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पौधा क्या कहता है: मौन में बसी जीवन की पुकार

पौधा क्या कहता है: मौन में बसी जीवन की पुकार ~ आनंद किशोर मेहता प्रकृति की गोद में खड़ा एक नन्हा पौधा, जो न बोलता है, न शिकायत करता है, फिर भी वह हमें जीवन के सबसे महत्वपूर्ण सबक सिखा जाता है। वह मौन रहकर भी बोलता है — अपने हावभाव, रंगों, रूप और जीवन-शक्ति के माध्यम से। जब हम ध्यान से देखते हैं, तो महसूस होता है कि एक पौधा केवल हरियाली का प्रतीक नहीं, बल्कि संघर्ष, सहनशीलता और सेवा की जीवंत प्रतिमा है। उसकी जड़ें धरती में गहराई से जुड़ी होती हैं, लेकिन उसकी टहनियाँ हमेशा आसमान की ओर बढ़ती हैं — यह सिखाने के लिए कि नींव जितनी मजबूत हो, ऊँचाई उतनी ही सच्ची होती है। वह कहता है — “धैर्य रखो, ना घबराओ, हर बीज में सपना सजाओ।” पौधा तब उगता है जब बीज अंधेरे मिट्टी में, बिना शिकायत के, अपने भीतर की ऊर्जा को पंख बनने देता है। यह हमें विश्वास, उम्मीद और समय का महत्व समझाता है। हर ऋतु को वह सहजता से अपनाता है — न ठंडी से डरता है, न गर्मी से। उसकी सहनशीलता और समय के साथ सामंजस्य बिठाने की कला हमें सिखाती है कि बदलाव जीवन का हिस्सा है, और उसे अपनाना ही बुद्धिमानी है। वह बिना क...