दयालबाग़ बसंत 2025: आध्यात्मिक उल्लास और चेतना का महोत्सव: ✍ ~ आनंद किशोर मेहता "वसंत केवल ऋतु परिवर्तन नहीं, बल्कि सूर्त के नवजागरण का पर्व है।" वसंत ऋतु प्रकृति के जागरण का समय है। जब धरती अपनी सौंदर्यपूर्ण आभा में मुस्कुराती है, जब कोयल की मधुर कूक और पपीहे की पुकार अंतर्मन को पुलकित कर देती है, जब चारों ओर पीले पुष्पों की स्वर्णिम छटा बिखर जाती है—तब वसंत अपने पूरे वैभव के साथ प्रकट होता है। लेकिन यह ऋतु केवल बाहरी उल्लास का ही नहीं, बल्कि हमारे भीतर छुपे संत स्वरूप को प्रकट करने का भी अवसर है। जब अंतःकरण में स्वतः शब्द गुंजायमान होने लगते हैं, जब हृदय में आरती की लौ स्वयं जल उठती है, जब सूर्त में गुरु का प्रकाश प्रकट होता है—तब वसंत की आनंदमयी अनुभूति एक आध्यात्मिक जागरण बन जाती है। दयालबाग़ बसंत 2025: एक दिव्य अनुष्ठान वसंत पंचमी का दिन दयालबाग़, आगरा में विशेष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। यह केवल ऋतु परिवर्तन का उत्सव नहीं, बल्कि राधास्वामी मत के अनुयायियों के लिए एक पवित्र दिवस रहा। इस वर्ष 6 मार्च से 10 मार्च 2025 तक दयालबाग़ में भव्य उत्...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.