जियो तो ऐसे जियो: जलन का उत्तर निखार से दो लेखक: आनंद किशोर मेहता दुनिया में हर इंसान अपनी राह पर चलता है—कोई संघर्ष करता है, कोई सफलता पाता है, तो कोई दूसरों की तरक्की से जलता है। लेकिन सोचने की बात ये है कि जब कोई आपसे जलता है, तो आप क्या करते हैं? क्या आप भी उसकी तरह जलन करने लगते हैं? या फिर अपने आपको और बेहतर बनाकर उस जलन का उत्तर निखार से देते हैं? विचार-सूत्र: "जो दूसरों की रोशनी से जलते हैं, वे कभी खुद की लौ नहीं जला पाते।" जलन: आत्मविनाश की आग जब कोई आपसे बिना वजह ईर्ष्या करता है, आपकी सफलता से जलता है, तो असल में वह खुद को ही नुकसान पहुँचा रहा होता है। उसका मन चैन से नहीं रहता, उसकी सोच रचनात्मक नहीं होती, और वह दूसरों को गिराने की होड़ में खुद नीचे गिरता चला जाता है। यह जलन धीरे-धीरे उसके आत्मबल, आत्मसम्मान और आत्मशांति को जला डालती है। आपके लिए सबसे बुद्धिमानी की बात ये है कि आप उसकी आग में जलने की बजाय, अपनी रोशनी को और तेज करें। विचार-सूत्र: "दूसरों की जलन को अपने दीपक की तेल समझो, जिससे तुम्हारी लौ और तेज़ हो सके।" सच्चा उत्त...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.