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भाग तीसरा: सचेत सोच, सफल जीवन: आत्मविकास की दिशा में एक यात्रा ।

भाग तीसरा:  सचेत सोच, सफल जीवन: आत्मविकास की दिशा में एक यात्रा ।  Introduction: जीवन की दौड़ में अक्सर हम केवल बाहरी उपलब्धियों की ओर भागते रहते हैं, लेकिन वास्तविक शांति, संतुलन और विकास तभी संभव है जब हम अपने भीतर की यात्रा प्रारंभ करें। यह यात्रा तभी सार्थक बनती है जब हम हर दिन, हर क्षण सचेत रहें — अपने विचारों, प्रतिक्रियाओं और निर्णयों के प्रति। यह लघु लेख संग्रह उन विचारों का संकलन है जो हमें हर स्थिति में जागरूक, सकारात्मक और सशक्त रहने की प्रेरणा देते हैं। यह हमें सिखाते हैं कि — हमें अपनी मर्जी से जीना है, पर एक मार्गदर्शक के साथ , हर कार्य को एक रिसर्चर की तरह गहराई से करना है , नकारात्मक सोच और व्यवहार से स्वयं को कैसे बचाना है , और अंततः, हर पल को सुधार का अवसर मानकर आगे बढ़ना है। यह छोटे-छोटे विचार गहराई से सोचने और अपने जीवन में स्थायी सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आमंत्रण हैं। इनमें कहीं आत्मसंयम की झलक है, कहीं आत्म-सशक्तिकरण का संदेश। यह संवेदनशील मन के लिए शक्ति और दिशा दोनों प्रदान करते हैं। 1 . तुम वही क्यों करो जो मेरी मर्ज़ी हो ?  ...