मन का त्रिस्तरीय विकास: साधारण से परम श्रेष्ठता तक की यात्रा AUTHOR: ANAND KISHOR MEHTA (The Threefold Evolution of Mind: From Ordinary to Ultimate Greatness) मानव मन की गहराइयों को समझने के लिए हमें न्यूरोसाइंस, दर्शन, समाजशास्त्र और आध्यात्मिकता के विभिन्न दृष्टिकोणों को खंगालना होगा। यह लेख आपको अपनी मानसिक अवस्थाओं को पहचानने, सुधारने और उन्हें श्रेष्ठता की ओर ले जाने में सहायता करेगा। १. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: न्यूरोसाइंस के अनुसार मन की अवस्थाएँ (1) साधारण मन (Ordinary Mind) इस अवस्था में व्यक्ति तर्क-वितर्क, प्रतिस्पर्धा और बाहरी उपलब्धियों में उलझा रहता है। न्यूरोसाइंस के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने की कोशिश करता है, तो उसका प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (मस्तिष्क का निर्णय-निर्माण केंद्र) सक्रिय हो जाता है। इस अवस्था में बीटा तरंगें हावी रहती हैं, जो अत्यधिक सोच, मानसिक तनाव और चिंता को जन्म देती हैं। यह अवस्था समाज में सत्ता, प्रतिष्ठा और प्रभाव बढ़ाने की प्रवृत्ति से जुड़ी होती है। (2) महान मन (Great Mind) जब कोई व्यक्ति मौन धारण करता...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.