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सही या गलत से परे जाओ: आत्मा की स्वच्छंद उड़ान

सही या गलत से परे जाओ: आत्मा की स्वच्छंद उड़ान ~ आनंद किशोर मेहता हम अपने जीवन में हर क्षण निर्णय करते हैं — यह सही है या गलत? यह अच्छा है या बुरा? यह पाप है या पुण्य? पर क्या कभी आपने सोचा है कि यह "सही और गलत" का विचार स्वयं कहाँ से आता है? यह समाज से आता है, परंपराओं से आता है, संस्कारों से आता है — परंतु आत्मा की आवाज़ इन सबसे परे होती है। द्वैत से अद्वैत की ओर हमारा जीवन द्वैत (Duality) से भरा है: सुख-दुख, जीत-हार, दोष-गुण, सही-गलत। परंतु जब आत्मा जागती है, तो वह इन सभी द्वंद्वों को पार करके अद्वैत में प्रवेश करती है — जहाँ कोई पक्ष नहीं होता, केवल शुद्ध चेतना होती है। वहाँ न आलोचना होती है, न प्रशंसा; न अस्वीकार होता है, न पक्षपात — केवल साक्षीभाव होता है। साक्षी बनो, निर्णायक नहीं जब हम स्वयं को और दूसरों को सही या गलत ठहराने लगते हैं, तो हम अहंकार से भर जाते हैं। पर जब हम साक्षीभाव में आते हैं, तब हम समझने लगते हैं कि हर जीव अपनी स्थिति, परिस्थिति और चेतना के अनुसार ही व्यवहार करता है। हममें करुणा आती है, और प्रतिक्रिया की जगह समझदारी जन्म लेती है...