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Showing posts with the label रिश्तों की सच्चाई

जीवन में शांति चाहिए तो उनसे दूरी बना लो, जो सहयोग भूल जाते हैं मगर एहसान गिनाते रहते हैं।

जीवन में शांति चाहिए तो उनसे दूरी बना लो, जो सहयोग भूल जाते हैं मगर एहसान गिनाते रहते हैं।  ~ आनंद किशोर मेहता यह एक साधारण-सी लगने वाली पंक्ति, वास्तव में जीवन का गहन अनुभव है। कुछ लोग आपके संघर्ष में साथ नहीं देते, लेकिन जब उनका कोई छोटा-सा योगदान होता है, तो उसे जीवन भर याद दिलाते हैं। ऐसे लोग सहयोग नहीं करते, बल्कि अपने “एहसान” जताकर आपके आत्मसम्मान को धीरे-धीरे खत्म करते हैं। यह भावनात्मक रूप से थका देने वाला अनुभव होता है। आप हर पल खुद को उनके ऋण में बंधा हुआ महसूस करते हैं, भले ही आपने उनसे कहीं अधिक किया हो। इसलिए यह जरूरी है कि: ऐसे लोगों से विनम्र दूरी बनाई जाए। अपने आत्मसम्मान की रक्षा की जाए। उन संबंधों को संजोया जाए जो निःस्वार्थ, प्रेमपूर्ण और संतुलन देने वाले हों। शांति वहीं मिलती है, जहां रिश्तों में स्वतंत्रता, समझ और सच्चा सम्मान हो — न कि उपकार का बोझ। © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. : शांति की चाह ~ आनंद किशोर मेहता जो कहते थे, "हम साथ हैं," आज वही हर बात में एहसान जताते हैं। भूल गए वो पल, जब टूटे थे हम, और उनका नाम लेकर मुस...

जब रिश्तों में डर समा जाए: दूरी बनाना कोई गुनाह नहीं

जब रिश्तों में डर समा जाए: दूरी बनाना कोई गुनाह नहीं ~ आनंद किशोर मेहता रिश्ते केवल शब्दों से नहीं, बल्कि व्यवहार और भावनाओं से बनते हैं। जब कोई यह कहता है — "मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ," तो यह वादा सिर्फ एक भावनात्मक संवाद नहीं होता, बल्कि एक गहरी जिम्मेदारी बन जाता है। मैंने भी एक ऐसा अनुभव जिया, जब किसी ने प्रेम और उत्साह के साथ मेरे जीवन में प्रवेश किया। उसके शब्द मधुर थे — साथ, साया, विश्वास, हमेशा… सब कुछ बेहद आत्मीय लगा। परंतु समय के साथ उन शब्दों के पीछे की सच्चाई सामने आने लगी। जो साया पहले सुखद प्रतीत होता था, वही धीरे-धीरे अंधकार फैलाने लगा। और फिर एक दिन उसने कह दिया — "तुझे जान से मार दूँगा।" यह वाक्य केवल एक आक्रोश नहीं था — यह मेरी आत्मा को झकझोर देने वाला गहरा आघात था। लोग पूछते हैं, “क्यों दूरी बना ली?” उत्तर सरल है, परंतु गंभीर — "मैंने दूरी इसलिए बनाई क्योंकि मुझे स्वयं को बचाना था।" यह दूरी घृणा से नहीं, आत्म-संरक्षण से थी। कभी-कभी सबसे सच्चा प्रेम वही होता है जो स्वयं को टूटने से बचा ले। "खुद को बचाना कोई स्वार्थ नहीं — यह आत्...