सहयोग, संगठन और सफलता लेखक: आनंद किशोर मेहता भूमिका: सफलता केवल व्यक्तिगत प्रयासों से नहीं मिलती, बल्कि यह सहयोग, संगठन और सामूहिक संकल्प की दिव्य शक्ति से जन्म लेती है। जब हृदय समर्पित होता है, मन एकता से ओत-प्रोत होता है, और कर्म में समन्वय होता है, तब असंभव भी संभव हो जाता है। संगठित प्रयास न केवल लक्ष्य को साकार करते हैं, बल्कि मानवता के उत्थान का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। किसी भी संस्था या सतसंग जगत में सहयोग और संगठन की भूमिका आधारशिला की तरह होती है, जो आत्मिक उन्नति के साथ-साथ नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। सहयोग: एक दिव्य शक्ति सहयोग मात्र सहायता का नाम नहीं है, बल्कि यह उच्चतम भावनाओं से परिपूर्ण एक पवित्र प्रक्रिया है। यह परस्पर विश्वास, एकता और प्रेम को जन्म देता है। जब हम निःस्वार्थ भाव, दीनता और समर्पण से सहयोग करते हैं, तो ईश्वरीय अनुकंपा स्वतः ही हमारी ओर प्रवाहित होती है। सहयोग से प्राप्त अनमोल लाभ: असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी सहजता से पूर्ण हो जाते हैं। नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है। समस्याओं का समाधान करने की शक्ति विकसित होती...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.