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कर्म का चक्र: जीवन और ब्रह्मांड का शाश्वत सत्य

कर्म का चक्र: जीवन, आत्मा और ब्रह्मांड का शाश्वत सत्य लेखक: आनन्द किशोर मेहता  कर्म का चक्र केवल एक धार्मिक या दार्शनिक अवधारणा नहीं है; यह जीवन का मूल सत्य है, जो हर स्तर पर—व्यक्तिगत, सामाजिक, और आध्यात्मिक रूप से—हमारे अस्तित्व को गहराई से प्रभावित करता है। कर्म की यह गहरी यात्रा हमें न केवल स्वयं को समझने की दिशा में प्रेरित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हमारे कार्यों की ऊर्जा कैसे संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रवाहित होती है। इस लेख में, हम वैज्ञानिक, दार्शनिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों से कर्म के रहस्यमय चक्र को समझेंगे और अंत में दयालबाग के विशिष्ट दृष्टिकोण को आत्मसात करेंगे, जो आत्मिक उन्नति और सतगुरु की दया-मेहर पर केंद्रित है। १. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कर्म का चक्र: ऊर्जा और परिणाम का संबंध (क) न्यूरोसाइंस और कर्म: मन का निर्माण स्वयं की रचना है हमारा मस्तिष्क हमारे कर्मों की गवाही देता है। न्यूरोप्लास्टिसिटी के अनुसार, हम जो सोचते और करते हैं, वह हमारे मस्तिष्क की संरचना को बदल देता है। सकारात्मक कर्म सकारात्मक न्यूरल नेटवर्क बनाते हैं, जिससे हमारा स्...