बच्चों की निश्चल प्रेम और संस्कारों की छाँव
~ आनंद किशोर मेहता
बच्चे समाज का भविष्य होते हैं। उनकी मासूमियत, सरलता और निष्कपट प्रेम हमें सच्चे प्रेम और आत्मीयता का एहसास कराते हैं। जिस प्रकार एक पीपल का वृक्ष अपनी छाँव, शीतलता और प्राणवायु से संसार को संजीवनी प्रदान करता है, उसी प्रकार यदि बच्चों को अच्छे संस्कारों से पोषित किया जाए, तो वे भी समाज के लिए जीवनदायी बन सकते हैं।
संस्कार और बच्चों का पवित्र प्रेम
संस्कार हमारे जीवन के वे मूल्य होते हैं, जो हमें सही और गलत का भेद सिखाते हैं। एक अच्छे विद्यालय का कार्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चों में उत्कृष्ट संस्कारों का संचार करना भी है। जब बच्चे इन मूल्यों से सिंचित होते हैं, तो उनका प्रेम और भी पवित्र और सार्थक हो जाता है।
संस्कारों की जड़ें और बच्चों की विशेषताएँ
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सम्मान और स्नेह
जब बच्चे यह सीखते हैं कि माता-पिता, गुरुजन, मित्रों और समाज के सभी लोगों का सम्मान करना चाहिए, तो वे सच्चे प्रेम की परिभाषा को समझ पाते हैं। उनका यह स्नेह आदर और आत्मीयता से परिपूर्ण होता है। -
करुणा और सहयोग का भाव
संस्कार बच्चों को यह सिखाते हैं कि दूसरों की सहायता करना, करुणा और दया का भाव रखना सबसे बड़ी मानवता है। जब वे अपने सहपाठियों और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं, तब वे संस्कारी वातावरण में पले-बढ़े होने का परिचय देते हैं। -
साझा करने की भावना
प्रेम का अर्थ केवल अपने लिए कुछ संजोना नहीं, बल्कि दूसरों के साथ अपनी खुशी बाँटना भी होता है। जब बच्चे अपने टिफिन, किताबें या खिलौने दोस्तों के साथ साझा करते हैं, तो यह उनके निश्छल प्रेम और अच्छे संस्कारों को दर्शाता है। -
विनम्रता और धैर्य
विनम्रता और धैर्य संस्कारित व्यक्ति की पहचान होते हैं। जब बच्चे अपने बड़े-बुजुर्गों की बातें ध्यान से सुनते हैं, अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और दूसरों की भावनाओं को महत्व देते हैं, तब वे सच्चे प्रेम और जीवन मूल्यों को आत्मसात करते हैं।
मासूमियत भरा प्रेम
बच्चों का प्रेम निस्वार्थ और शुद्ध होता है। जब कोई बच्चा अपने शिक्षक या माता-पिता से लिपट जाता है, जब वे बिना किसी अपेक्षा के आपको एक फूल भेंट करते हैं, जब वे आपकी खुशी में आनंदित होते हैं—तो यह प्रेम का सबसे सच्चा रूप होता है। उनकी भोली मुस्कान और कोमल स्पर्श से प्रेम की एक नई परिभाषा गढ़ी जाती है।
संस्कारों की छाया में बढ़ता भविष्य
जैसे पीपल का वृक्ष अपने विस्तार के साथ धरती को संजीवनी देता है, वैसे ही संस्कारी बच्चे भविष्य में समाज को नई दिशा देते हैं। उनका प्रेम, उनकी करुणा, उनकी सहृदयता समाज के लिए छायादार वृक्ष की भाँति होती है, जो हर किसी को सुखद अनुभूति देता है।
संस्कार और बच्चों के प्रेम पर श्रेष्ठ विचार
- "संस्कार वह बीज हैं, जो प्रेम, करुणा और आदर की फसल लाते हैं।"
- "बच्चों की मुस्कान संस्कारों का दीपक है, जो समाज को रोशन करता है।"
- "संस्कारित बचपन, उज्ज्वल भविष्य की नींव है।"
- "बच्चों को प्रेम और संस्कार दें, वे समाज के दीप बनेंगे।"
- "शिक्षा मार्ग दिखाती है, संस्कार सही दिशा देते हैं।"
- "संस्कारों से सिंचित बचपन ही सशक्त समाज की जड़ है।"
- "जहाँ बच्चों को संस्कार मिलते हैं, वह घर एक मंदिर बन जाता है।"
- "बच्चों की सरलता में ईश्वर बसता है, और संस्कारों में भविष्य।"
निष्कर्ष
संस्कारों से सजी शिक्षा बच्चों को केवल बौद्धिक रूप से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक और नैतिक रूप से भी मजबूत बनाती है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा समाज प्रेम, करुणा और सद्भाव से भरा रहे, तो हमें अपने बच्चों को सच्चे प्रेम और संस्कारों की शिक्षा देनी होगी। वे एक दिन पीपल के विशाल वृक्ष की तरह समाज को छाया, शांति और जीवनदायिनी ऊर्जा प्रदान करेंगे।
~ आनंद किशोर मेहता
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