अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का ! लेखक: आनन्द किशोर मेहता "जब चेतना का सूर्य उदय होता है, तो भेदभाव के अंधकार स्वयं मिट जाते हैं।" मानव सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए, लेकिन एक चीज जो अभी भी कई जगह जमी हुई है—वह है भेदभाव और असमानता की जड़ें। यह न केवल समाज को भीतर से कमजोर बनाता है, बल्कि एकता और प्रगति की राह में भी बाधा डालता है। लेकिन अब वह समय आ गया है, जब हमें इस संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलकर यह स्वीकार करना होगा कि— ✔ हम सभी एक ही चेतना के अंश हैं। ✔ हमारा अस्तित्व एक ही ऊर्जा से संचालित होता है। ✔ कोई भी व्यक्ति जन्म से श्रेष्ठ या निम्न नहीं होता, बल्कि उसके विचार और कर्म ही उसकी महानता का निर्धारण करते हैं। अब यह सत्य अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि— ✅ सभी को समान अवसर, सम्मान और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ✅ जाति, धर्म, भाषा, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव अब अस्वीकार्य है। ✅ मानवता का वास्तविक धर्म है—समानता, ...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.