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शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय: जीवन की दिव्यता का अनुभव

✦ शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय ✦ लेखक: आनंद किशोर मेहता (सर्वाधिकार सुरक्षित - Copyright © Anand Kishor Mehta) शुद्ध दृष्टि, निर्मल हृदय: जीवन की दिव्यता का अनुभव कभी-कभी जीवन में ऐसा प्रतीत होता है कि हर क्षण हल्का-हल्का सुरूर छाया हुआ है। यह कोई बाहरी नशा नहीं, बल्कि भीतर से उपजी गहरी अनुभूति है। जब हमारी दृष्टि शुद्ध और हृदय निर्मल हो जाता है, तो संसार का अनुभव पूरी तरह बदल जाता है। यह वही अवस्था है, जब जीवन में सहज आनंद, प्रेम और दिव्यता का संचार होता है। यह अनुभव किसी बाहरी परिस्थिति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि हमारी आंतरिक स्थिति से जन्म लेता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना, मस्तिष्क और अनुभूति मनुष्य का अनुभव पूरी तरह से उसकी चेतना और मस्तिष्क की गतिविधियों पर निर्भर करता है। न्यूरोसाइंस के अनुसार, जब हमारा मस्तिष्क गामा वेव्स (Gamma Waves) उत्पन्न करता है, तब हम गहरे ध्यान और आनंद की अवस्था में होते हैं। यही वह स्थिति है, जब हमें जीवन के हर छोटे-बड़े अनुभव में गहराई और सौंदर्य महसूस होने लगता है। जब हम प्रेम, करुणा और संतोष जैसी भावनाओं को अपनाते हैं, तो मस्तिष्क में ऑक्सीटो...