इंसान की खूबसूरती: एक समग्र दृष्टिकोण ~ आनंद किशोर मेहता भूमिका "क्या आपने कभी सोचा है कि सुंदरता का वास्तविक स्वरूप क्या है? क्या यह केवल बाहरी रूप में सीमित है, या इसका संबंध हमारी आत्मा और कर्मों से भी है?" "सौंदर्य देखने वाले की आँखों में होता है।" — ऑस्कर वाइल्ड जब हम "खूबसूरती" शब्द सुनते हैं, तो हमारे मन में सबसे पहले चेहरे की बनावट, त्वचा की चमक, या शारीरिक आकर्षण की छवि उभरती है। लेकिन क्या सुंदरता केवल बाहरी होती है, या यह इंसान के मन, आत्मा और आचरण में भी झलकती है? प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, विज्ञान और समाजशास्त्र में इस प्रश्न पर गहन मंथन हुआ है। यह लेख सामाजिक, वैज्ञानिक, दार्शनिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इंसान की वास्तविक सुंदरता का विश्लेषण करेगा और यह समझने का प्रयास करेगा कि सच्ची खूबसूरती कहाँ निहित है। 1. सामाजिक दृष्टिकोण से खूबसूरती समाज में सुंदरता की परिभाषा समय, स्थान और संस्कृति के अनुसार बदलती रहती है। प्राचीन समाजों में सौंदर्य की अवधारणा भारतीय संस्कृति में गुण, बुद्धिमत्ता, परोपकार और नैतिकता को स...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.