जब रिश्तों में डर समा जाए: दूरी बनाना कोई गुनाह नहीं ~ आनंद किशोर मेहता रिश्ते केवल शब्दों से नहीं, बल्कि व्यवहार और भावनाओं से बनते हैं। जब कोई यह कहता है — "मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ," तो यह वादा सिर्फ एक भावनात्मक संवाद नहीं होता, बल्कि एक गहरी जिम्मेदारी बन जाता है। मैंने भी एक ऐसा अनुभव जिया, जब किसी ने प्रेम और उत्साह के साथ मेरे जीवन में प्रवेश किया। उसके शब्द मधुर थे — साथ, साया, विश्वास, हमेशा… सब कुछ बेहद आत्मीय लगा। परंतु समय के साथ उन शब्दों के पीछे की सच्चाई सामने आने लगी। जो साया पहले सुखद प्रतीत होता था, वही धीरे-धीरे अंधकार फैलाने लगा। और फिर एक दिन उसने कह दिया — "तुझे जान से मार दूँगा।" यह वाक्य केवल एक आक्रोश नहीं था — यह मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला गहरा आघात था। लोग पूछते हैं, “क्यों दूरी बना ली?” उत्तर सरल है, परंतु गंभीर — "मैंने दूरी इसलिए बनाई क्योंकि मुझे स्वयं को बचाना था।" यह दूरी घृणा से नहीं, आत्म-संरक्षण से थी। कभी-कभी सबसे सच्चा प्रेम वही होता है जो स्वयं को टूटने से बचा ले। "खुद को बचाना कोई स्वार्थ नहीं — यह आत्...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.