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बड़प्पन का आधार: उम्र नहीं, संस्कार और सेवा का भाव

Greatness is Based on Virtues and Service, Not Age – True Meaning of Being Elder बड़प्पन का आधार: उम्र नहीं, संस्कार और सेवा का भाव ~ आनंद किशोर मेहता भूमिका "क्या बड़ा भाई हमेशा जन्मक्रम से ही बड़ा होता है, या फिर संस्कारों और सेवा से?" परिवार केवल खून के रिश्तों से नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग और संस्कारों से बंधा होता है। माता-पिता संपूर्ण परिवार को एक दिशा देने का कार्य करते हैं, लेकिन भाई-बहनों का रिश्ता केवल खेल-कूद और स्नेह तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें एक गहरी जिम्मेदारी भी छिपी होती है। परंपरागत रूप से, बड़े भाई को परिवार का मार्गदर्शक, रक्षक और सहारा माना जाता है। लेकिन क्या केवल जन्मक्रम के कारण कोई बड़ा बन सकता है? सच्चे अर्थों में बड़ा वही होता है, जो सेवा, त्याग और संस्कारों में अग्रणी हो। यदि छोटा भाई इन गुणों में बड़ा भाई से आगे है, तो वही "बड़ा" कहलाने के योग्य है। यह लेख इस महत्वपूर्ण विषय को स्पष्ट करेगा कि किसी व्यक्ति का "बड़ा" या "छोटा" होना केवल उम्र से नहीं, बल्कि उसके कर्तव्यों, सेवा और संस्कारों से तय हो...

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का!

अब समय आ गया है—मानवता को अपनाने का !                            लेखक: आनन्द किशोर मेहता             "जब चेतना का सूर्य उदय होता है, तो भेदभाव के अंधकार स्वयं मिट जाते हैं।" मानव सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए, लेकिन एक चीज जो अभी भी कई जगह जमी हुई है—वह है भेदभाव और असमानता की जड़ें। यह न केवल समाज को भीतर से कमजोर बनाता है, बल्कि एकता और प्रगति की राह में भी बाधा डालता है। लेकिन अब वह समय आ गया है, जब हमें इस संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलकर यह स्वीकार करना होगा कि— ✔ हम सभी एक ही चेतना के अंश हैं। ✔ हमारा अस्तित्व एक ही ऊर्जा से संचालित होता है। ✔ कोई भी व्यक्ति जन्म से श्रेष्ठ या निम्न नहीं होता, बल्कि उसके विचार और कर्म ही उसकी महानता का निर्धारण करते हैं। अब यह सत्य अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि— ✅ सभी को समान अवसर, सम्मान और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ✅ जाति, धर्म, भाषा, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव अब अस्वीकार्य है। ✅ मानवता का वास्तविक धर्म है—समानता, ...