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नई दृष्टि, नया मार्ग: प्रेम और प्रकाश की ओर

  नई दृष्टि, नया मार्ग: प्रेम और प्रकाश की ओर लेखक: आनंद किशोर  मेहता "हम जिस संसार को देखते हैं, वह हमारी सोच का ही प्रतिबिंब है। यदि हम इसे प्रेम, शांति और आनंद से भरना चाहते हैं, तो हमें अपने भीतर से शुरुआत करनी होगी।" मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है। यह संसार केवल घटनाओं और परिस्थितियों का खेल नहीं है, बल्कि हमारे विचारों और कर्मों की प्रतिध्वनि है। हम सब एक ऐसे जीवन की कामना करते हैं जहाँ दुःख, पीड़ा और निराशा न हो, जहाँ हर व्यक्ति प्रेम, आनंद और समर्पण से भरा हो। लेकिन क्या यह संभव है? क्या हम सच में एक ऐसा संसार बना सकते हैं जहाँ संघर्ष के स्थान पर सहयोग हो, स्वार्थ के स्थान पर सेवा हो और घृणा के स्थान पर प्रेम हो? उत्तर स्पष्ट है—हाँ, यह संभव है! परिवर्तन बाहर से नहीं, भीतर से आता है। जब तक हम स्वयं को नहीं बदलते, तब तक दुनिया नहीं बदल सकती। हमारी सोच, हमारे दृष्टिकोण और हमारे कार्य ही वह बीज हैं जो भविष्य की फसल को आकार देंगे। यदि हम सही दिशा में कदम बढ़ाएँ, तो यह संसार एक दिव्य भूमि बन सकता है। दुःख का मूल कारण: समझें, बदलें और सुखी बनें दुःख एक...