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मन की स्वतंत्रता: मानसिक बंधनों से परे एक नई दुनिया।

  मन की स्वतंत्रता: मानसिक बंधनों से परे एक नई दुनिया लेखक: आनंद किशोर मेहता हमारे जीवन में सबसे बड़ी बाधा हमारे अपने विचार होते हैं। मन की बनाई सीमाएँ हमें बाँध लेती हैं और हम एक निश्चित दायरे में ही सोचने लगते हैं। यह सीमाएँ हमारे अनुभवों, विश्वासों और समाज के प्रभाव से बनती हैं। लेकिन यदि हम इन्हें पहचानकर पार कर लें, तो हम अपने जीवन में एक नई दिशा पा सकते हैं। 1. मानसिक बंधनों को पहचानें हर व्यक्ति के मन में कुछ अदृश्य बंधन होते हैं, जो उसे आगे बढ़ने से रोकते हैं। ये बंधन डर, असफलता का भय, नकारात्मक अनुभवों और दूसरों की धारणाओं से बने होते हैं। जब हम समझते हैं कि ये केवल हमारे मन की उपज हैं, तो हम इन्हें तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। 2. सोच का विस्तार करें हम जिस दायरे में सोचते हैं, वही हमारा संसार बन जाता है। जब हम नई सोच अपनाते हैं, तो मन की सीमाएँ टूटने लगती हैं। सकारात्मकता, खुलापन और नई संभावनाओं की स्वीकृति हमें मानसिक स्वतंत्रता की ओर ले जाती हैं। 3. अच्छे कर्मों से आंतरिक शुद्धता कर्मों का प्रभाव हमारे मन और चेतना पर गहरा पड़ता है। जब हम अच्छे कर...