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समाज में बच्चों के प्रति लापरवाही: एक गंभीर समस्या

समाज में बच्चों के प्रति लापरवाही: एक गंभीर समस्या  ~ आनंद किशोर मेहता हमारा समाज बच्चों के भविष्य के प्रति अक्सर लापरवाह हो जाता है। यह लापरवाही न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी खतरनाक हो सकती है। इस लेख का उद्देश्य समाज को जागरूक करना है, ताकि हम बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाएं। 1. शैक्षिक और मानसिक विकास पर प्रभाव बच्चों के प्रति लापरवाही उनके शैक्षिक और मानसिक विकास को रोक देती है। जब बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, तो उनकी शिक्षा कमजोर हो जाती है, और उनका आत्मविश्वास भी घटता है। "बच्चे समाज का सबसे सुंदर फूल हैं, जिनकी देखभाल उनके भविष्य का आधार है।" 2. भावनात्मक असंतुलन बच्चों को भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। जब उन्हें यह नहीं मिलता, तो वे अकेलापन और अवसाद का सामना कर सकते हैं, जो समाज के लिए खतरनाक हो सकता है। 3. आत्मनिर्भरता की कमी बच्चों को निर्णय लेने का अवसर नहीं मिलने से उनकी आत्मनिर्भरता में कमी आती है। यह उन्हें जीवन के संघर्षों का सामना करने में असमर्थ बना सकता है। "जो हम बच्चों को आज सिखाते...

सत्य और प्रकाश का संघर्ष: क्यों अंधकार रूठ जाता है?

सत्य और प्रकाश का संघर्ष: क्यों अंधकार रूठ जाता है? ~ आनंद किशोर मेहता भूमिका "सत्य और प्रकाश का मार्ग चुनना जितना सरल दिखता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। जैसे ही व्यक्ति ज्ञान और सच्चाई की ओर बढ़ता है, अंधकार उसे रोकने का हर संभव प्रयास करता है।" अंधकार केवल रोशनी की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक स्थिति भी है। जब कोई व्यक्ति सत्य, ज्ञान और नैतिकता की ओर अग्रसर होता है, तो वे शक्तियाँ जो अंधकार में जीने की अभ्यस्त हैं, इसका विरोध करने लगती हैं। सत्य का प्रकटीकरण अज्ञान और स्वार्थ पर आघात करता है, इसलिए विरोध स्वाभाविक है। अंधकार का स्वभाव: क्यों वह रूठता है? अंधकार का स्वभाव अपने अस्तित्व को बचाने का है। जब कोई प्रकाश जलाता है, तो अंधकार को हटना ही पड़ता है, और यह उसे स्वीकार नहीं होता। परिवर्तन का भय – सत्य परिवर्तन लाता है, और लोग परिवर्तन से डरते हैं क्योंकि यह उनकी जड़ता को तोड़ता है। स्वार्थ और अहंकार – जो अंधकार से लाभ उठाते हैं, वे सत्य को स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि यह उनके स्वार्थ पर चोट करता है। मोह और अज्ञान – अंधकार में र...

Consciousness: A Profound Mystery-

Consciousness: A Profound Mystery- Author: Anand Kishor Mehta प्रश्न जो इस लेख में संबोधित किए गए हैं: चेतना वास्तव में क्या है, और इसकी उत्पत्ति कैसे होती है? क्या चेतना केवल मस्तिष्क की एक प्रक्रिया है, या यह किसी उच्च सत्ता से प्रवाहित होती है? बुद्धि और चेतना में मौलिक अंतर क्या है? आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना का क्या महत्व और प्रभाव है? चेतना: एक गूढ़ रहस्य चेतना केवल मस्तिष्क की न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों से उत्पन्न नहीं होती, बल्कि यह एक शाश्वत और असीम शक्ति है, जो चेतना के सर्वोच्च सत्ता से प्रवाहित होती है। यह हमारे अस्तित्व का मूल तत्व है, जो हमें केवल भौतिक जगत तक सीमित नहीं रखता, बल्कि आत्मबोध और आध्यात्मिक विकास के उच्चतम स्तर तक ले जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना को न्यूरोसाइंस और भौतिकी के दृष्टिकोण से देखने पर, यह मस्तिष्क में होने वाली जटिल विद्युत और रासायनिक प्रक्रियाओं से जुड़ी होती है।  आधुनिक विज्ञान के अनुसार, यह न्यूरॉन्स के नेटवर्क और उनकी आपसी संचार प्रणाली के परिणामस्वरूप प्रकट होती है।  कुछ वैज्ञानिक इसे क्वांटम यांत्रिकी...

सत्य की विजय: एक अनिवार्य सत्य

सत्य की विजय: एक अनिवार्य सत्य  लेखक: आनंद किशोर मेहता सारांश सत्य और असत्य का संघर्ष अनादि काल से चला आ रहा है। यह केवल समाज तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी चलता रहता है। जब तक हम अपने भीतर की बुराइयों को पहचानकर उन्हें समाप्त नहीं करेंगे, तब तक समाज में सत्य की पूर्ण विजय संभव नहीं होगी। इतिहास साक्षी है कि अंततः सत्य की ही जीत होती है, चाहे असत्य कितना भी प्रबल क्यों न लगे। भूमिका जब तक इस संसार में बुराई विद्यमान है, तब तक यह संकेत है कि हम अभी पूर्ण चेतना और शांति से दूर हैं। बुराई केवल समाज में नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी निवास करती है। यदि हम अपने भीतर सुधार नहीं करेंगे, तो सत्य की विजय अधूरी ही रहेगी। यह लेख सत्य की यात्रा को समझने और हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का प्रयास है। सत्य और बुराई का संघर्ष राम-रावण, कृष्ण-कंस, महाभारत—ये केवल कथाएँ नहीं, बल्कि प्रमाण हैं कि सत्य और असत्य का संघर्ष शाश्वत है। आज भी अन्याय, लालच और असत्य को देखकर लगता है कि बुराई प्रबल हो रही है, लेकिन इतिहास ने बार-बार सिद्ध किया है कि सत्य की जीत अवश्यंभावी है। क्या बुराई केव...