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जिससे उम्मीद थी समझने की, उसने मुझे सुधारने की ठान ली

जिससे उम्मीद थी समझने की, उसने मुझे सुधारने की ठान ली ~ आनंद किशोर मेहता कभी-कभी जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति आता है जिससे हम न सिर्फ अपने मन की बात कहते हैं, बल्कि दिल की परतें भी खोल देते हैं। हमें लगता है कि यही तो वो है जो हमें बिना कहे समझ लेगा। जिसकी आंखों में हमारे भीतर की हलचल पढ़ने की क्षमता होगी। जिसे हम अपने टूटे टुकड़ों के साथ स्वीकार कर पाएंगे। और वह हमें वैसे ही अपना लेगा। पर जब वही व्यक्ति, जिसे हमने समझने वाला चुना, हमें 'सुधारने' लगे—तो वह सबसे बड़ी चुभन होती है। "जो हमें समझते हैं, वे हमें कभी भी सुधारने की कोशिश नहीं करते।" मैंने शब्द नहीं मांगे थे, बस थोड़ा सा समझना चाहा था। लेकिन उसने मेरे भावों को 'कमज़ोरी' समझ लिया। "हमारी कमजोरी हमारी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है, यदि उसे बिना किसी डर के अपनाया जाए।" कभी-कभी इंसान बस चाहता है कि कोई उसे सुने, उसके दर्द को महसूस करे, बिना कोई नसीहत दिए। वह बस चाहता है कि कोई उसके साथ बैठे और कहे—"हाँ, मैं समझता हूँ तुम्हें, जैसा तुम हो वैसा ही।" पर जब वह व्यक्ति आपको सुधारने की नी...