या कानूनी परेशानियाँ इन समस्याओं को पूरी तरह टालना असंभव है,...

Evolution of Consciousness: Humans, Animals, Plants, and Nature

चेतना का विकास: मनुष्य, पशु पक्षी, पेड़-पौधे और प्रकृति लेखक: आनन्द किशोर मेहता  Introduction सृष्टि में जो कुछ भी विद्यमान है, उसमें किसी न किसी रूप में चेतना का संचार हो रहा है। यह चेतना ही वह शक्ति है, जो जीवन को अनुभव करने, समझने और उसके मर्म तक पहुँचने की क्षमता प्रदान करती है। मनुष्य के लिए चेतना केवल एक मानसिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐसा रहस्य है, जिसे जानकर जीवन का असली उद्देश्य स्पष्ट हो सकता है। विविध रूपों में चेतना प्रकट होती है, किंतु इसके मूल में एकता है। यह चेतना किसी एक जीव तक सीमित नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और संपूर्ण प्रकृति में भी अपने स्तर पर विद्यमान है। इसे जानना, समझना और सही दिशा में इसका उपयोग करना ही सच्चा जीवन है। 1. Consciousness in Humans मनुष्य को विचार करने, आत्मनिरीक्षण करने और निर्णय लेने की विशेष योग्यता प्राप्त है। यह चेतना उसे केवल भोजन, सुरक्षा और सांसारिक कार्यों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उससे आगे भी बढ़ने की प्रेरणा देती है। जीवन के प्रति गहरी समझ और स्वयं के अस्तित्व का वास्तविक बोध इसी चेतना से संभव होता है। मनुष्य मे...

शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय: जीवन की दिव्यता का अनुभव

✦ शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय ✦ लेखक: आनंद किशोर मेहता (सर्वाधिकार सुरक्षित - Copyright © Anand Kishor Mehta) शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय: जीवन की दिव्यता का अनुभव कभी-कभी जीवन में ऐसा प्रतीत होता है कि हर क्षण हल्का-हल्का सुरूर छाया हुआ है। यह कोई बाहरी नशा नहीं, बल्कि भीतर से उपजी गहरी अनुभूति है। जब हमारी दृष्टि शुद्ध और हृदय निर्मल हो जाता है, तो संसार का अनुभव पूरी तरह बदल जाता है। यह वही अवस्था है, जब जीवन में सहज आनंद, प्रेम और दिव्यता का संचार होता है। यह अनुभव किसी बाहरी परिस्थिति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि हमारी आंतरिक स्थिति से जन्म लेता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना, मस्तिष्क और अनुभूति मनुष्य का अनुभव पूरी तरह से उसकी चेतना और मस्तिष्क की गतिविधियों पर निर्भर करता है। न्यूरोसाइंस के अनुसार, जब हमारा मस्तिष्क गामा वेव्स (Gamma Waves) उत्पन्न करता है, तब हम गहरे ध्यान और आनंद की अवस्था में होते हैं। यही वह स्थिति है, जब हमें जीवन के हर छोटे-बड़े अनुभव में गहराई और सौंदर्य महसूस होने लगता है। जब हम प्रेम, करुणा और संतोष जैसी भावनाओं को अपनाते हैं, तो मस्तिष्क में ऑक्सीटो...

How to manage your own behaviour?

स्वयं के व्यवहार का प्रबंधन कैसे करे?  HOW TO MANAGE YOUR OWN BEHAVIOUR?  लेखक: आनन्द किशोर मेहता  "स्वयं को समझो, जीवन को संवारो" मनुष्य का सबसे बड़ा युद्ध बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि स्वयं के भीतर चलने वाले विचारों और भावनाओं से होता है। आत्म-संयम और आत्म-नियंत्रण ही इस युद्ध में विजय प्राप्त करने का मार्ग है। जब आप अपने विचारों और प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करना सीख लेते हैं, तो जीवन की कठिनाइयाँ भी सरल प्रतीत होने लगती हैं। स्वयं को समझना ही सच्ची सफलता की कुंजी है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं— 1. आत्मनिरीक्षण करें और अपने विचारों को चुनौती दें किसी भी समस्या का समाधान खोजने से पहले स्वयं से प्रश्न करें: "क्या समस्या वास्तव में बाहर है, या मेरे दृष्टिकोण में सुधार की आवश्यकता है?" आत्मविश्लेषण से सोच स्पष्ट होती है और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। जब हम अपने विचारों की गहराई में जाते हैं और पूर्वाग्रहों को छोड़कर सत्य को स्वीकार करते हैं, तो मानसिक स्पष्टता और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। अपने विचारों को नियमित रूप से चुनौती दें और आत...