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बच्चों के साथ अटूट प्रेम: सफलता और सुख का आधार

बच्चों के साथ अटूट प्रेम: सफलता और सुख का आधार ~ आनंद किशोर मेहता परिचय बचपन जीवन का सबसे कोमल और संवेदनशील चरण होता है। जिस प्रकार एक बीज को उपयुक्त मिट्टी, जल और प्रकाश मिलने पर वह एक विशाल, फलदायी वृक्ष में परिवर्तित हो जाता है, उसी प्रकार बच्चों का सर्वांगीण विकास भी प्रेम, स्नेह और सतत मार्गदर्शन पर निर्भर करता है। सच्चा प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि बच्चों की आत्मा को संवारने वाली सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है। यह न केवल उन्हें आत्मनिर्भरता और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है, बल्कि उनके मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास की भी आधारशिला रखता है। अटूट प्रेम: बच्चों के विकास की जड़ें बच्चों के प्रति अटूट प्रेम का अर्थ केवल उन्हें स्नेह देना नहीं, बल्कि उनके चहुंमुखी विकास के लिए एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और पोषण देने वाला वातावरण प्रदान करना है। यह प्रेम उनके व्यक्तित्व को आकार देता है, आत्मविश्वास से भरता है और जीवन के हर मोड़ पर उन्हें सशक्त बनाता है। 1. आत्मनिर्भरता और निर्णय लेने की क्षमता जब बच्चे प्रेम और विश्वास से घिरे होते हैं, तो उनमें आत...

गुरु-शिष्य संबंध: ज्ञान से जीवन के प्रकाश तक

गुरु-शिष्य संबंध: ज्ञान से जीवन के प्रकाश तक भूमिका गुरु-शिष्य का संबंध केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन का आधार और आत्मिक विकास की नींव है। गुरु केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर शिष्य को प्रकाश की ओर ले जाता है। यह संबंध केवल शब्दों का नहीं, बल्कि अनुभव, अनुशासन और आंतरिक चेतना का सेतु है। प्राचीन से आधुनिक तक: बदलता स्वरूप गुरुकुल युग: तप और समर्पण शिष्य अपने अहंकार, स्वार्थ और अज्ञान को त्यागकर गुरु की शरण में जाता था। शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मबोध और कर्तव्यबोध का माध्यम थी। गुरु, शिष्य के जीवन का वह शिल्पकार था, जो उसे हीरे की तरह तराशता था। "गुरु की छाया में बैठा शिष्य, तपस्वी की तरह ज्ञान की अग्नि में जलता था और एक दैदीप्यमान रत्न बनकर निकलता था।" आधुनिक युग: तकनीक और नई सोच के साथ संबंध कक्षाएँ डिजिटल हो गईं, लेकिन गुरु की भूमिका आज भी अमूल्य बनी हुई है। शिक्षक अब केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि कोच, मार्गदर्शक और मनोवैज्ञानिक भी हैं। शिक्षा अब केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं, बल्कि इनोवेशन, क्रि...

मानव जीवन, उत्तम परवरिश और सच्चे प्रेम की अनमोल यात्रा

  मानव जीवन, उत्तम परवरिश और सच्चे प्रेम की अनमोल यात्रा भूमिका मनुष्य के जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है? क्या केवल जन्म लेकर सांस लेना और फिर एक दिन इस संसार से विदा हो जाना ही जीवन है? नहीं, जीवन इससे कहीं अधिक गहरा और अर्थपूर्ण है। यह एक यात्रा है—आत्मबोध, कर्तव्य, प्रेम और परवरिश की यात्रा। मनुष्य अपने विचारों से निर्मित होता है। उसकी परवरिश उसके व्यक्तित्व का निर्माण करती है, और सच्चा प्रेम उसकी आत्मा को शुद्ध और सशक्त बनाता है। जीवन की सार्थकता इसी में है कि हम अपने जीवन को समझें, अपने कर्तव्यों का पालन करें और सच्चे प्रेम को पहचानें। यही जीवन की पूर्णता है। मानव जीवन: उद्देश्य की खोज मनुष्य का जीवन केवल भौतिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मबोध, सेवा, और कर्तव्यनिष्ठा से परिपूर्ण होना चाहिए। जीवन का असली उद्देश्य यह जानना है कि हम क्यों आए हैं और हमें क्या करना चाहिए। जीवन के तीन महत्वपूर्ण आयाम भौतिक पक्ष – यह हमारे रोजमर्रा के कार्यों, आजीविका, सुख-सुविधाओं और सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता है। मानसिक और बौद्धिक पक्ष – इसमें हमारे विचार,...

सत्य की विजय: एक अनिवार्य सत्य

सत्य की विजय: एक अनिवार्य सत्य  लेखक: आनंद किशोर मेहता सारांश सत्य और असत्य का संघर्ष अनादि काल से चला आ रहा है। यह केवल समाज तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी चलता रहता है। जब तक हम अपने भीतर की बुराइयों को पहचानकर उन्हें समाप्त नहीं करेंगे, तब तक समाज में सत्य की पूर्ण विजय संभव नहीं होगी। इतिहास साक्षी है कि अंततः सत्य की ही जीत होती है, चाहे असत्य कितना भी प्रबल क्यों न लगे। भूमिका जब तक इस संसार में बुराई विद्यमान है, तब तक यह संकेत है कि हम अभी पूर्ण चेतना और शांति से दूर हैं। बुराई केवल समाज में नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी निवास करती है। यदि हम अपने भीतर सुधार नहीं करेंगे, तो सत्य की विजय अधूरी ही रहेगी। यह लेख सत्य की यात्रा को समझने और हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का प्रयास है। सत्य और बुराई का संघर्ष राम-रावण, कृष्ण-कंस, महाभारत—ये केवल कथाएँ नहीं, बल्कि प्रमाण हैं कि सत्य और असत्य का संघर्ष शाश्वत है। आज भी अन्याय, लालच और असत्य को देखकर लगता है कि बुराई प्रबल हो रही है, लेकिन इतिहास ने बार-बार सिद्ध किया है कि सत्य की जीत अवश्यंभावी है। क्या बुराई केव...