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60 की उम्र – जीने का सही समय!

60 की उम्र – जीने का सही समय!  ~  आनंद किशोर मेहता "अब अपनी ज़िंदगी को नए रंग दो, क्योंकि असली मज़ा अब शुरू होता है!" 60 की उम्र तक हम ज़िंदगी की भाग-दौड़ में इतना उलझ जाते हैं कि जीना ही भूल जाते हैं। जिम्मेदारियों का बोझ, समाज की अपेक्षाएँ, बच्चों का भविष्य, करियर की ऊँचाइयाँ—इन सबमें उलझते-उलझते कब जवानी बीत जाती है, पता ही नहीं चलता। लेकिन क्या ज़िंदगी का सफर यहीं खत्म हो जाता है? बिल्कुल नहीं! "अब समाज की नहीं, अपने दिल की सुनो—क्योंकि असली जीवन अब शुरू होता है!" 60 की उम्र तो असल में जीवन का स्वर्णिम दौर है। यह वह समय है जब आप अपनी मर्जी से जी सकते हैं, अपने अधूरे सपनों को पूरा कर सकते हैं और ज़िंदगी को अपने अंदाज में फिर से जीने का आनंद उठा सकते हैं। 1. अब दुनिया की चिंता छोड़ो, खुद को जियो! अब तक हमने अपने परिवार, समाज और ज़िम्मेदारियों को निभाने में अपनी इच्छाओं को कहीं पीछे छोड़ दिया था। लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपने मन की सुनें! ✔ क्या आप कभी पहाड़ों पर घूमना चाहते थे? ✔ क्या आपको पेंटिंग, संगीत या नृत्य का शौक था? ✔ क्या कभी बिना किसी फ...