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Showing posts with the label प्रेरणादायक विचार

THOUGHTS 18 MAY 2025

THOUGHTS:-   ना मुझे काना-फूसी भाती है, ना जी-हुजूरी रास आती है; मैं तो बस प्रेम का राही हूँ — जिसकी हर एक चाल, प्रेम ने सुलझाई है। — आनंद किशोर मेहता झूठ के सहारे बड़ी-बड़ी बातें की जा सकती हैं, लेकिन मानवता की ऊँचाई केवल सच से ही हासिल होती है। — आनंद किशोर मेहता मानवता कोई वेश नहीं, जिसे ज़रूरत के हिसाब से बदला जा सके — यह तो आत्मा की असली परछाई है। — आनंद किशोर मेहता जहाँ स्वार्थ बोलते हैं, वहाँ वास्तविकता खामोश हो जाती है — क्योंकि वह दिखावे की मोहताज नहीं होती। — आनंद किशोर मेहता रिश्ते बनते हैं शब्दों से, लेकिन टिकते हैं कर्तव्यों से। — आनंद किशोर मेहता जो पीठ पीछे भी वैसा ही रहे, वही सच्ची मानवता है — बाकी सब अभिनय है। — आनंद किशोर मेहता स्वयं का मूल्य न जानने वाला, दूसरों के मूल्य को क्या समझेगा? जो अपने ही अस्तित्व को न पहचान सका, वो भला औरों की अहमियत क्या जाने? — आनंद किशोर मेहता जिसने खुद की अहमियत को पहचान लिया, वही दूसरों की असल कदर करना जानता है – क्योंकि सम्मान देना, पहले स्वयं से शुरू होता है। — आनंद किशोर मेहता जो अपने ही मन की चालबाज़ियों, भ...

ज्ञान की किरने: शिक्षा से चमकता भारत, मुस्कुराता विश्व

ज्ञान की किरने: शिक्षा से चमकता भारत, मुस्कुराता विश्व (A Ray of Hope for Humanity)  हर सुबह एक नई उम्मीद लेकर आती है, लेकिन उस उम्मीद को आकार देती है — एक सच्ची शिक्षा। बचपन कोई कच्ची मिट्टी नहीं, बल्कि वह जड़ है जिससे पूरा जीवन पनपता है। और यदि जड़ ही उपेक्षित रह जाए, तो फिर कितना भी पानी दो, पेड़ कभी फल नहीं देगा। भारत का भविष्य उसके बच्चों में छिपा है, और बच्चों का भविष्य — एक ऐसी शिक्षा में, जो केवल सिखाए नहीं, जीना सिखाए। सही शिक्षा: जो मन छुए, मस्तिष्क बदले और हृदय को दिशा दे शिक्षा कोई बोझ नहीं, वह तो एक आनंद यात्रा है — जहाँ हर बच्चा अपने भीतर की ज्योति को पहचानता है। किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण है, पर जब तक उसमें संवेदना और जीवन के मूल्यों का स्पर्श न हो, वह अधूरा ही रहता है। बच्चे को "अच्छा विद्यार्थी" बनाना सरल है, पर उसे "अच्छा इंसान" बनाना ही असली शिक्षा है।  बचपन की दुनिया: भय नहीं, विश्वास चाहिए हर बच्चा चाहता है कि कोई उसे सुने, कोई उसे समझे, कोई बिना डाँटे, बस मुस्कराकर उसकी पीड़ा को बाँट ले। स्कूल ऐसा...

बचपन की लौ: शिक्षा से संवरता जीवन, जगता भविष्य

बचपन की लौ: शिक्षा से संवरता जीवन, जगता भविष्य (संवेदनशील, प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी लेख) प्रस्तावना: कुछ विचार किसी पुस्तक में नहीं मिलते—वे जीवन की गोद में पलते हैं, अनुभवों की आँच में तपते हैं और संवेदना के जल में शुद्ध होते हैं। ऐसा ही एक विचार है— बचपन । बचपन वह भूमि है जहाँ भविष्य की नींव रखी जाती है, और शिक्षा वह जल है जो उस नींव को सींचता है। यदि हम इसे समझ पाएँ, तो जीवन सचमुच Evergreen हो सकता है। बचपन की मुस्कान में ही सच्चा कल बसता है—उसे मत खोने दो। 1. शिक्षा: केवल पढ़ाई नहीं, एक जीवंत यात्रा आज शिक्षा को अक्सर एक ‘सिस्टम’ समझा जाता है—पढ़ो, परीक्षा दो, अंक लाओ। लेकिन बच्चों के लिए शिक्षा सिर्फ किताबों की दुनिया नहीं है। वह एक अनुभव है—जहाँ वे सवाल पूछते हैं, गिरते हैं, उठते हैं, और खुद को पहचानते हैं। जब शिक्षा में प्रेम, संवाद और आत्म-स्पर्श जुड़ जाता है, तब वह केवल भविष्य नहीं, पूरी ज़िंदगी बदल देती है। जहाँ पाठ्यक्रम खत्म होता है, वहीं से असली शिक्षा शुरू होती है। 2. बचपन की चुप्पी और सन्नाटा हर दिन कुछ मासूम चेहरे खामोशी में डूबे होते ह...