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शिक्षा: भविष्य का ज्योत  शिक्षा केवल किताबी ज्ञान का नाम नहीं है; यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है। यह हमारे अंदर सोचने, समझने, और सही-गलत का भेद करने की शक्ति पैदा करती है। शिक्षा एक दीपक है, जो अज्ञान के अंधेरे को मिटाकर भविष्य को उजाले से भर देती है। एक शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन को ही नहीं, बल्कि अपने परिवार, समाज और देश को भी रोशन करता है। शिक्षा का उद्देश्य वास्तव में शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना या नौकरी पाना नहीं होना चाहिए। शिक्षा हमें चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों को समझने, सहानुभूति और सहिष्णुता जैसे गुणों को विकसित करने का अवसर देती है। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपनी क्षमताओं का सही उपयोग करके अपने और समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं। वर्तमान चुनौतियाँ आज के समय में शिक्षा में कई चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। व्यावसायीकरण:  शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। समान अवसर की कमी:  ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच गहरी खाई है, जिससे समाज में असमानता बढ़ रही है। सार्वजनिक मूल्य और नैतिकता क...

धीरे-धीरे ही सही, पर थमो मत: सफलता का असली मंत्र

धीरे-धीरे ही सही, पर थमो मत: सफलता का असली मंत्र © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता All Rights Reserved. हर इंसान के भीतर कुछ कर दिखाने की जिज्ञासा होती है। कोई तेज़ दौड़ना चाहता है, कोई ऊँचाई छूना चाहता है, और कोई सबसे आगे निकल जाना चाहता है। लेकिन ज़िंदगी की असली दौड़ में जीत केवल उसी की होती है — जो बिना रुके, बिना थके, लगातार सही दिशा में आगे बढ़ता रहता है। कभी-कभी धीमी चाल भी मंज़िल तक पहुँचती है, अगर नीयत साफ़ हो, हौसला मजबूत हो, और पग निरंतर बढ़ते रहें। यही वह जीवन सूत्र है जो एक साधारण कछुए को भी असाधारण बना देता है। बच्चों के लिए सच्चा सबक हमारे स्कूल के प्यारे बच्चे जब रोज़ थोड़ा-थोड़ा सीखते हैं, प्रयास करते हैं, तो वे हर दिन एक नये रूप में खिलते हैं। हर अक्षर, हर संख्या, हर मुस्कान — उनके भीतर एक उज्ज्वल भविष्य के बीज बोती है। उन्हें तेज़ दौड़ने की ज़रूरत नहीं — उन्हें तो बस ये समझने की ज़रूरत है कि अगर वे हर दिन थोड़ी मेहनत करें, मन लगाकर सीखें , तो एक दिन वे वह बन सकते हैं, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। युवाओं के लिए एक यादगार संदेश आज की पीढ़ी जल्दी सफलता चाहत...

बच्चों की निश्चल प्रेम और संस्कारों की छाँव

बच्चों की निश्चल प्रेम और संस्कारों की छाँव  ~ आनंद किशोर मेहता बच्चे समाज का भविष्य होते हैं। उनकी मासूमियत, सरलता और निष्कपट प्रेम हमें सच्चे प्रेम और आत्मीयता का एहसास कराते हैं। जिस प्रकार एक पीपल का वृक्ष अपनी छाँव, शीतलता और प्राणवायु से संसार को संजीवनी प्रदान करता है, उसी प्रकार यदि बच्चों को अच्छे संस्कारों से पोषित किया जाए, तो वे भी समाज के लिए जीवनदायी बन सकते हैं। संस्कार और बच्चों का पवित्र प्रेम संस्कार हमारे जीवन के वे मूल्य होते हैं, जो हमें सही और गलत का भेद सिखाते हैं। एक अच्छे विद्यालय का कार्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चों में उत्कृष्ट संस्कारों का संचार करना भी है। जब बच्चे इन मूल्यों से सिंचित होते हैं, तो उनका प्रेम और भी पवित्र और सार्थक हो जाता है। संस्कारों की जड़ें और बच्चों की विशेषताएँ सम्मान और स्नेह जब बच्चे यह सीखते हैं कि माता-पिता, गुरुजन, मित्रों और समाज के सभी लोगों का सम्मान करना चाहिए, तो वे सच्चे प्रेम की परिभाषा को समझ पाते हैं। उनका यह स्नेह आदर और आत्मीयता से परिपूर्ण होता है। करुणा और सहयोग का भाव संस्कार बच्चों को यह स...