📖 संस्कारों की ज्योतिर्मय धारा (एक काव्य-संग्रह) "संस्कार, प्रेम और अनुशासन की ऊर्जा से जीवन को नवचेतना देने वाला सृजनात्मक काव्य-संग्रह!" 🌿 रा धा / ध : स्व आ मी 🌿 ("शब्दों की इस दिव्य आभा में खोकर, प्रेम, सेवा और कर्तव्य की गहराइयों को महसूस करें।") 🌿 आभार एवं समर्पण 🌿 यह काव्य-संग्रह "संस्कारों की ज्योतिर्मय धारा" सम्पूर्ण श्रद्धा, प्रेम और समर्पण के साथ परमपिता रा धा/ध: स्व आ मी दाता दयाल के पावन चरणों में समर्पित है। उनकी अनंत कृपा, मार्गदर्शन और दिव्य आशीर्वाद से ही यह सृजन संभव हुआ। विशेष आभार ➤ सतसंगी परिवार – जिनकी संगति, प्रेरणा और आशीर्वाद इस काव्य यात्रा की संजीवनी बनी। ➤ हमारे विद्यालय के नन्हे दीपक – जिनके संस्कार, जिज्ञासा और पवित्र हृदय इस सेवा को और अधिक सार्थक बनाते हैं। ➤ अर्धांगिनी संजू रानी एवं शांतिमय संतति – जिनका प्रेम, धैर्य और अटूट विश्वास मेरी निरंतर प्रेरणा का स्रोत रहा। 🌸 यह काव्य-संग्रह मात्र शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि मालिक की असीम दया-मेहर और सभी के स्नेह का प्रकाश है। 🌸 सप्रेम रा धा / ध : स्व आ मी एवं कोटिशः...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.