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डर नहीं, दिशा दें — पढ़ाई को बोझ नहीं, प्रेरणा बनाएं

डर नहीं, दिशा दें — पढ़ाई को बोझ नहीं, प्रेरणा बनाएं ~ आनंद किशोर मेहता आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में माँ-बाप खुद भी परेशान हैं, और अनजाने में अपने इस तनाव को बच्चों के दिलों में एक खतरनाक ज़हर की तरह उतार रहे हैं। यह ज़हर पढ़ाई के नाम पर डर पैदा करता है — इतना गहरा डर, जो बच्चों के जीवन को ही निगल जाता है। "बच्चा हो या फूल — दोनों को खिलने के लिए स्नेह और समय चाहिए, सज़ा नहीं।" पढ़ाई के नाम पर अपनी अधूरी इच्छाओं को बच्चों के भविष्य पर थोप देना और फिर उनसे वही पूरा करवाने की ज़िद में बच्चों पर अत्यधिक दबाव बनाना — यह उनके मासूम मन पर अत्याचार के समान है। नतीजा? आत्म-हत्या जैसे भयावह रास्ते। "जो शिक्षा डर से शुरू होती है, वह सिर्फ डर को बढ़ाती है — ज्ञान को नहीं।" बचपन में ही बच्चों से खेलने की आज़ादी छीन ली जाती है। मोबाइल हाथ में देकर हम उन्हें शारीरिक और मानसिक विकास से वंचित कर देते हैं। जब बच्चा होमवर्क नहीं करता, तो उसे डांटते हैं, डराते हैं, सज़ा देते हैं — चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक। और यह सब एक ऐसी उम्र में जब उसका मन हर चोट को गहराई से ...