जीवन का नया अध्याय 2025 — साठ वर्षों की अमृत बेला में। परम दयालु कुल मालिक दाता दयाल के चरणों में नम्र वंदन 🙏 जन्म तिथि : 5 नवम्बर 1965 समय के आंगन में खिला वह प्रभात — जब रूह ने इस धरती को छुआ।— और जीवन अपनी यात्रा पर चला। — आनंद किशोर मेहता आज का दिन कोई उत्सव नहीं, कोई प्रदर्शन नहीं — बस एक शांत, पावन क्षण है... कृतज्ञता और नम्र धन्यवाद से भरा हुआ। साठ वर्षों की इस यात्रा में हर श्वास, हर अनुभव, दाता की असीम दया और मेहर से ही संभव हुआ। उन्होंने थामा जब मैं गिरा, रास्ता दिखाया जब मैं भटका, और प्रेम दिया जब मैं अकेला था। आज भीतर एक नई सुबह है — आत्मा जैसे फिर से मुस्कुराना सीख रही हो, स्वीकारना और धन्यवाद देना सीख रही हो। यह मेरा पहला जन्मदिन है — क्योंकि आज मैं “जीना” सीख रहा हूँ। अब मैं उम्र नहीं, अनुभव गिनना चाहता हूँ; अब मैं समय नहीं, मुस्कानें बाँटना चाहता हूँ। यह दिन दाता की दया और मेहर का उत्सव है — जिसने अब तक जीवन को अर्थ और दिशा दी। जो कुछ मिला — आशीर्वाद था, जो नहीं मिला — उसमें भी सुरक्षा और प्रेम छिपा था। हर कठिन राह उनके सहारे सरल बनी...
राजाबरारी आदिवासी विद्यालय: शिक्षा, सेवा और स्वावलंबन का आदर्श मॉडल ~ आनंद किशोर मेहता प्रस्तावना भारत जैसे विशाल देश में जहाँ शिक्षा का अधिकार संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है, वहीं कुछ क्षेत्र आज भी इस अधिकार से वंचित हैं। विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में अशिक्षा, गरीबी और सामाजिक उपेक्षा ने वर्षों से विकास के रास्ते को रोके रखा है। ऐसे में यदि कोई विद्यालय न केवल शिक्षा का दीपक जलाता है, बल्कि सेवा, आत्मनिर्भरता और समग्र विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है, तो वह केवल स्कूल नहीं, एक क्रांति का केंद्र बन जाता है। "राजाबरारी आदिवासी विद्यालय" , मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सघन वन क्षेत्र में स्थित, एक ऐसा ही आदर्श उदाहरण है, जिसे दयालबाग शिक्षा संस्थान (Dayalbagh Educational Institute, Agra) की प्रेरणा, मार्गदर्शन और सेवा भावना के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। स्थापना की पृष्ठभूमि इस विद्यालय की शुरुआत 1936–37 में एक प्राथमिक विद्यालय के रूप में हुई थी। उस समय राजाबरारी एक घना वन क्षेत्र था, जहाँ आधुनिक सुविधाओं और शिक्षण संसाधनों की कल्पना भी नहीं की जा...