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होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव ~ आनंद किशोर मेहता होली मात्र रंगों का त्योहार नहीं, यह सूर्त के रंगों में रंगने और प्रेम की ज्योति जलाने का पर्व है। यह वह क्षण है जब जीवन के समस्त भेदभाव मिट जाते हैं, और हम सभी एक दिव्य चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपे आनंद, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रस्फुटन का अवसर है। होली का आध्यात्मिक संदेश जब तक हम केवल बाहरी रंगों में उलझे रहेंगे, तब तक होली का सच्चा आनंद अधूरा रहेगा। यह पर्व हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने भीतर झाँकें, अहंकार की अग्नि में अपनी बुराइयों को जलाएँ और प्रेम, करुणा और दिव्यता के रंगों में स्वयं को सराबोर करें। आध्यात्मिक होली के प्रमुख पहलू: ✅ भीतर की नकारात्मकता को जलाना – जैसे होलिका दहन में बुराई का अंत होता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के क्रोध, ईर्ष्या, मोह और अहंकार को जलाना चाहिए। ✅ सच्चे आनंद की अनुभूति – बाहरी रंग क्षणिक हैं, लेकिन प्रेम, करुणा और आत्मिक शांति के रंग चिरस्थायी हैं। ✅ मोह-माया से मुक्ति – सांसारिक भटकाव से मुक्त ह...

When Humanity Becomes One.

When Humanity Becomes One.  जब मानवता एक होगी । क्या वह दिन भी आएगा, जब पूरी दुनिया सत्य, प्रेम और करुणा को एकसाथ स्वीकार करेगी? संपूर्ण विश्व में सदियों से सत्य, प्रेम और नैतिकता का संदेश गूंजता आ रहा है। हर युग में महापुरुषों ने मानवता को एकता, शांति और नैतिक मूल्यों की राह दिखाने का प्रयास किया। बुद्ध, महावीर, ईसा मसीह, मोहम्मद, गुरु नानक और अन्य संतों ने प्रेम और करुणा का संदेश दिया, लेकिन फिर भी दुनिया आज भी विभाजित है। आज विज्ञान और तकनीक ने मनुष्य को अद्भुत ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। ज्ञान और सूचनाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन क्या हम मानसिक और आत्मिक रूप से भी उसी अनुपात में विकसित हुए हैं? क्या कोई ऐसा मार्गदर्शक आ सकता है, जिसकी बातों को पूरी दुनिया सहर्ष स्वीकार करे और जिसके नेतृत्व में समूची मानवता एक हो सके? आज की दुनिया: विकास और विखंडन आज का युग भौतिक समृद्धि का युग है। विज्ञान ने सीमाएँ तोड़ दी हैं, इंटरनेट ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है, और मनुष्य चाँद और मंगल तक पहुँच चुका है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया में संघर्ष, धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक स्वार्थ, ...

INNER PURITY: THE KEY TO TRUE HAPPINESS.

INNER PURITY: THE KEY TO TRUE HAPPINESS.  ANAND KISHOR MEHTA  Every person in the world is in search of happiness, but very few truly understand that real happiness does not lie in external material possessions but in inner purity and mental peace. As long as our mind is afflicted with negative thoughts, emotions, and bad tendencies, experiencing true bliss remains impossible. No matter how great our external achievements may be, if our heart is burdened with ego, greed, jealousy, and anger, true happiness can never enter our lives. Mental and Spiritual Ailments – Obstacles on the Path to Happiness 1️⃣ Ego: Ego is a mental ailment that fills us with self-pride. When a person considers themselves superior to others, humility and empathy fade away. Ego not only ruins relationships but also becomes the greatest obstacle to spiritual growth. Letting go of ego is essential for attaining true happiness. 2️⃣ Greed: Greed is never satisfied. When we desire more than w...