जीवन: एक सतत सीखने की यात्रा लेखक: आनंद किशोर मेहता मनुष्य का जीवन किसी विद्यालय से कम नहीं है, और वह स्वयं एक आजीवन छात्र है। जन्म से लेकर मृत्यु तक सीखने की यह प्रक्रिया कभी रुकती नहीं। एक नवजात शिशु अपने माता-पिता से जीवन का प्रथम पाठ सीखता है—बोलना, चलना, हंसना और भावनाएँ व्यक्त करना। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, जीवन उसे प्रतिक्षण एक नया सबक सिखाता है। यह निरंतर यात्रा हमें न केवल आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि हमें सफल, संतुलित और सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा भी देती है। अनुभव: जीवन का सर्वोत्तम शिक्षक विद्यालय में हम पुस्तकों से ज्ञान अर्जित करते हैं, लेकिन जीवन की पाठशाला में अनुभव ही सबसे बड़े शिक्षक होते हैं। यह अनुभव कभी मधुर होते हैं, तो कभी कठोर, परंतु हर अनुभव हमें कुछ नया सिखाने के लिए आता है। असफलता से सीखने की शक्ति असफलता हमें धैर्य, परिश्रम और आत्मविश्लेषण का महत्व सिखाती है। यह हमें सुधार और विकास का अवसर प्रदान करती है। सफलता का वास्तविक मापदंड सफलता केवल बाहरी उपलब्धियों से नहीं मापी जाती, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करती है कि हम कितने आत्मसंतोषी और ...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.