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Life: A Free Flow or an Illusion of Bondage?

जीवन: स्वतंत्र प्रवाह या बंधनों का भ्रम? ✍ लेखक: आनंद किशोर मेहता भूमिका जीवन अपने आप में एक स्वतंत्र प्रवाह है। यह किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से स्थायी रूप से बंधा नहीं होता, फिर भी हम स्वयं को बंधनों में जकड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह बंधन हमारे मन की रचना है, जो हमारी उम्मीदों, भावनाओं, आशाओं और भरोसे के कारण बनते हैं। अगर हम इस वास्तविकता को समझ लें कि जीवन स्वयं में स्वतंत्र है, तो हम मन की सीमाओं से बाहर निकलकर एक मुक्त, शांत और संतुलित जीवन जी सकते हैं। इस लेख में हम वैज्ञानिक, दार्शनिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों से यह समझने का प्रयास करेंगे कि जीवन वास्तव में बंधनों में है या यह केवल हमारी धारणाओं का भ्रम है। १. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: जीवन ऊर्जा का प्रवाह है विज्ञान के अनुसार, जीवन कोई स्थिर इकाई नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रवाह है। भौतिकी के ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत के अनुसार, ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है और न ही नष्ट होती है—यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। यही सिद्धांत जीवन पर भी लागू होता है। हमारे रिश्ते, हमारी भावनाएं और हमारी...

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना: एक मौलिक और स्वतंत्र विश्लेषण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चेतना: एक मौलिक और स्वतंत्र विश्लेषण  भूमिका चेतना (Consciousness) विज्ञान की सबसे जटिल और रहस्यमयी पहेलियों में से एक है। यह केवल मस्तिष्क की गतिविधियों का परिणाम है, या यह भौतिक दुनिया से परे भी कोई अस्तित्व रखती है? यदि चेतना एक ही है, तो अलग-अलग व्यक्तियों के अनुभव कैसे अलग होते हैं? यह लेख स्पष्ट, आकर्षक और सरल भाषा में चेतना के न्यूरोसाइंस, क्वांटम भौतिकी, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जुड़े सिद्धांतों का विश्लेषण करेगा। 1. चेतना और मस्तिष्क: न्यूरोसाइंस क्या कहता है? (A) मस्तिष्क और न्यूरॉन्स की भूमिका मस्तिष्क लगभग 86 अरब न्यूरॉन्स से बना है, जो विद्युत-रासायनिक संकेतों के माध्यम से संवाद करते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मस्तिष्क क्षेत्र पहचाने हैं: सेरेब्रल कॉर्टेक्स: सोचने, तर्क करने और आत्मचेतना के लिए। थैलेमस: सूचना प्रसंस्करण और जागरूकता का केंद्र। प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स: निर्णय लेने और व्यक्तित्व निर्माण में सहायक। (B) अलग-अलग अनुभव क्यों होते हैं? हर व्यक्ति का मस्तिष्क अलग तरीके से काम करता है। न्यूरॉन्स का जुड...

मन और चेतना: वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टि

मन और चेतना: वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दृष्टि  ✍ लेखक: आनंद किशोर मेहता मनुष्य का मन एक गहरी और जटिल शक्ति है, जो हमारे विचारों, भावनाओं और कार्यों को संचालित करता है। यह मन ही है जो हमें सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मन को चेतना के आधार पर कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है? दरअसल, मन को समझने के दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं— आध्यात्मिक और वैज्ञानिक । इन दोनों के अनुसार, मन को मुख्य रूप से तीन या चार स्तरों में बांटा जा सकता है। आइए, इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं। 1. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: मन की चार अवस्थाएँ आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो मन केवल एक नहीं, बल्कि चार अलग-अलग स्तरों पर कार्य करता है। भारतीय योग और वेदांत दर्शन के अनुसार, मन को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है: (i) जाग्रत अवस्था (सचेतन मन) यह हमारी सामान्य चेतना की अवस्था है। जब हम जागते हैं, रोज़मर्रा के कार्य करते हैं, सोचते और निर्णय लेते हैं, तब हमारा सचेतन मन (Conscious Mind) सक्रिय रहता है। यह इंद्रियों से जुड़ा होता है और बा...