कॉस्मिक वाइब्रेशन: चेतना के अनसुने रहस्य। भूमिका हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, वह ऊर्जा और तरंगों का खेल है। विज्ञान इसे फ्रीक्वेंसी और वाइब्रेशन के रूप में देखता है, और आध्यात्मिक परंपराएँ इसे नाद (ध्वनि) और ज्योति (प्रकाश) के रूप में अनुभव करती हैं। जब कोई साधक अपनी आंतरिक यात्रा में गहराई से उतरता है, तो उसे एक रहस्यमयी ध्वनि और दिव्य प्रकाश का अनुभव होता है, जिसे बाहरी इंद्रियों से नहीं जाना जा सकता। यह अनुभव जीवन को पूरी तरह से बदल देता है और चेतना के एक नए आयाम में प्रवेश कराता है। प्राचीन और आधुनिक दृष्टिकोण प्राचीन ग्रंथों में इसे "अनहद नाद" और "अखंड ज्योति" कहा गया है। संत कबीर, गुरु नानक, और योगियों ने इसे ध्यान की परम अवस्था माना है। वेदों में इसे शब्द ब्रह्म कहा गया, जिसका अर्थ है—एक दिव्य ध्वनि जो समस्त ब्रह्मांड में अनंत रूप से गूंज रही है। आधुनिक विज्ञान भी इस ओर संकेत कर रहा है। क्वांटम फिजिक्स बताती है कि पूरा ब्रह्मांड कंपन (Vibration) और ऊर्जा से बना है। न्यूरोसाइंस में यह प्रमाणित किया गया है कि ध्यान की गहरी अवस्था में गामा वेव्स (Ga...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.