Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Science and Spirituality

कॉस्मिक वाइब्रेशन: चेतना के अनसुने रहस्य

कॉस्मिक वाइब्रेशन: चेतना के अनसुने रहस्य।  भूमिका हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, वह ऊर्जा और तरंगों का खेल है। विज्ञान इसे फ्रीक्वेंसी और वाइब्रेशन के रूप में देखता है, और आध्यात्मिक परंपराएँ इसे नाद (ध्वनि) और ज्योति (प्रकाश) के रूप में अनुभव करती हैं। जब कोई साधक अपनी आंतरिक यात्रा में गहराई से उतरता है, तो उसे एक रहस्यमयी ध्वनि और दिव्य प्रकाश का अनुभव होता है, जिसे बाहरी इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता। यह अनुभव जीवन को पूरी तरह से बदल देता है और चेतना के एक नए आयाम में प्रवेश कराता है। प्राचीन और आधुनिक दृष्टिकोण प्राचीन ग्रंथों में इसे "अनहद नाद" और "अखंड ज्योति" कहा गया है। संत कबीर, गुरु नानक, और योगियों ने इसे ध्यान की परम अवस्था माना है। वेदों में इसे शब्द ब्रह्म कहा गया, जिसका अर्थ है—एक दिव्य ध्वनि जो समस्त ब्रह्मांड में अनंत रूप से गूंज रही है। आधुनिक विज्ञान भी इस ओर संकेत कर रहा है। क्वांटम फिजिक्स बताती है कि पूरा ब्रह्मांड कंपन (Vibration) और ऊर्जा से बना है। न्यूरोसाइंस में यह प्रमाणित किया गया है कि ध्यान की गहरी अवस्था में गामा वेव्स (Ga...

प्रज्ञावानता की गूढ़ परिभाषा: तर्क, मौन और उसकी परे की अवस्था

प्रज्ञावानता की गूढ़ परिभाषा: तर्क, मौन और उसकी परे की अवस्था The Profound Definition of Wisdom: Logic, Silence, and Beyond लेखक: आनंद किशोर मेहता | Author: Anand Kishor Mehta © Copyright 2025 - आनंद किशोर मेहता "मनुष्य का वास्तविक उत्थान उसके विचारों की ऊँचाई से तय होता है, न कि उसकी आवाज़ की ऊँचाई से।" मानव सभ्यता के विकास में तर्क, संवाद और विचार-विमर्श की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। विज्ञान हमें बताता है कि हमारा मस्तिष्क एक अत्यधिक जटिल संरचना है, जो हमें सोचने, समझने और निष्कर्ष निकालने की शक्ति प्रदान करता है। वहीं, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, मन की शुद्धता और आंतरिक शांति को ही सच्ची बुद्धिमत्ता और प्रज्ञावानता का आधार माना जाता है। आज के युग में जब तर्क-वितर्क, संवाद और विवाद हर ओर हावी हो रहे हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम यह समझें कि प्रज्ञावानता केवल वाणी या ज्ञान की अभिव्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी अवस्था है, जहाँ व्यक्ति तर्क और मौन दोनों के पार पहुँच जाता है। आइए इस यात्रा को तीन प्रमुख चरणों में समझते हैं— 1. तर्कशीलता: विचारों क...