नारी: शक्ति, स्वतंत्रता और बदलाव की पहचान लेखक: आनन्द किशोर मेहता नारी केवल सृष्टि की आधारशिला नहीं, बल्कि समाज की आत्मा और उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। वह जीवन को जन्म देती है, उसे संवारती है और अपने आत्मबल से असंभव को भी संभव कर दिखाती है। इतिहास गवाह है कि जब भी उसे अवसर मिला, उसने समाज, संस्कृति और सभ्यता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। लेकिन आज भी कई स्थानों पर उसे समान अधिकारों और अवसरों से वंचित रखा जाता है। यह केवल नारी के साथ अन्याय नहीं, बल्कि पूरे समाज की प्रगति में बाधा है। अब समय आ गया है कि नारी को उसके हक, सम्मान और स्वतंत्रता के साथ आगे बढ़ने का पूरा अवसर दिया जाए, ताकि वह अपनी पूर्ण क्षमता से समाज को सशक्त बना सके। नारी है सृजन की धारा, नई आशाओं की उजियारा। हर चुनौती को पार करेगी, जग को नई दिशा देगी। नारी सशक्तिकरण: एक नई सोच, एक नई क्रांति नारी सशक्तिकरण का अर्थ केवल अधिकार देना नहीं, बल्कि उसे निर्णय लेने की स्वतंत्रता, आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता प्रदान करना भी है। जब नारी स्वतंत्र होकर अपने जीवन का मार्ग तय करती है, तो वह केवल अपने लि...
Fatherhood of God & Brotherhood of Man.