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स्वाभिमान (Self-Respect)— आंतरिक शक्ति का मूल स्तंभ —

स्वाभिमान (Self-Respect)  — आंतरिक शक्ति का मूल स्तंभ — स्वाभिमान का अर्थ स्वाभिमान वह गहरी आत्म-मान्यता और गरिमा की भावना है, जो तब जन्म लेती है जब हम अपने मूल्यों, विश्वासों और ईमानदारी के अनुसार जीवन जीते हैं। यह दूसरों की प्रशंसा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इस पर आधारित होता है कि हम स्वयं को कैसे देखते और कैसे समझते हैं। स्वाभिमान के प्रमुख तत्व 1. आत्म-स्वीकृति • अपनी शक्तियों और कमजोरियों को बिना कठोर आलोचना के स्वीकार करना। • अपने अस्तित्व और बीते निर्णयों से संतुष्ट रहना। 2. व्यक्तिगत सीमाएँ (Boundaries) • जहाँ आवश्यक हो “न” कह पाने का साहस। • मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक सीमाओं की रक्षा करना। 3. गरिमामय आचरण • ईमानदारी और न्याय के साथ कार्य करना — चाहे कोई देखे या न देखे। • अपने अंतरात्मा के अनुरूप निर्णय लेना। 4. आत्म-संतुष्टि • दूसरों की प्रशंसा या मान्यता पर निर्भर न रहना। • अपनी अंतरात्मा और विवेक पर विश्वास रखना। 5. आलोचना का संतुलित सामना • बिना टूटे सुनना और समझना। • सीख लेना — परंतु आत्म-मूल्य को न खोना। स्वाभिमान क्यों महत्वपूर्ण है? •...

जब रिश्तों में डर समा जाए: दूरी बनाना कोई गुनाह नहीं

जब रिश्तों में डर समा जाए: दूरी बनाना कोई गुनाह नहीं ~ आनंद किशोर मेहता रिश्ते केवल शब्दों से नहीं, बल्कि व्यवहार और भावनाओं से बनते हैं। जब कोई यह कहता है — "मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ," तो यह वादा सिर्फ एक भावनात्मक संवाद नहीं होता, बल्कि एक गहरी जिम्मेदारी बन जाता है। मैंने भी एक ऐसा अनुभव जिया, जब किसी ने प्रेम और उत्साह के साथ मेरे जीवन में प्रवेश किया। उसके शब्द मधुर थे — साथ, साया, विश्वास, हमेशा… सब कुछ बेहद आत्मीय लगा। परंतु समय के साथ उन शब्दों के पीछे की सच्चाई सामने आने लगी। जो साया पहले सुखद प्रतीत होता था, वही धीरे-धीरे अंधकार फैलाने लगा। और फिर एक दिन उसने कह दिया — "तुझे जान से मार दूँगा।" यह वाक्य केवल एक आक्रोश नहीं था — यह मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला गहरा आघात था। लोग पूछते हैं, “क्यों दूरी बना ली?” उत्तर सरल है, परंतु गंभीर — "मैंने दूरी इसलिए बनाई क्योंकि मुझे स्वयं को बचाना था।" यह दूरी घृणा से नहीं, आत्म-संरक्षण से थी। कभी-कभी सबसे सच्चा प्रेम वही होता है जो स्वयं को टूटने से बचा ले। "खुद को बचाना कोई स्वार्थ नहीं — यह आत्...