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Showing posts with the label Consciousness

When Consciousness Purifies Intelligence: A Journey Beyond the Mind

When Consciousness Purifies Intelligence: A Journey Beyond the Mind   --Anand Kishor Mehta Intelligence is, by nature, a function of the mind — it gathers, compares, stores, and analyzes information. It is sharp, logical, and analytical. But consciousness does not belong to the mind — it is the luminous presence behind the mind , a silent witness that does not react but reveals . In the early stages of life, we rely on intelligence to understand the world. It is shaped by education, experience, and memory. But as long as intelligence remains untouched by consciousness , it becomes a mechanical process — like a powerful computer disconnected from the soul. However, when consciousness begins to awaken , a miraculous transformation occurs. Intelligence slowly begins to drop its ego, pride in logic, and attachment to knowledge . It becomes humble , refined , and devoted — and starts to serve a higher spiritual purpose . Intelligence is Limited — Consciousness is Infinite...

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव ~ आनंद किशोर मेहता होली मात्र रंगों का त्योहार नहीं, यह सूर्त के रंगों में रंगने और प्रेम की ज्योति जलाने का पर्व है। यह वह क्षण है जब जीवन के समस्त भेदभाव मिट जाते हैं, और हम सभी एक दिव्य चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपे आनंद, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रस्फुटन का अवसर है। होली का आध्यात्मिक संदेश जब तक हम केवल बाहरी रंगों में उलझे रहेंगे, तब तक होली का सच्चा आनंद अधूरा रहेगा। यह पर्व हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने भीतर झाँकें, अहंकार की अग्नि में अपनी बुराइयों को जलाएँ और प्रेम, करुणा और दिव्यता के रंगों में स्वयं को सराबोर करें। आध्यात्मिक होली के प्रमुख पहलू: ✅ भीतर की नकारात्मकता को जलाना – जैसे होलिका दहन में बुराई का अंत होता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के क्रोध, ईर्ष्या, मोह और अहंकार को जलाना चाहिए। ✅ सच्चे आनंद की अनुभूति – बाहरी रंग क्षणिक हैं, लेकिन प्रेम, करुणा और आत्मिक शांति के रंग चिरस्थायी हैं। ✅ मोह-माया से मुक्ति – सांसारिक भटकाव से मुक्त ह...

Know Yourself: The Key to Awareness and Liberation

Know Yourself: The Key to Awareness and Liberation गुस्सा और मतभेद: बादल की गरज की तरह, प्रेम और स्नेह: सूरज की किरणों की तरह ~ आनंद किशोर मेहता जीवन में भावनाओं का उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। कभी गुस्सा (Anger) आता है, कभी मतभेद (Disagreement) होते हैं, तो कभी प्रेम (Love) और स्नेह (Affection) हमें जोड़ते हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि हम अपनी भावनाओं को किस तरह संतुलित (Emotional Balance) करते हैं? गुस्सा और मतभेद बादल की गरज (Thunder of Clouds) की तरह होने चाहिए—जो क्षणिक रूप से शोर करें, लेकिन जल्द ही समाप्त हो जाएँ। वहीं, प्रेम और स्नेह सूरज की किरणों (Sun Rays) की तरह होने चाहिए—जो मौन रहें, लेकिन निरंतर जीवन को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करें। गुस्सा और मतभेद: क्षणिक आवेग (Temporary Impulse), स्थायी नहीं जब आकाश में बादल गरजते हैं, तो वे क्षणिक रूप से वातावरण में हलचल (Disturbance) मचाते हैं, लेकिन वे हमेशा के लिए नहीं टिकते। अगर वे ठहर जाएँ, तो अंधकार (Darkness) और असंतुलन (Imbalance) पैदा कर सकते हैं। उसी तरह, गुस्सा और मतभेद भी अस्थायी (Temporary) होने चाहिए। यदि वे...

Life: A Free Flow or an Illusion of Bondage?

जीवन: स्वतंत्र प्रवाह या बंधनों का भ्रम? ✍ लेखक: आनंद किशोर मेहता भूमिका जीवन अपने आप में एक स्वतंत्र प्रवाह है। यह किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से स्थायी रूप से बंधा नहीं होता, फिर भी हम स्वयं को बंधनों में जकड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह बंधन हमारे मन की रचना है, जो हमारी उम्मीदों, भावनाओं, आशाओं और भरोसे के कारण बनते हैं। अगर हम इस वास्तविकता को समझ लें कि जीवन स्वयं में स्वतंत्र है, तो हम मन की सीमाओं से बाहर निकलकर एक मुक्त, शांत और संतुलित जीवन जी सकते हैं। इस लेख में हम वैज्ञानिक, दार्शनिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों से यह समझने का प्रयास करेंगे कि जीवन वास्तव में बंधनों में है या यह केवल हमारी धारणाओं का भ्रम है। १. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: जीवन ऊर्जा का प्रवाह है विज्ञान के अनुसार, जीवन कोई स्थिर इकाई नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रवाह है। भौतिकी के ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत के अनुसार, ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है और न ही नष्ट होती है—यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। यही सिद्धांत जीवन पर भी लागू होता है। हमारे रिश्ते, हमारी भावनाएं और हमारी...

Evolution of Consciousness: Humans, Animals, Plants, and Nature

चेतना का विकास: मनुष्य, पशु पक्षी, पेड़-पौधे और प्रकृति लेखक: आनन्द किशोर मेहता  Introduction सृष्टि में जो कुछ भी विद्यमान है, उसमें किसी न किसी रूप में चेतना का संचार हो रहा है। यह चेतना ही वह शक्ति है, जो जीवन को अनुभव करने, समझने और उसके मर्म तक पहुँचने की क्षमता प्रदान करती है। मनुष्य के लिए चेतना केवल एक मानसिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐसा रहस्य है, जिसे जानकर जीवन का असली उद्देश्य स्पष्ट हो सकता है। विविध रूपों में चेतना प्रकट होती है, किंतु इसके मूल में एकता है। यह चेतना किसी एक जीव तक सीमित नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और संपूर्ण प्रकृति में भी अपने स्तर पर विद्यमान है। इसे जानना, समझना और सही दिशा में इसका उपयोग करना ही सच्चा जीवन है। 1. Consciousness in Humans मनुष्य को विचार करने, आत्मनिरीक्षण करने और निर्णय लेने की विशेष योग्यता प्राप्त है। यह चेतना उसे केवल भोजन, सुरक्षा और सांसारिक कार्यों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उससे आगे भी बढ़ने की प्रेरणा देती है। जीवन के प्रति गहरी समझ और स्वयं के अस्तित्व का वास्तविक बोध इसी चेतना से संभव होता है। मनुष्य मे...

कॉस्मिक वाइब्रेशन: चेतना के अनसुने रहस्य

कॉस्मिक वाइब्रेशन: चेतना के अनसुने रहस्य।  भूमिका हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, वह ऊर्जा और तरंगों का खेल है। विज्ञान इसे फ्रीक्वेंसी और वाइब्रेशन के रूप में देखता है, और आध्यात्मिक परंपराएँ इसे नाद (ध्वनि) और ज्योति (प्रकाश) के रूप में अनुभव करती हैं। जब कोई साधक अपनी आंतरिक यात्रा में गहराई से उतरता है, तो उसे एक रहस्यमयी ध्वनि और दिव्य प्रकाश का अनुभव होता है, जिसे बाहरी इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता। यह अनुभव जीवन को पूरी तरह से बदल देता है और चेतना के एक नए आयाम में प्रवेश कराता है। प्राचीन और आधुनिक दृष्टिकोण प्राचीन ग्रंथों में इसे "अनहद नाद" और "अखंड ज्योति" कहा गया है। संत कबीर, गुरु नानक, और योगियों ने इसे ध्यान की परम अवस्था माना है। वेदों में इसे शब्द ब्रह्म कहा गया, जिसका अर्थ है—एक दिव्य ध्वनि जो समस्त ब्रह्मांड में अनंत रूप से गूंज रही है। आधुनिक विज्ञान भी इस ओर संकेत कर रहा है। क्वांटम फिजिक्स बताती है कि पूरा ब्रह्मांड कंपन (Vibration) और ऊर्जा से बना है। न्यूरोसाइंस में यह प्रमाणित किया गया है कि ध्यान की गहरी अवस्था में गामा वेव्स (Ga...

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना: एक मौलिक और स्वतंत्र विश्लेषण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना: एक मौलिक और स्वतंत्र विश्लेषण  भूमिका चेतना (Consciousness) विज्ञान की सबसे जटिल और रहस्यमयी पहेलियों में से एक है। यह केवल मस्तिष्क की गतिविधियों का परिणाम है, या यह भौतिक दुनिया से परे भी कोई अस्तित्व रखती है? यदि चेतना एक ही है, तो अलग-अलग व्यक्तियों के अनुभव कैसे अलग होते हैं? यह लेख स्पष्ट, आकर्षक और सरल भाषा में चेतना के न्यूरोसाइंस, क्वांटम भौतिकी, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जुड़े सिद्धांतों का विश्लेषण करेगा। 1. चेतना और मस्तिष्क: न्यूरोसाइंस क्या कहता है? (A) मस्तिष्क और न्यूरॉन्स की भूमिका मस्तिष्क लगभग 86 अरब न्यूरॉन्स से बना है, जो विद्युत-रासायनिक संकेतों के माध्यम से संवाद करते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मस्तिष्क क्षेत्र पहचाने हैं: सेरेब्रल कॉर्टेक्स: सोचने, तर्क करने और आत्मचेतना के लिए। थैलेमस: सूचना प्रसंस्करण और जागरूकता का केंद्र। प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स: निर्णय लेने और व्यक्तित्व निर्माण में सहायक। (B) अलग-अलग अनुभव क्यों होते हैं? हर व्यक्ति का मस्तिष्क अलग तरीके से काम करता है। न्यूरॉन्स का जुड...

मन और चेतना: वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टि

मन और चेतना: वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टि  ✍ लेखक: आनंद किशोर मेहता मनुष्य का मन एक गहरी और जटिल शक्ति है, जो हमारे विचारों, भावनाओं और कार्यों को संचालित करता है। यह मन ही है जो हमें सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मन को चेतना के आधार पर कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है? दरअसल, मन को समझने के दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं— आध्यात्मिक और वैज्ञानिक । इन दोनों के अनुसार, मन को मुख्य रूप से तीन या चार स्तरों में बांटा जा सकता है। आइए, इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं। 1. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: मन की चार अवस्थाएँ आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो मन केवल एक नहीं, बल्कि चार अलग-अलग स्तरों पर कार्य करता है। भारतीय योग और वेदांत दर्शन के अनुसार, मन को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है: (i) जाग्रत अवस्था (सचेतन मन) यह हमारी सामान्य चेतना की अवस्था है। जब हम जागते हैं, रोज़मर्रा के कार्य करते हैं, सोचते और निर्णय लेते हैं, तब हमारा सचेतन मन (Conscious Mind) सक्रिय रहता है। यह इंद्रियों से जुड़ा होता है और बा...

स्व-परिचय और परम वास्तविकता: चेतना की परम यात्रा।

स्व-परिचय और परम वास्तविकता: चेतना की परम यात्रा स्व-परिचय का अर्थ केवल स्वयं को जानना नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व के मूल को अनुभव करना है। लेकिन वास्तव में स्वयं को "जानने" का क्या अर्थ है? यह प्रश्न जितना सरल लगता है, उतना ही गहरा और रहस्यमयी है। यह एक दिव्य विरोधाभास है— हर रहस्य उजागर है, फिर भी कुछ भी पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं। शक्ति विद्यमान है, फिर भी वह अदृश्य और अज्ञेय बनी रहती है। परम चेतना सर्वत्र है, फिर भी वह निराकार और अनिर्वचनीय है। शून्यता और पूर्ण विश्वास, दोनों साथ-साथ विद्यमान रहते हैं। समस्त ज्ञान सुलभ है, फिर भी वास्तविक अनुभूति सीमित प्रतीत होती है। अहंकार का आभास होता है, फिर भी उसका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं। "मैं संपूर्ण ब्रह्मांड हूँ," फिर भी "मैं" का कोई स्वतंत्र स्वरूप नहीं। अतः, परम सत्ता के समक्ष, मेरा व्यक्तिगत अस्तित्व केवल एक भ्रम मात्र है। परम वास्तविकता की अनुभूति सत्य स्व-परिचय संपूर्ण समर्पण और आत्म-विसर्जन में निहित है, जहाँ वास्तविकता और अस्तित्व एकाकार हो जाते हैं। जीवन की प्रत्येक घटना, प्रत्य...

TRAVEL EXPERIENCE 2024:

🌿 " यात्रा के दौरान आत्मिक अनुभवों को गहराई से आत्मसात करना, यात्रा का असली आनंद" 🌿                                                लेखक: आनंद किशोर मेहता यात्रा केवल स्थान बदलने का नाम नहीं, बल्कि संवेदनाओं को आत्मसात करने की प्रक्रिया है। जब हम किसी जगह को एक यात्री नहीं, बल्कि एक निवासी की तरह देखते हैं, तो उसकी संस्कृति, परंपराएँ और जीवनशैली हमारे भीतर गहरी छाप छोड़ जाती हैं। यात्रा को अर्थपूर्ण, अविस्मरणीय और आत्मीय बनाने का एक स्वर्णिम अवसर होता है। 1. संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करें: हर स्थान की अपनी अनूठी पहचान होती है, जिसे समझने के लिए वहाँ की संस्कृति, भाषा, लोककथाएँ और परंपराओं से परिचित होना आवश्यक है। किसी भी जगह जाएँ, तो वहाँ के सामाजिक मूल्यों और संवेदनशीलता को समझने का प्रयास करें। 2. स्थानीय आवास को अपनाएँ: अगर आप किसी जगह की असलियत को महसूस करना चाहते हैं, तो होटल की बजाय स्थानीय होमस्टे, गेस्टहाउस, या गाँवों में ठहरें। यहाँ आपको ...