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भाग दूसरा: जीवन का सच्चा स्वर — भावनाएँ, ज़िम्मेदारियाँ और आत्मिक रिश्तों के रंग

जीवन का सच्चा स्वर — भावनाएँ, ज़िम्मेदारियाँ और आत्मिक रिश्तों के रंग :  "जो दिल से जीते हैं, वे दर्द में भी मुस्कुराते हैं — क्योंकि उनका जीवन दूसरों के लिए एक संदेश होता है, और मौन में भी एक प्रेरणा।" 1. संवेदनशील दिल: मौन में गूंजती संवेदनाओं की दुनिया    ~ आनंद किशोर मेहता.  "जो दिल से सबके लिए जीते हैं, अक्सर खुद के लिए कोई नहीं होता..." कुछ दिल बहुत कोमल होते हैं — वे धड़कते हैं दूसरों के लिए, मुस्कुराते हैं सबके दुःख ढकने के लिए, और टूटते हैं इस दुनिया की बेरुखी में चुपचाप। ये  संवेदनशील दिल  सिर्फ धड़कते नहीं, जीते हैं — दूसरों की तकलीफों में, उनके आंसुओं में, उनकी खामोशियों में। जो हर दर्द को महसूस करते हैं... वे दिल, जो किसी की हल्की सी आहट से भी उसकी पीड़ा पहचान लेते हैं, अक्सर खुद की चुप्पी में खो जाते हैं। वे अपने आँसुओं को नहीं दिखाते, बस दूसरों के आँसू पोछते हैं। इनका अपनापन इतना सच्चा होता है कि ये खुद की नहीं, सबकी फ़िक्र करते हैं। पर क्या कोई इनका होता है...? दुनिया में भावनाओं की जगह कम होती जा रही है। संवेदनशील लोगों की निश्छलता को अक्सर...

2025 की मौलिक भेंट: आभार, प्रेम और प्रकाश के विचार

2025 की मौलिक भेंट: आभार, प्रेम और प्रकाश के विचार © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. मैंने जिसे अपना दोस्त समझा, वही मेरी तकलीफ का किस्सा बना गया लेखक: ~ आनंद किशोर मेहता मैं दर्द को बाँटने आया था, वो दर्द में राज़ ढूंढने लगा। मैंने अपनी तकलीफ को शब्दों में उतारा, और वो उन शब्दों को औज़ार बना लाया। जिसे मैंने “मेरे हालात का गवाह” समझा, वही “मेरे हालात का गुनहगार” निकला। मैंने अपने ज़ख्म दिखाए ताकि मलहम मिले, पर वो तो नापने लगा—कहाँ से ज़्यादा चुभेगा खंजर। जिसे अपने दर्द की चाबी सौंपी थी, उसने तिजोरी ही तोड़ दी। मैंने हर बात बताई थी उसे रोते हुए, और उसने हर बात दोहराई थी दूसरों से हँसते हुए। तू मेरी तड़प में कभी रुका नहीं, शायद इसलिए कि तुझे मेरी तड़प से ही चैन मिलता था। मैंने तुझे भगवान समझा, तुझे पुकारा, और तू मुझे याचक समझ कर खेलता रहा। तू मुस्कराता रहा मेरी टूटन पर, और मैं समझता रहा कि तू मुझे संभाल रहा है। जिसे पुकारा था मैंने रात के अँधेरों में, उसी ने उजाले में मेरा अपमान रच दिया। मैंने अपना दुख तूफ़ान समझकर उड़ाया था, पर तू तो उस तूफ़ान में पतंग उड़ा र...