जीवन में शांति चाहिए तो उनसे दूरी बना लो, जो सहयोग भूल जाते हैं मगर एहसान गिनाते रहते हैं। ~ आनंद किशोर मेहता यह एक साधारण-सी लगने वाली पंक्ति, वास्तव में जीवन का गहन अनुभव है। कुछ लोग आपके संघर्ष में साथ नहीं देते, लेकिन जब उनका कोई छोटा-सा योगदान होता है, तो उसे जीवन भर याद दिलाते हैं। ऐसे लोग सहयोग नहीं करते, बल्कि अपने “एहसान” जताकर आपके आत्मसम्मान को धीरे-धीरे खत्म करते हैं। यह भावनात्मक रूप से थका देने वाला अनुभव होता है। आप हर पल खुद को उनके ऋण में बंधा हुआ महसूस करते हैं, भले ही आपने उनसे कहीं अधिक किया हो। इसलिए यह जरूरी है कि: ऐसे लोगों से विनम्र दूरी बनाई जाए। अपने आत्मसम्मान की रक्षा की जाए। उन संबंधों को संजोया जाए जो निःस्वार्थ, प्रेमपूर्ण और संतुलन देने वाले हों। शांति वहीं मिलती है, जहां रिश्तों में स्वतंत्रता, समझ और सच्चा सम्मान हो — न कि उपकार का बोझ। © 2025 ~ आनंद किशोर मेहता. All Rights Reserved. : शांति की चाह ~ आनंद किशोर मेहता जो कहते थे, "हम साथ हैं," आज वही हर बात में एहसान जताते हैं। भूल गए वो पल, जब टूटे थे हम, और उनका नाम लेकर मुस...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.