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Know Yourself: The Key to Awareness and Liberation

खुद को जानना क्यों जरूरी है? INTRODUCTION   मनुष्य के जीवन में सबसे गूढ़ प्रश्नों में से एक यह है— "खुद को जानना क्यों जरूरी है?" यदि यह संसार ईश्वर की रचना है, तो क्या उन्होंने पहले से हमारी नियति तय नहीं कर दी? फिर हमें स्वयं को जानने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? क्या हमारा जीवन केवल भाग्य के प्रवाह में बहने के लिए है, या हमें अपने अस्तित्व और आत्मा को समझने का उत्तरदायित्व मिला है? यह प्रश्न केवल दर्शन, विज्ञान और अध्यात्म तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से भी सीधे जुड़ा हुआ है। सही मायनों में, खुद को जानना आत्म-जागरण और जीवन के वास्तविक उद्देश्य की खोज है। यह केवल एक दार्शनिक विचार नहीं, बल्कि एक गहन अनुभव है, जो जीवन को पूर्णता प्रदान करता है। 1. खुद को जानने का अर्थ क्या है? "खुद को जानना" केवल अपनी बाहरी पहचान तक सीमित नहीं, बल्कि इसका अर्थ अपने वास्तविक स्वरूप, भावनाओं, विचारों, इच्छाओं और आत्मा के स्वरूप को समझना है। जब तक हम अपने भीतर की गहराइयों को नहीं पहचानते, तब तक हम दूसरों की अपेक्षाओं और बाहरी प्रभावों के अनुसार ज...

दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक” 2024

दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक”  AUTHOR: ANAND KISHOR MEHTA Gmail: pbanandkishor@gmail.com   कविता: दयालबाग: “खेत सिक्युरिटी सेवा की झलक”.   (सेवा के पावन अनुभवों पर आधारित एक सहज और सुंदर कविता).                    सेवा का अवसर जब भी मिला, मन प्रेम और आनंद में झूमा,                                              खेतों की इस पुण्य भूमि पर, हर क्षण लगा अमृत के जैसा। हरियाणा, राजस्थान संग, सटा हुआ यह खेत कैंप,     जहाँ प्रेमी जुटे निरंतर, समर्पण का अनुपम संग। आंचल भाई की सेवा देखी, मन श्रद्धा से भर गया,     बिना विश्राम, बिना अवकाश, हर पल सेवा में रमा। दूर खड़े जब देखा उनको, आँखें श्रद्धा से झुक गईं,   निज अहं को त्याग दिया, मालिक की दया-मेहर मिली। दयालबाग में जागरूकता, सतसंगी सब सेवा में तत्पर, जहाँ चरण पड़े मालिक के, वहीं हुआ सब कुछ पावन। यमुना तीरे बैठे थे हम,...