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Showing posts with the label आधुनिक शिक्षा

गुरु-शिष्य संबंध: ज्ञान से जीवन के प्रकाश तक

गुरु-शिष्य संबंध: ज्ञान से जीवन के प्रकाश तक भूमिका गुरु-शिष्य का संबंध केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन का आधार और आत्मिक विकास की नींव है। गुरु केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर शिष्य को प्रकाश की ओर ले जाता है। यह संबंध केवल शब्दों का नहीं, बल्कि अनुभव, अनुशासन और आंतरिक चेतना का सेतु है। प्राचीन से आधुनिक तक: बदलता स्वरूप गुरुकुल युग: तप और समर्पण शिष्य अपने अहंकार, स्वार्थ और अज्ञान को त्यागकर गुरु की शरण में जाता था। शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मबोध और कर्तव्यबोध का माध्यम थी। गुरु, शिष्य के जीवन का वह शिल्पकार था, जो उसे हीरे की तरह तराशता था। "गुरु की छाया में बैठा शिष्य, तपस्वी की तरह ज्ञान की अग्नि में जलता था और एक दैदीप्यमान रत्न बनकर निकलता था।" आधुनिक युग: तकनीक और नई सोच के साथ संबंध कक्षाएँ डिजिटल हो गईं, लेकिन गुरु की भूमिका आज भी अमूल्य बनी हुई है। शिक्षक अब केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि कोच, मार्गदर्शक और मनोवैज्ञानिक भी हैं। शिक्षा अब केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, बल्कि इनोवेशन, क्रि...

बच्चों पर होमवर्क और स्कूली शिक्षा का बोझ

बच्चों पर होमवर्क और स्कूली शिक्षा का बोझ  ~ आनंद किशोर मेहता आज की शिक्षा प्रणाली बच्चों के संपूर्ण विकास के बजाय उन पर पढ़ाई और होमवर्क का भारी बोझ डाल रही है। स्कूल से लौटने के बाद भी बच्चे असाइनमेंट और रटने में उलझे रहते हैं, जिससे उनका खेल-कूद, रचनात्मकता और पारिवारिक समय प्रभावित होता है। समस्या के मुख्य कारण अत्यधिक होमवर्क – पढ़ाई का बोझ इतना बढ़ गया है कि बच्चों को आराम का समय ही नहीं मिलता। रचनात्मकता और खेल की कमी – खेल और अन्य गतिविधियों को पढ़ाई से कम महत्वपूर्ण समझा जाता है, जबकि वे मानसिक और शारीरिक विकास के लिए ज़रूरी हैं। मानसिक तनाव – पढ़ाई के दबाव से बच्चे चिड़चिड़े और तनावग्रस्त होने लगे हैं। समाधान सीमित और उपयोगी होमवर्क दिया जाए ताकि बच्चे अन्य गतिविधियों में भी भाग ले सकें। खेल-कूद और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जाए ताकि शिक्षा बोझ न लगे। स्मार्ट लर्निंग और रुचिकर शिक्षण पद्धतियाँ अपनाई जाएँ जिससे बच्चे पढ़ाई का आनंद ले सकें। माता-पिता और शिक्षक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें ताकि वे तनावमुक्त और खुशहाल रह सकें। निष्...