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साँवले रंग की कीमत

साँवले रंग की कीमत ~ आनंद किशोर मेहता परिचय सौंदर्य की परिभाषा समय के साथ बदलती रही है। कभी गोरा रंग श्रेष्ठता और आकर्षण का प्रतीक माना गया, तो कभी साँवला और गहरा रंग गरिमा, शक्ति और रहस्य का। लेकिन क्या सुंदरता केवल त्वचा के रंग तक सीमित है? क्या किसी व्यक्ति का मूल्य उसकी सोच, चरित्र और कर्म से अधिक उसके बाहरी रूप पर निर्भर करता है? यह लेख समाज में व्याप्त इस मानसिकता की पड़ताल करता है और साँवले रंग की वास्तविक कीमत को उजागर करता है। सौंदर्य का वास्तविक पैमाना सौंदर्य केवल बाहरी रंग-रूप से परिभाषित नहीं होता, बल्कि यह आत्मविश्वास, आचरण और व्यक्तित्व की आभा में प्रकट होता है। साँवले रंग वाले लोग भी उतने ही सम्मान और गरिमा के अधिकारी हैं, जितने किसी अन्य रंग के व्यक्ति। इतिहास साक्षी है कि महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, बाबा साहेब अंबेडकर और ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्वों का रंग गोरा नहीं था, लेकिन उनके विचारों और कार्यों की रोशनी ने पूरे विश्व को आलोकित किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि असली पहचान रंग में नहीं, बल्कि ज्ञान, संघर्ष और कर्म में होती है। स...

भौतिक से परे: चेतना के विकास की यात्रा

लेखक: आनंद किशोर मेहता कॉपीराइट © 2025 आनंद किशोर मेहता भौतिक से परे: चेतना के विकास की यात्रा सृष्टि के आरंभ में, जब जीवन का पहला स्पंदन पृथ्वी पर प्रकट हुआ, तब हम शुद्ध ऊर्जा के रूप में अस्तित्व में थे—एक झिल्ली जैसी संरचना, जो चेतना के प्रारंभिक स्तर का प्रतीक थी। उस समय, हमारा विकास केवल भौतिक स्वरूप तक सीमित था। हम केवल शरीर के स्तर पर क्रियाशील थे, जहाँ सभी कार्य केवल संवेदनाओं और प्रतिक्रियाओं के आधार पर संचालित होते थे। समय के साथ, जब जीवन ने क्रमिक विकास किया, तो मानसिक चेतना का उदय हुआ। हमने केवल शारीरिक गतिविधियों तक सीमित रहने के बजाय चिंतन, तर्क और बुद्धि का उपयोग करना शुरू किया। मनुष्य ने अनुभव करना शुरू किया कि केवल शारीरिक बल से नहीं, बल्कि विचारों, भावनाओं और मानसिक संकल्पना के माध्यम से भी कार्य किए जा सकते हैं। इस चरण में, ज्ञान, विज्ञान और दर्शन का उदय हुआ, जिससे मानव जाति एक उच्च अवस्था में प्रवेश कर सकी। अब, हम एक नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं—क्वांटम युग, जहाँ हमारा अस्तित्व केवल भौतिक और मानसिक क्षमताओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि क्वांटम चेतना के...