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एक शिक्षक की नज़र से: वो जो हर बच्चे में भविष्य देखता है

एक शिक्षक की नज़र से: वो जो हर बच्चे में भविष्य देखता है  लेखक ~ आनंद किशोर मेहता © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. क्या आपने कभी… शिक्षक की आँखों में झाँक कर देखा है? शायद नहीं। क्योंकि वहाँ कोई माँग नहीं होती। कोई शिकायत नहीं। सिर्फ एक उम्मीद होती है — कि यह बच्चा एक दिन उड़ान भरेगा। यह लेख एक शिक्षक की उस चुप सेवा की कहानी है, जो न दिखती है, न कही जाती है। यह उनके लिए नहीं है जो सिर्फ परीक्षा परिणाम देखते हैं, यह उनके लिए है जो यह समझते हैं कि एक अच्छा इंसान बनाना, सबसे बड़ी शिक्षा है। तो पढ़िए... अपने बच्चे की उन भावनाओं को समझने के लिए जो वह शब्दों में नहीं कह पाता, पर जो उसके शिक्षक हर रोज़ पढ़ लेते हैं। "बच्चा सिर्फ एक रोल नंबर नहीं होता, वो एक दुनिया होता है – मासूम, उम्मीदों से भरी, और हमारे हर व्यवहार से आकार लेती हुई।" "जो बच्चे घर में उपेक्षित हैं, वे स्कूल में किसी टीचर की मुस्कान में माँ-बाप ढूँढ़ते हैं।" हर सुबह एक शिक्षक जब स्कूल पहुँचता है... ...तो वह केवल पाठ्यक्रम का भार नहीं उठाता, वह अपने कंधों पर आने...

माता-पिता और संतान का सच्चा कर्तव्य

माता-पिता और संतान का सच्चा कर्तव्य ~ आनंद किशोर मेहता माता-पिता और संतान का संबंध केवल प्रेम और भावनाओं का नहीं, बल्कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का भी होता है। अगर कोई माता-पिता सिर्फ उपहार देकर या मीठी बातें कहकर अपने फर्ज से बचना चाहें, या संतान केवल दिखावे के प्रेम से माता-पिता को खुश करने की कोशिश करे, तो यह उनके वास्तविक कर्तव्य से विमुख होना है। माता-पिता का कर्तव्य संस्कार और मार्गदर्शन – बच्चों को नैतिकता, अनुशासन और आत्मनिर्भरता सिखाना। समय और सहयोग – केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहयोग देना। स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता – बच्चों को जीवन में संघर्ष के लिए तैयार करना। संतान का कर्तव्य सम्मान और सेवा – माता-पिता के प्रति सच्चा आदर और उनकी देखभाल करना। समय देना – व्यस्तता के बावजूद माता-पिता के साथ समय बिताना। भावनात्मक और आर्थिक संबल – उम्र बढ़ने पर उन्हें सुरक्षा और सहारा देना। भावार्थ माता-पिता और संतान दोनों को एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए। केवल उपहारों और दिखावे से नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम, सेवा...