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होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव

होली: रंगों से परे प्रेम, चेतना और आत्मिक जागरण का उत्सव ~ आनंद किशोर मेहता होली मात्र रंगों का त्योहार नहीं, यह सूर्त के रंगों में रंगने और प्रेम की ज्योति जलाने का पर्व है। यह वह क्षण है जब जीवन के समस्त भेदभाव मिट जाते हैं, और हम सभी एक दिव्य चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपे आनंद, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रस्फुटन का अवसर है। होली का आध्यात्मिक संदेश जब तक हम केवल बाहरी रंगों में उलझे रहेंगे, तब तक होली का सच्चा आनंद अधूरा रहेगा। यह पर्व हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने भीतर झाँकें, अहंकार की अग्नि में अपनी बुराइयों को जलाएँ और प्रेम, करुणा और दिव्यता के रंगों में स्वयं को सराबोर करें। आध्यात्मिक होली के प्रमुख पहलू: ✅ भीतर की नकारात्मकता को जलाना – जैसे होलिका दहन में बुराई का अंत होता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के क्रोध, ईर्ष्या, मोह और अहंकार को जलाना चाहिए। ✅ सच्चे आनंद की अनुभूति – बाहरी रंग क्षणिक हैं, लेकिन प्रेम, करुणा और आत्मिक शांति के रंग चिरस्थायी हैं। ✅ मोह-माया से मुक्ति – सांसारिक भटकाव से मुक्त ह...

TRAVEL EXPERIENCE 2024:

🌿 " यात्रा के दौरान आत्मिक अनुभवों को गहराई से आत्मसात करना, यात्रा का असली आनंद" 🌿                                                लेखक: आनंद किशोर मेहता यात्रा केवल स्थान बदलने का नाम नहीं, बल्कि संवेदनाओं को आत्मसात करने की प्रक्रिया है। जब हम किसी जगह को एक यात्री नहीं, बल्कि एक निवासी की तरह देखते हैं, तो उसकी संस्कृति, परंपराएँ और जीवनशैली हमारे भीतर गहरी छाप छोड़ जाती हैं। यात्रा को अर्थपूर्ण, अविस्मरणीय और आत्मीय बनाने का एक स्वर्णिम अवसर होता है। 1. संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करें: हर स्थान की अपनी अनूठी पहचान होती है, जिसे समझने के लिए वहाँ की संस्कृति, भाषा, लोककथाएँ और परंपराओं से परिचित होना आवश्यक है। किसी भी जगह जाएँ, तो वहाँ के सामाजिक मूल्यों और संवेदनशीलता को समझने का प्रयास करें। 2. स्थानीय आवास को अपनाएँ: अगर आप किसी जगह की असलियत को महसूस करना चाहते हैं, तो होटल की बजाय स्थानीय होमस्टे, गेस्टहाउस, या गाँवों में ठहरें। यहाँ आपको ...