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मानवता और प्रकृति: एक दिव्य संबंध और हमारा पवित्र कर्तव्य:

मानवता और प्रकृति: एक दिव्य संबंध और हमारा पवित्र कर्तव्य:                लेखक: आनंद किशोर मेहता मानवता और प्रकृति के बीच एक गहरा और दिव्य संबंध है, जो हमारे अस्तित्व और संतुलन के लिए अनिवार्य है। प्रकृति, वह जीवनदायिनी शक्ति है, जो हमें शुद्ध वायु, जल, और हरियाली प्रदान करती है—ये सभी तत्व हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह एक अद्भुत संयोग है कि हम इस धरती पर रहते हैं, जो हमें बिना शर्त प्रेम और समृद्धि देती है, और इसका उपहार हमारी जिम्मेदारी भी बनाता है कि हम इसे संरक्षित करें। प्रकृति से हमारा कर्तव्य इसलिए है, क्योंकि हम इसका हिस्सा हैं और इसके बिना हमारा अस्तित्व असंभव है। यह साझेदारी केवल एकतरफा उपयोग की नहीं, बल्कि एक सजीव संबंध है, जिसमें हमें न केवल संसाधनों का उपयोग करना है, बल्कि उनका संरक्षण भी करना है। अगर हम उससे लेते हैं, तो यह हमारा पवित्र कर्तव्य बनता है कि हम उसे कुछ विशेष दें। यही हमें मानवता की सेवा और विनम्रता की ओर मार्गदर्शन करता है। प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी निभाने के ...