: !! श्री कृष्ण कहते हैं !! **"सुनो पार्थ — अपने साथ गलत करने वालों को जरूर याद रखो, लेकिन हिसाब उनका भी रखना जिन्होंने खड़े होकर तमाशा देखा था!"** प्रस्तावना: जीवन में जब हमें अन्याय का सामना करना पड़ता है, तो सिर्फ वही व्यक्ति हमें दुःख नहीं पहुँचाता जो हमें नुकसान पहुँचाता है। कभी-कभी, हमें उस चुप्पी से भी अधिक पीड़ा होती है, जो हमारे आस-पास के लोग रहते हुए भी किसी अन्याय के खिलाफ बोलने की बजाय तमाशा देखते हैं। श्री कृष्ण की यह वाणी, न केवल कर्म और न्याय का ज्ञान देती है, बल्कि यह यह भी समझाती है कि मौन दर्शक कभी-कभी अधर्म के बराबर होते हैं। 1. श्री कृष्ण की दृष्टि: केवल कर्म नहीं, चेतना का मार्ग महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन, जब अपने अपनों से लड़ने की स्थिति में खड़ा था, उसकी मनःस्थिति अत्यंत संघर्षमय थी। वह धर्म और अधर्म के बीच झूल रहा था। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: "न्याय के समय तटस्थ रहना भी अन्याय है। जो सत्य के पक्ष में खड़ा नहीं होता, वह अधर्म को मौन समर्थन देता है।" यह वाक्य केवल युद्ध के संदर्भ में नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक संघर्ष...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.