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Beyond Problems: A Balanced Perspective

समस्याओं से आगे: एक नए दृष्टिकोण की ओर परिचय हर व्यक्ति के जीवन में समस्याएँ आती हैं—कभी आर्थिक संकट, कभी रिश्तों में उलझन, कभी करियर की चिंता, तो कभी मानसिक तनाव। हम सभी चाहते हैं कि हमारा जीवन सुखमय हो, लेकिन क्या ऐसा संभव है कि जीवन में कभी कोई समस्या न आए? उत्तर स्पष्ट है— नहीं । समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इनके प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं? उत्तर है— हाँ । यदि हम सही दृष्टिकोण अपनाएँ और अपने मन को जागरूक करें, तो हम किसी भी परिस्थिति में शांति और संतुलन बनाए रख सकते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे हम समस्याओं से परे जाकर एक जागरूक और संतुलित जीवन जी सकते हैं। 1. समस्याएँ क्यों आती हैं? समस्याएँ दो प्रकार की होती हैं: (i) बाहरी समस्याएँ (External Problems) ये वे समस्याएँ हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं, जैसे: ✔ आर्थिक कठिनाइयाँ (नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा) ✔ पारिवारिक समस्याएँ (रिश्तों में मनमुटाव, तलाक, झगड़े) ✔ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें ✔ प्राकृतिक आपदाएँ या कानूनी परेशानियाँ इन समस्याओं को पूरी तरह टालना असंभव है,...

When Humanity Becomes One.

When Humanity Becomes One.  जब मानवता एक होगी । क्या वह दिन भी आएगा, जब पूरी दुनिया सत्य, प्रेम और करुणा को एकसाथ स्वीकार करेगी? संपूर्ण विश्व में सदियों से सत्य, प्रेम और नैतिकता का संदेश गूंजता आ रहा है। हर युग में महापुरुषों ने मानवता को एकता, शांति और नैतिक मूल्यों की राह दिखाने का प्रयास किया। बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, मोहम्मद, गुरु नानक और अन्य संतों ने प्रेम और करुणा का संदेश दिया, लेकिन फिर भी दुनिया आज भी विभाजित है। आज विज्ञान और तकनीक ने मनुष्य को अद्भुत ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। ज्ञान और सूचनाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन क्या हम मानसिक और आत्मिक रूप से भी उसी अनुपात में विकसित हुए हैं? क्या कोई ऐसा मार्गदर्शक आ सकता है, जिसकी बातों को पूरी दुनिया सहर्ष स्वीकार करे और जिसके नेतृत्व में समूची मानवता एक हो सके? आज की दुनिया: विकास और विखंडन आज का युग भौतिक समृद्धि का युग है। विज्ञान ने सीमाएँ तोड़ दी हैं, इंटरनेट ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है, और मनुष्य चाँद और मंगल तक पहुँच चुका है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया में संघर्ष, धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक स्वार्थ, ...

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का!

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का !                            लेखक: आनन्द किशोर मेहता             "जब चेतना का सूर्य उदय होता है, तो भेदभाव के अंधकार स्वयं मिट जाते हैं।" मानव सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए, लेकिन एक चीज जो अभी भी कई जगह जमी हुई है—वह है भेदभाव और असमानता की जड़ें। यह न केवल समाज को भीतर से कमजोर बनाता है, बल्कि एकता और प्रगति की राह में भी बाधा डालता है। लेकिन अब वह समय आ गया है, जब हमें इस संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलकर यह स्वीकार करना होगा कि— ✔ हम सभी एक ही चेतना के अंश हैं। ✔ हमारा अस्तित्व एक ही ऊर्जा से संचालित होता है। ✔ कोई भी व्यक्ति जन्म से श्रेष्ठ या निम्न नहीं होता, बल्कि उसके विचार और कर्म ही उसकी महानता का निर्धारण करते हैं। अब यह सत्य अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि— ✅ सभी को समान अवसर, सम्मान और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ✅ जाति, धर्म, भाषा, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव अब अस्वीकार्य है। ✅ मानवता का वास्तविक धर्म है—समानता, ...