: पढ़ाई से दोस्ती: डर नहीं, आनंद ~ आनंद किशोर मेहता कभी सोचा है, जब हम किसी खेल में मग्न होते हैं, तो समय कैसे पंख लगाकर उड़ जाता है? लेकिन जब किताबें सामने रखी होती हैं, तो वही समय भारी क्यों लगने लगता है? इसका उत्तर है – दृष्टिकोण । पढ़ाई को अगर हम बोझ समझें, तो वह सचमुच भारी लगती है। लेकिन जब हम उससे दोस्ती कर लें, तो वह एक सुंदर यात्रा बन जाती है – ज्ञान की, समझ की और आत्म-निर्माण की। पढ़ाई क्या है? पढ़ाई केवल पाठ्यपुस्तकों को रट लेना नहीं है। यह तो एक अद्भुत खोज है – अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचानने की, दुनिया को समझने की, और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने की। पढ़ाई से डर क्यों लगता है? अक्सर बच्चे परीक्षा, नंबर या डाँट की चिंता में पढ़ाई से घबरा जाते हैं। उन्हें लगता है कि गलती करने पर उन्हें असफल मान लिया जाएगा। लेकिन सच तो यह है कि गलती करना सीखने का पहला कदम है । जैसे साइकिल चलाना सीखने में गिरना स्वाभाविक है, वैसे ही पढ़ाई में गलतियाँ सीखने का हिस्सा हैं। पढ़ाई से दोस्ती कैसे करें? जिज्ञासा जगाएं: हर विषय को प्रश्नों के रूप में देख...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.